रणघोष की सीधी सपाट बात

मौजूदा माहौल में इधर उधर होने का खेल है, कुछ नहीं बात खत्म 


कप्तान का ही अगर कांग्रेस में दम घुट रहा है तो रह क्या गया..?


रणघोष खास. सुभाष चौधरी

हरियाणा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव का अपनी पार्टी में दम घुटने लगा है। उनके इस बयान को पूरी तरह से समझा जाए तो वे अभी तक पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी की तरफ से समय समय पर मिल रही आक्सीजन पर ही जिंदा रहे है। कप्तान को अचानक यह क्यों कहना पड़ा। जो भी वजह बताई उसमें कितनी सच्चाई है। इसे समझना ओर जानना जरूरी है। जो नेता कांग्रेस की टिकट पर रेवाड़ी से लगातार छह बार विधायक रहा हो। उनका बेटा चिंरजीव राव वर्तमान में इसी सीट पर विधायक है। कप्तान के समधि पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव इस समय गांधी परिवार से सबसे नजदीक है। कप्तान कांग्रेस में ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। वे सोनिया गांधी को अपना आदर्श मानते हैं। इतना सबकुछ होने के बाद कप्तान का अचानक यह कहना उनका दम घुट रहा है। किसी सूरत में यह बात हजम नहीं होती। वजह कुछ ओर ही है जो जल्द ही सामने आ जाएगी। वैसे देखा जाए तो राजनीति को नेता समाजसेवा करने का जरिया मानते आ रहे हैं लिहाजा दम घुटना कैसे हो सकती है।   दरअसल राजनीति में साम दंड भेद से सत्ता हथियाना ही किसी भी नेता की संपूर्ण काबलियत में आता है। कप्तान भी वहीं कर रहे हैं। इसमें बुरा कुछ भी नहीं है। छोटे बड़े चुनाव के दरम्यान ऐसा करना, बोलना ही नेता का मूल चरित्र माना जाता है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार इसमें सुपर स्टार बन चुके हैं। जिस मोदी को वे जहरीला समझते थे वे अब अमृतकाल नजर आ रहे हैं।  कप्तान का कहना कि हरियाणा में कांग्रेस संगठन खड़ा नहीं कर पाई, गुरुग्राम लोकसभा सीट पर उनकी दावेदारी को जानबूझकर चुनौती दी जा रही है। दोनो ही वजह को अगर कप्तान दम घुटना कहते हैं तो उन्हें बहुत पहले ही कांग्रेस छोड़ देनी चाहिए थी। कांग्रेस से पूर्व संसदीय सचिव राव दान सिंह तो बहाना है। राजनीति की चींटी जितनी समझ रखने वाले बखूबी समझते हैं कि इस सीट पर भाजपा धर्म व जातीय आधार पर पहले की तरह काफी मजबूत है। वह हर लिहाज से चारों तरफ बूथ स्तर पर टीमों का गठन कर आमजन के दरवाजे पर दस्तक दे चुकी हैं। कप्तान का अचानक रूठना ओर कुछ समय बाद खुश होना यह उनकी सबसे बड़ी योग्यता में आता है। हरियाणा में अपनी सरकार के समय भी वे ऐसा करते रहे हैं। असल सच कुछ ओर ही है

  कहीं ईडी- सीबीआई का डर तो नहीं सता रहा है

देश की राजनीति इतिहास में पहली बार ताबड़तोड़ तौर तरीको से मोदी सरकार मुख्यमंत्री समेत अनेक ताकतवर नेताओं को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया रही है। जिस तौर तरीकों से भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी मतलब ईडी एक्शन में है उससे विपक्षी दलों के नेताओं की नींद उड़ चुकी है। रही सही कसर सीबीआई किसी ना किसी मामले की फाइल खोलकर पूरा कर रही है। कप्तान पर भी आय से अधिक संपत्ति का मामला जिन्न की तरह उठता रहा है। एक समय में उनके परिवार पर भी सीबीआई जांच कर चुकी है।  जिस तरह उनके रिश्तेदार लालूप्रसाद यादव परिवार पर ईडी व सीबीआई का शिकंजा पूरी तरह से कसा जा चुका है। उसकी आंच कप्तान परिवार पर भी आ जाए तो बड़ी बात नहीं होगी। कुल मिलाकर कप्तान  के इस बयान में कोई दम नहीं है कि उनका पार्टी में दम घुट रहा है। असल सच कुछ ओर है जो जल्द ही स्वत: सामने आ जाएगा। आने वाले दिनों में उन्हें भाजपा में विशेषताएं नजर आने लग जाए तो बड़ी बात नहीं है। सभी ऐसा कर रहे हैं इसमें कप्तान कहां गलत है। माहौल ही ऐसा करने के लिए कह रहा है।

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