डंके की चोट पर : भाजपा में राव इंद्रजीत सिंह की तबीयत ठीक नहीं चल रही है..?

Pardeep ji logoरणघोष खास.  प्रदीप हरीश नारायण

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की भाजपा में तबीयत ठीक नहीं चल रही है। इसलिए इस नेता को जैसी ही बैचेनी होती है वे भाजपा के जनरल वार्ड से निकलकर सड़क पर टहलना शुरू कर देते हैं। अचानक उन्हें महसूस होता है बाहर भी हवा ठीक नहीं चल रही है। वापस वार्ड में लौट आते हैं। पिछले दो तीन सालों से ऐसा चल रहा है। 

राव की राजनीति को बेहद करीब से समझने वाले बखूबी समझ चुके हैं कि इस नेता को अपने मिजाज से जो दवा खुराक चाहिए वहां भाजपा  अपने दिमाग से इंजेक्शन लगा रही है। देखा जाए तो दक्षिण हरियाणा में जमीनी तौर पर सबसे मजबूत हैसियत रखने वाले राव इंद्रजीत इस समय बिल्कुल भी सहज नहीं है। इसकी एक नहीं कई वजह है जिसके कारण इस नेता को जहां राजनीति मैदान में दौड़ते हुए नजर आना चाहिए था वहां वे धीमी गति से टहलते दिख रहे हैं। पिछले दिनों मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं झारखंड राज्यों में हुए चुनाव से उन्हें पूरी तरह दूर रखा गया। यहां तक की गुरुग्राम- रेवाड़ी से सटे राजस्थान की अलवर जिले की सीटों पर भी प्रचार के लिए बुलाना उचित नहीं समझा। माजरा एम्स को लेकर राव जिस उम्मीद से सरकार की तरफ देखते आ रहे हैं वहां भी उनकी स्थिति नि:शुल्क स्वास्थ्य कैंप में आने वाले मरीज की तरह बना दी गई  है। जहां डॉक्टर इलाज के बहाने मरीज को परामर्श देकर झूठी वाही वाही लूट लेते है। राव भाजपा में 10 साल के हो चुके हैं। कायदे से उन्हें समय और हैसियत के हिसाब से आकार-विकार में बढ़ जाना चाहिए था लेकिन हो रहा उलटा। वे जहां से चले थे वहां भी खड़े रखने की बजाय इधर उधर धकेला ओर जा रहा है।

 इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी के भीतर अपने जितने भी विरोधियों पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, हरियाणा टूरिज्म चेयरमैन अरविंद यादव, नांगल चौधरी विधायक डॉ. अभय सिंह यादव, पूर्व चेयरमैन जीएल शर्मा की शिकायत भेजी। हाईकमान बजाय एक्शन लेने के उन्हें ताकत देकर राव का ही बायोडाटा चैक करने लग गया। इस तमाम वजहों से राव बेटी आरती राव को पिछली दो चुनाव में स्थापित तक नहीं कर पाए। हालात यह है कि इस नेता के लिए आरती को बतौर अपना उत्तराधिकारी स्थापित करना 2024 में करो या मरो   जैसा बन चुका है। इसके लिए आने वाले दिनों में कड़े कदम उठाने पड़े तो यह नेता किसी सूरत में पीछे नहीं हटेंगा यह भी तय है। जहां तक राव समर्थकों की बात है। उनके आस पास ऐसी भीड़ का जमावड़ा बन चुका है जो राव को राजनीति बाजार का प्रोडेक्ट समझकर अपने हिसाब से बोली लगा रहा हैं। इस शोर शराबे में वे समर्थक एकदम खामोश व एकदम किनारे पर है जिसने कभी इस नेता को बाजार में उतरने ही नहीं दिया था। कुल मिलाकर राव भाजपा में अब कितना सहज व संतुष्ट रह पाते हैँ यह कुछ दिनों में होने वाली गतिविधियों से साफ हो पाएगा।

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