गांव डहीना में शहीद के अपमान का सच वह नहीं जो आरोप लगाकर बताया जा रहा है, हकीकत यह है कि इसकी आड लेकर कुछ ओर ही खेल खेला जा रहा है
15 साल से बस क्यू शैल्टर बना हुआ था, टूटकर नया बनना था, इसमें शहीद का अपमान कैसे हो गया..
रणघोष खास. डहीना की कलम से
गांव डहीना में पंचायती जमीन पर लगी दो शहीदों की प्रतिमा के सामने बनने जा रहे बस क्यू शैल्टर को लेकर खड़े हुए विवाद ने शहीद के सम्मान और अपमान की नई परिभाषा तय कर दी है। यह शैल्टर 15 साल पुराना है। नाला बनाते समय इस तोड़ दिया गया जिसे नए सिरे से बनाया जाना था। इस पर शहीद संदीप के परिवारजनों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे शहीद का अपमान बनाकर निर्माण कार्य को बंद करवा दिया जबकि दूसरे शहीद के परिजन इस शैल्टर के पक्ष में आ गए। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस बस शैल्टर के बनने से शहीदों का अपमान कैसे हो गया। दूसरा गांव में दो धड़े क्या सोचकर बन गए। सबसे बड़ी बात इन शहीदों की पुण्य तिथि पर हर साल पूरा गांव एकत्र होकर उन्हें नमन करता है तो फिर इतना बड़ा बवाल क्यों खड़ा किया जा रहा है जिसको लेकर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा को भी टिप्पणी करने की जरूरत पड़े। आए दिन दोनों पक्षों की तरफ से अधिकारियों से मिला जा रहा है। अधिकारी भी हैरान है कि जिन जवानों ने देश की एकता अखंडता के लिए अपनी कुर्बानी दी उनकी शहादत एक छोटे से बस क्यू शैल्टर के सामने मजाक बनती नजर आएगी।
सोमवार को गांव डहीना से काफी संख्या में ग्रामीण बस क्यू शैल्टर बनवाने के लिए डीसी से मिले। इसमें शहीद रामफल की माता 72 साल की बिमला देवी भी थी। इन ग्रामीणों का कहना है कि गांव में 15 साल पहले शहीद रामफल के पार्क के सामने बस क्यू शैल्टर बनाया गया था। शहीद रामफल पार्क के सामने ही उसी का नए सिरे से पुननिर्माण करवाया जा रहा है। जिसमें इस शहीद के परिजनों को कोई एतराज नहीं है। 2007 में जब शहीद संदीप का अंतिम संस्कार उक्त स्थान पर किया गया था तब उस समय भी यह शैल्टर बना हुआ था। उस समय किसी को कोई एतराज नहीं था। हर साल इस शहीद स्मारक पर इन दोनों शहीदों की स्मृति में हर साल सभाएं एवं कार्यक्रम होते हैं जिसमें पूरे गांव की भागेदारी होती है। यह शैल्टर पुराना होने की वजह से जर्जर हो चुका था। दूसरा यहां से नाला निकलना था। इसलिए इसे तोड़ा जाना था। ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर इसके निर्माण की तैयारी शुरू कर दी। जिस पर शहीद संदीप के परिजनों ने आपत्ति दर्ज करा दी। यहां तक की वे कार्य को रूकवाने के लिए इस हद तक बेकाबू हो गए मानो यह शहीद स्माकर एवं शैल्टर पंचायती जमीन की बजाय उनकी निजी संपति हो। काफी संख्या में ग्रामीणों ने अपने लिखित हस्ताक्षर वाले ज्ञापन में खुलासा किया है कि शहीद संदीप के नाम का लेकर इस पर राजनीति की जा रही है। शहीद का अपमान वहीं लोग कर रहे हैं जो शैल्टर बनाने के विरोध में सामने आए हैं। जब इस शैल्टर का नाम शहीद के नाम पर है तो इसमें अपमान कैसे हो गया। उन्होंने कहा कि प्रशासन चाहे तो इसकी निष्पक्ष जांच करा ले इस कार्य को रोकने के पीछे की असली मंशा सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि शहीद राष्ट्र की धरोहर होती है। इसलिए शैल्टर भी उनकी स्मृति में हैं। उन्होंने नेताओं एवं गांव में अपने हितों के लिए राजनीति करने वालों से अपील की है कि वे कम से कम शहीदों के नाम पर तो अपनी हरकतों से बाज आए। उपायुक्त यशेंद्र सिंह ने भरोसा दिलाया है कि शहीदों के सम्मान और भाईचारे को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।