वेतन ले रहे आईएएस होने का, कमाई कर रहे बेहतर इंसान होने की
रणघोष खास. प्रदीप नारायण
आइए हम आपको तीन ऐसे आईएएस अधिकारियों के दिलों दिमाग में आराम फरमा रहे बेहतर इंसान से मुलाकात कराते हैं जिनकी मौजूदगी से समाज- सिस्टम सावन की रिमझिम फुहारों की तरह खिलखिला रहा है। इस लेख में अनुप्रास अलंकार पूरे बहुमत के साथ नजर आएगा।
डीसी इमरान रजा के कदम से शिक्षा में बेहतर बदलाव महसूस होगा
रेवाड़ी डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने अपनी बेटी का दाखिला गुरुग्राम जिले के झाड़सा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र के प्ले स्कूल में कराया है। पत्नी डॉ. सदफ माजिद जब बेटी को लेकर आंगनवाड़ी प्ले स्कूल पहुंची तो अमीरी- गरीबी, जात-पात, छूआछुत की बेड़ियों में जकड़ी जा चुकी शिक्षा मुस्करा उठी। अपने जन्म से ही गरीबी की पुताई से बनती संवरती रही स्कूल की दीवारें, दरवाजें, ब्लैक बोर्ड, कुर्सी, टेबल सभी के सब ऐसे इतराते नजर आए मानो एक लंबे समय बाद कोई मां अपनी बेटी के बहाने प्राइवेट- सरकारी टुकड़ों में बंटी शिक्षा को संभालने के लिए आई हो। डीसी मोहम्मद रजा परिवार का यह कदम बताने के लिए काफी है कि पैसो के तराजु में तोली जा रही शिक्षा पर काबिज हो चुकी अमीरी- गरीबी- जात पात की मानसिकता को वापस वहीं लौट पड़ेगा जहां से वह पनपी थी। डीसी मोहम्मद रजा ने शिक्षा के विकृत और घिनौने चेहरे को अपने घर से साफ सुथरा करने की शुरूआत की है जाहिर है बेहतर बदलाव भी नजर आएगा।
परिवार के साथ सफाई कर्मचारी के घर पर भोजन करने पहुंच जाते आईएएस गर्ग
वर्तमान में निदेशक, मौलिक शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा विभाग के विशेष सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे अशोक कुमार गर्ग पंचकूला में रह रहे हैँ। इससे पूर्व जहां भी रहे सभी के साथ समानता की संस्कृति को फैलाते रहे। सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों से लेकर आमजन के लिए एक ही शौचालय की पहल हो या सफाई कर्मचारियों के घरों पर अपने परिवार के साथ जाकर भोजन करना हो। महिला सफाई कर्मचारियों को सबसे ज्यादा सम्मान देकर डीसी गर्ग ने समाज में छुआछूत, ऊंच- नीच की गंदगी को काफी हद तक साफ करने का काम किया जो निरंतर जारी है। यही वजह है कि डीसी गर्ग जहां से स्थानांतरित होते रहे वहां अशोक कुमार आज भी अपनी मौजूदगी का अहसास करा रहे हैं।
घर पर छोटी सी गौशाला, गायों को भोजन कराकर करते डयूटी की शुरूआत
रेवाड़ी में एक साल से कार्यरत एडीसी स्वप्रिल रविंद्र पाटिल अपनी कार्यप्रणाली से आमजन का सिस्टम में भरोसा मजबूत करने में शानदार उदाहरण बनकर सामने आए हैं। अपने आवास पर छोटी सी गौशाला में गायों को भोजन कराकर अपनी दिनचर्या की शुरूआत करने वाले एडीसी पाटिल त्वरित- निष्पक्ष फैसलों की वजह से अलग पहचान बना चुके हैं। उन्होंने सैकड़ों की संख्या में उन मामलों का भी निपटान किया है जो कई सालों से फाइलों में दब चुके थे। सुबह 9 बजे डयूटी पर आकर देर शाम तक फाइलों के निपटान में लगे रहने की मजबूत सोच से आमजन का सिस्टम के प्रति भरोसा कायम हुआ है। शहर में ज्वलंत शिशुशाला स्कूल के कब्जाने के खेल को खत्म करना हो या रेजागांला पार्क पर कई सालों से अवैध कब्जे हटाने हो, नगर परिषद के पार्कों, सड़क में घोटालों पर कार्रवाई हो। एडीसी पाटिल अपने सीनियर्स को विश्वास में लेकर तमाम चुनौतियों के बीच एक बेहतर अधिकारी होने का विश्वास कायम कर चुके हैं।