रणघोष खास में पढ़िए शिक्षाविदों का सामाजिक व्यवस्था पर विशेष लेख

व्यवसाय के नाम पर प्रचालित जातिय नामों को समाप्त करने का समय आ गया


-बेहतर समाज, मजबूत राष्ट्र की दिशा में एक बड़ा कदम


रणघोष खास. प्रदीप कुमार. राजकुमार की कलम से 


समानता की पीड़ा से उपेक्षित महसूस होने के बाद अब समय आ चुका है हम सभी खुले दिमाग एवं साफ मन से बेहतर समाज, मजबूत राष्ट्र की दिशा में शुरू किए गए इस महायज्ञ में अपनी आहुति डाले। भारत की प्रभूसता एवं संप्रभूता को बरकरार रखने के लिए जातीय विभाजन समाप्त करना जरूरी है। उदाहरणतय  जो व्यक्ति एक अध्यापक है उसकी जाति चमार है जबकि उसका व्यवसाय विद्यार्थियों को पढ़ाना है। अत: व्यवसाय के अनुसार वह चमड़ा बेचने का कार्य नहीं कर रहा है तथापि उसकी जाति, व्यवसाय के आधार पर निर्धारित जाति चमार कैसे न्यायिक एवं पूरक है कृपया न्यायिक प्रमाणिक प्रत्यूतर संभावित है। इसी तरह एक व्यक्ति जो पुलिस विभाग में कार्यरत है एवं उसका व्यवसाय कानून व्यवस्था को बरकरार रखना है। अत: उसका व्यवसाय बाल काटना नहीं है जबकि उसका जातीय नाम नाई है। अपितु सरकार का काम करना ही उसका मूल कर्तव्य है तो उसकी जाति नाई कैसे परिभाषित है। समान मानवाधिकार हेतु आदेश एवं संशोधन पारित किए जा सकते हैं। कोई व्यक्ति कुम्हार जाति से संबंधित है और जिसका व्यवसाय मटके एवं धड़े बनाना है तथा वह व्यक्ति किसी सरकारी एवं निजी कार्यालय में लेखाकार एवं अन्य कार्यकारी पद पर कार्यरत है कदापि उसका व्यवसाय सरकार – निधि कार्यालय के क्रियान्वित करना ही मूल चरित्र है तो उसकी जाति उपरोक्त कैसे है। विचारपूर्वक न्याय के आदेश जारी किए जा  सकते हैं। जिस व्यक्ति का जातीय नाम दर्जी हैं एवं किसी बैंक में या अन्य विभाग में कार्यरत होते हुए भी सरकार का कार्य कर रहा है तो उसका व्यवसाय कपड़ों की सिलाई करना नहीं है। अत: उसकी जाति का नाम व्यवसाय के आधार पर दर्जी  कैसे हो सकता है अवलोकन हेतु प्रस्तुत है।

विभिन्न मामलों, दृष्टिकोण तथा समाज के हर तबके में विधमान उपेक्षित व्यवहार जो कि देश की संप्रभुता का विभाजन कर रहे हैं से पीड़ित आधार पर प्रार्थना करते हैं कि समयावधि में उपरोक्त विषय पर मानव  मूल्यों को सार्वभौमिक रखने के लिए हमारी सम्मानित सर्वोच्च न्यायपालिका, राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री इस जल्वंत मुद्दे को बेहतर दिशा देने का काम करें। सामाजिक समरता के अभाव में समाज का बहुत बड़ा तबका उपेक्षित है क्योंकि राजनीति के प्रारूप, उद्देश्य, समाज का दृष्टिकोण कार्यालय के कार्य भी बाह्य चलित जातीय नामों के आधार पर बन चुके हैं। समय रहते जातिवाद खत्म नहीं हुआ तो भारत की उपेक्षित बहूमूल्य जनसंख्या धर्म परिवर्तन को बाध्य हो जाएगी। इसलिए सरकार एवं संसदीय कार्यवाही द्वारा प्रस्ताव पारित कर जातीय प्रथा समाप्त कर देश को अखंड, सार्वभौमिक भारत बनाने पर शुरू किए गए इस महायज्ञ में अपनी आहुति जरूर डाले।

50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति की अग्नि का होगा ‘विलय’

दिल्ली में स्थित इंडिया गेट पर पिछले 50 साल से लगातार जल रही अमर जवान ज्योति की अग्नि को शुक्रवार को बुझा दिया जाएगा। दिन में होने वाले एक समारोह में अमर जवान ज्योति पर जल रही अग्नि को वॉर मेमोरियल की अग्नि के साथ मिला दिया जाएगा।

कहा गया है कि देश के लिए शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहले कोई वॉर मेमोरियल नहीं बनाया गया था, इसलिए इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर जवानों को श्रद्धांजलि दी जाती थी।  लेकिन अब शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए वॉर मेमोरियल बन चुका है तो अमर जवान ज्योति पर जल रही अग्नि को नेशनल वॉर मेमोरियल में जल रही अग्नि के साथ मिला दिया जाए।  नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। नेशनल वॉर मेमोरियल में भारत के लिए आजादी के बाद से अब तक शहीद हुए जवानों के नाम लिखे गए हैं। नेशनल वॉर मेमोरियल 176 करोड़ की लागत से 40 एकड़ में बना है और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने से लेकर सेना के तमाम समारोह भी अब यहीं पर किए जाते हैं। 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए 1972 में अमर जवान ज्योति पर अग्नि जलाई गई थी। जबकि इंडिया गेट को ब्रिटिश सरकार ने पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में बनाया था।

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