रणघोष खास. सुभाष चौधरी
रविवार को पंचकूला स्थित भाजपा मुख्यालय में मुख्यमंत्री मनोहलाल खटटर ने रेवाड़ी से पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास की पूरे सम्मान के साथ घर वापसी कराकर इस सीट के राजनीति समीकरण को एक बार फिर बदल दिया। कापड़ीवास का जिस तौर तरीको के साथ स्वागत हुआ उससे साफ जाहिर हो रहा था कि कापड़ीवास कभी भाजपा से अलग ही नहीं हुए थे। शनिवार शाम को राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कापड़ीवास को पंचकूला आने का बुलावा दिया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी ने इस नेता को पूरे सम्मान के साथ आने का अनुरोध किया। पार्टी मुख्यालय में सीएम, प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कापड़ीवास को पार्टी की मजबूत ताकत बताया। राजनीति का यह घटनाक्रम पूरी तरह से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की हैसियत पर वार जैसा है। साथ ही इस सीट पर भाजपा की दावेदारी पहले से ज्यादा दिलचस्प हो गई है।
कापड़ीवास 2019 में टिकट नहीं मिलने से निर्दलीय चुनाव लड़ने की वजह से भाजपा से विधिवत तौर पर अलग थलग हो गए थे। उनकी स्थिति क्लास के उस बच्चे की तरह थी जिसे शिक्षक पढ़ाई तो पूरी करवा रहे थे लेकिन रजिस्टर में हाजिरी लगाने पर मनाही थी। 2019 के बाद भाजपा के शीर्ष नेता जिसमें सीएम मनोहरलाल से लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय संसदीय बोर्ड सदस्या डॉ. सुधा यादव, राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल विज, प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी के रेवाड़ी दौर पर कापड़ीवास खुलकर मुलाकात करते रहे। ऐसा कभी आभास नहीं हुआ कि यह नेता अनुशासनहीनता के आधार पार्टी से बाहर कर दिए गए हो। यहां बता दे कि 2019 के विधानसभा चुनाव में रेवाड़ी विधानसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अपने समर्थक सुनील यादव मुसेपुर को टिकट दिलाकर एक तरह से भाजपा में यहां से मजबूत दावेदारों के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। कापड़ीवास के निर्दलीय मैदान में आ जाने से मुसेपुर हार गए। यह सीधे तौर पर राव की नैतिक हार थी। उन्होंने इस सीट को जीतने लिए अपने राजनीति जीवन में सबसे ज्यादा पसीना बहाया था। यही से राव ने जितने भी भाजपाईयों को इस हार के लिए जिम्मेदार माना। भाजपा हाईकमान ने समय समय पर उनका कद बढ़ाकर राव को ही अहसास करा दिया कि उनका टिकट दिलाने का निर्णय सही नही था। जिस अरविंद यादव को उन्होंने जयचंद कहा वे लगातार हरियाणा सरकार में अलग अलग महकमों में चेयरमैन बना दिए। अब रही सही कसर रविवार को कापड़ीवास की घर वापसी ने कर दी। इससे यह साबित हो गया कि आने वाले दिनों में राव के लिए भाजपा में राजी खुशी रहना या अपने कद से जुड़े सम्मान को बरकरार रखना आसान नहीं है। अगर ऐसा होता तो कापड़ीवास को देखकर पंचकूला मुख्यालय में कमल नहीं खिलखिलाता।