रणघोष की सीधी सपाट बात : श्याम का सम्मान माफ करने से होता है, आलोचना करने वाले अब अपमानी ना बने

रणघोष खास. श्याम प्रेमी की कलम से

 पिछले कुछ दिनों से हरियाणा के रेवाड़ी शहर में बाबा खाटू श्याम के दरबार को शव वाहन में सजाकर रिंगस लेने जाने का मामला अलग अलग मकसद से सोशल  मीडिया पर चर्चा बटोर रहा है। काफी सालों से सामाजिक- धार्मिक क्षेत्रों में निस्वार्थ भाव से सेवा करते आ रहे श्याम दीवाना मंडल के पदाधिकारियों ने नैतिक तौर पर इसकी जिम्मेदारी लेते हुए सार्वजिनक तौर पर माफी मांग ली है। यहां बता दे की यह वाहन बाबा के दरबार से सजकर  अपने गतंव्य से महज चार से पांच किमी ही दूरी पर चला था। पता चलते ही उसे वापस बुला लिया गया। इसी दौरान किसी ने इसकी विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दी। उसके बाद से बवाल खड़ा हो गया। धार्मिक एवं बाबा के प्रति आस्था के मद्देनजर मंडल के पदाधिकारियों ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी। इसके बावजूद कुछ लोग सोशल मीडिया पर इस तरह हमला कर रहे हैं मानो वे ही बाबा के असली उपासक है और बाबा ने उन्हें ऐसा करने लिए आदेश दिया  है। रणघोष ने जब माफी मांगने के बाद भी इस मसले पर अपनी हरकतों से बाज करने वालों का पता लगाकर उनकी पृष्टभूमि का पता लगाया तो तस्वीर साफ हो गईं। दरअसल तरह तरह की टीका टिप्पणी करने वालों में अधिकाशं का बाबा की आस्था के प्रति कोई लेना देना नहीं है। उनका मकसद सोलाराही तालाब से संचालित हो रही श्याम दीवाना मंडल की कार्यकारिणी की छवि को खराब कर अपने निजी हितों को साधना है। सोचिए श्याम बाबा का असल अपमान उनके प्रति आस्था रखने वालों का बाबा के त्याग एवं बनाए सत्य के दिखाए मार्ग पर ना चलकर होने से होता है या गलती से लोहे की मशीनरी का उपयोग करने से। जिसे जरूरत के हिसाब से शव वाहन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। अगर किसी की नासमझी से उसका उपयोग बाबा के दरबार के तोर पर हो गया और गलती का अहसास होते ही तुरंत सार्वजनिक तोर पर माफी मांगी गई। उसके बाद तो विवाद वहीं खत्म हो जाना चाहिए था। लेकिन इसके बावजूद जानबूझकर ऐसा दुष्प्रचार किया जा रहा है की मानो ऐसी गलती करने वाले ने मानव- इंसानियत की हत्या कर  समाज में इंसान होने का हक खत्म कर दिया हो।  आलोचना करने वालों को यह नहीं भूलना चाहिए की श्याम दीवाना मंडल के ये वहीं लोग है जिन्होंने कोविड-19 के समय अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए हजारों लोगों भोजन कराया। अस्पतालों को सैनेटाइज किया, हजारों की संख्या में मास्क बांटे। इतना ही नहीं ये वहीं कर्मयोगी  है जो  जरूरतमंद बेटियों की शादियां कराते हैं। कोविड के समय  वैक्सीनेशन कैंप लगाए। रक्तदान शिविर लगाने का कार्यक्रम आज तक जारी है। मेडिकल हैल्प लाइन शुरू की हुई है। ऐसे में सोशल मीडिया पर अब भी इस मसले पर कोई अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है तो समझ जाइए वह किस स्तर का श्याम भक्त होगा जिसके अंदर क्षमा व बड़प्पन का भाव तक नहीं है। सही मायनों में अब वह बाबा की आस्था का अपमान कर रहा है।