रणघोष की सीधी सपाट बात : एम्स को लेकर कागजी खुशियां ना मनाए, सैनिक स्कूल का दर्द आज भी चिल्ला रहा है

रणघोष खास. सुभाष चौधरी


 एक बार फिर अखबारों में गांव माजरा- भालखी में एम्स बनने की संभावनाओं की कागजी खुशियां हिलोरे मारने लगी हैं। इन खबरों से एम्स के लिए संघर्ष करने वालों के चेहरे पर मुस्कान जरूर आती है जो पानी के बुलबुले जितनी हैसियत रखती है। इस इलाके का इतिहास खंगालिए तो पता चल जाएगा कि जितनी भी परियोजनाओं की यहां घोषनाएं हुईं उसे जमीन पर उतरने के लिए सालों लग गए। जिस जगह पर एम्स बनाने की तैयारी चल रही है वहां से रेवाड़ी की तरफ 8-10 किमी दूरी पर गांव  गोठड़ा- टप्पा खोरी की जमीन पर सैनिक स्कूल भवन का निर्माण चल रहा है। इस स्कूल के इतिहास पर जाएंगे तेा हैरानी होगी कि इसकी मांग उठाने वाले, घोषणा करने वाले उम्रदराज के साथ दुनिया से विदा हो गए लेकिन आज तक स्कूल का भवन नहीं बन पाया। 4 सितंबर 1983 को जब रेवाड़ी जिला नहीं था। वह महेंद्रगढ़ का हिस्सा कहलाता था। महेंद्रगढ़ में रैली के दौरान तत्कालीन केंद्रीय रक्षा मंत्री वेकंटरमण जो आगे चलकर देश के राष्ट्रपति बने ने तत्कालीन विधायक कर्नल राम सिंह की मांग पर रेवाड़ी में सैनिक स्कूल खोलने की घोषणा की थी। वेंकटरमण ने उस समय कहा था कि यह इलाका सैनिकों की खान है। इसलिए यह जायज मांग है जिसे जल्द ही अमल में लाया जाएगा। उसके बाद राजनीति उठा पटक के बाद सैनिक स्कूल कागजों से जमीन पर नहीं उतर पाया। एक लंबे समय बाद 29 अगस्त 2008 में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पुरजोर वकालत पर तत्कालीन केंद्रीय रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने गांव गोठडा टप्पा खोरी में स्कूल की आधारशिला रखी। आज तक स्कूल का भवन बनकर तैयार नहीं हुआ है। हालांकि 15 फरवरी 2021 को राज्य के सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश यादव श्रम, सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण, प्रिटिग एवं स्टेशनरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव वीएस कुंडू ने निर्माणाधीन सैनिक स्कूल भवन का निरीक्षण कर संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द निर्माण कार्य और अन्य विकास कार्य पूरा कराने के निर्देश दिए थे। इसी तरह वर्तमान की इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी मीरपुर को भी जमीन पर जन्म लेने के लिए 15 साल से ज्यादा का समय लग गया। इसके अलावा माजरा श्योराज में मेडिकल कॉलेज समेत अनेक मंझले स्तर की परियोजनाएं तो कागजों में ही दम तोड़ चुकी है। यही स्थिति जुलाई 2015 में एम्स की घोषणा को लेकर बनी हुई है। जिसकी स्थिति कभी खुशी कभी गम जैसी बनी हुई है।

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 एम्स को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो जाए डीलरों से अलर्ट लोग

एम्स को लेकर कब तस्वीर पूरी तरह से साफ होगी अभी कहना जल्दबाजी होगा। इतना जरूर है कि आमजन को उन डीलरों से अलर्ट रहना है जो इस परियोजना की आड में तरह तरह के सपने दिखाकर प्रोपर्टी खरीदने ओर बेचने का खेल शुरू किए हुए हैं। ग्रामीण परिवेश में आमजन इनकी चालाकियों एवं झांसे में आसानी से आ जाते हैं। ऐसे में डीलरों को लेकर आमजन को  को हर समय अलर्ट रहना पड़ेगा।

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