यूक्रेन की उप विदेशमंत्री झापरोवा ने भारत को बताया ‘विश्व गुरु

कहाहमारा समर्थन करनाएकमात्र सही विकल्प


यूक्रेन की प्रथम उप विदेश मंत्री एमिन झापरोवा भारत दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने आज कहा कि यूक्रेन का समर्थन करना सच्चे विश्वगुरु के लिए “एकमात्र सही विकल्प” है. झापरोवा ने ट्वीट किया, ‘भारत की यात्रा करके खुशी हुई- वह भूमि जिसने कई ऋषियों, संतों और गुरुओं को जन्म दिया. आज, भारत विश्वगुरु, वैश्विक शिक्षक और मध्यस्थ बनना चाहता है. हमारे मामले में, हमें अच्छे से मालूम है- यूक्रेन का समर्थन करना ही सच्चे ‘विश्वगुरु’ के लिए सही विकल्प है.’

अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान, झापरोवा सचिव (पश्चिम), विदेश मंत्रालय (एमईए), संजय वर्मा के साथ बातचीत करेंगी, जिसके दौरान दोनों पक्षों के द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने, यूक्रेन की मौजूदा स्थिति और आपसी हित के वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने की उम्मीद है. मालूम हो कि पिछले साल रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से किसी भी पूर्वी यूरोपीय देश का भारत का यह पहला  आधिकारिक दौरा है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि, यूक्रेन के उप विदेश मंत्री, विदेश राज्य मंत्री और संस्कृत- मीनाक्षी लेखी से भी मुलाकात करेंगी और यात्रा के दौरान वह उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, विक्रम मिस्री से मिलकर महत्वपूर्ण चर्चा करेंगी.

मालूम हो कि पूर्व में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, रूस-यूक्रेन संघर्ष को केवल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जा सकता है और ‘भारत किसी भी शांति प्रयासों में योगदान करने के लिए तैयार है.’ उन्होंने संघर्ष शुरू होने के बाद से कई बार यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों से बात की है. उन्होंने ये बातें इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी से बातचीत के दौरान भी ये बातें भी दोहराई थी. उन्होंने पिछले साल सितंबर में एससीओ शिखर सम्मेलन में कहा था, ‘आज का युग युद्ध का नहीं है.’ और हमें भोजन, ईंधन की समस्याओं को दूर करने के तरीकों को खोजने की जरुरत है.

प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘आज का युग युद्ध का नहीं है और मैंने इसके बारे में आपसे कॉल पर बात की है. आज हमें इस बारे में बात करने का अवसर मिलेगा कि हम शांति के पथ पर कैसे आगे बढ़ सकते हैं. भारत-रूस कई शताब्दियों से एक-दूसरे के साथ रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों के अलावा हमने खाद्य, ईंधन सुरक्षा और उर्वरकों की समस्याओं को दूर करने पर बात की है. उन्होंने युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को निकालने में मदद करने पर रूस और यूक्रेन दोनों देशों को धन्यवाद दिया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *