राजनीति अपना मिजाज बदल रही है..

 हरियाणा में भाजपा- जेजेपी को बेदखल कर सकता है कांग्रेस- इनेलो का गठबंधन


IMG-20221214-WA0006[1]रणघोष खास. प्रदीप नारायण


 हरियाणा में सरकार चला  रही भाजपा- जेजेपी की तबीयत इन दिनों ठीक नहीं चल रही है। कई वजहों में एक दोनों के बीच दिखावे व जबरदस्ती का साथ छूटने लगा है। पर्दा हटता जा रहा है। प्रदेश में हर रोज कहीं ना कहीं जेजेपी भाजपा के कार्यकर्ताओं को अपने में शामिल कर जश्न मना रही हैं तो भाजपा के पदाधिकारी जेजेपी में तोड़फोड़ कर इसे सर्जिकल स्ट्राइक की तरह उपलब्धि मान रहे हैं। लिहाजा अफसरशाही दोनों पार्टियों का तमाशा देख चाय में बिस्कुट की डुबकी लगा आनंद ले रही है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल साढ़े आठ साल का अनुभव लेने के बाद भी अभी तक सीख ही रहे हैं कि चूक कहां से ओर कैसे हो रही है। भाजपा का संगठन हाथी की तरह जरूर फैल चुका है लेकिन चींटी का डर हमेशा बना रहता है। इसलिए थोड़ी सी भनक पर जांच एजेंसियां अलर्ट हो जाती है। उधर अलग अलग कारणों से अपना घर लुटाकर कतरा कतरा आगे बढ़ रही कांग्रेस- इनेलो को यह समझ में आ गया है कि बजाय एक दूसरे का रास्ता काटने के मिलकर चला जाए सत्ता की मंजिल पा सकते हैं। भाजपा- जेजेपी से पुराना हिसाब भी हो जाएगा। बाद में आपस में लड़ने के अनेक अवसर आएंगे। तब देख लेंगे।  ऐसा नहीं किया तो 2024 में भाजपा की वापसी लंबे समय के लिए उनका इलाज जरूर कर  देगी। इसी वजह से अब कांग्रेस- इनेलो नेताओं की जुबान से एक दूसरे के लिए शहद टपकना शुरू हो गया है। दोनों को मिलाने में जनता दल यूनाइटेड सूत्रधार की भूमिका में हैं। सूत्रों की माने तो 2024 के लोकसभा चुनाव से हरियाणा के इतिहास में पहली बार कांग्रेस इनेलो मंच पर आंखों में चश्मा लगा एक दूसरे से हाथ मिलाती नजर आएगी।  जिसमें 2 सीटों पर इनेलो व 8 पर कांग्रेस जीत की दावेदारी पेश करेगी। इसी दरम्यान आम आदमी पार्टी से तालमेल बन गया तो कांग्रेस अपने हिस्से की एक सीट उसे दे सकती है। विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे का सही तोड़ लोस चुनाव के परिणामों से ही स्पष्ट होगा। अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक कुल 90 सीटों पर कांग्रेस 50, इनेलो 40 पर अपना दांव खेलने के लिए तैयार हो सकती है। आप को लेकर संशय बना हुआ है। इस पूरे गठजोड़ को कामयाब बनाने में बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने अपनी पार्टी के रणनीतिकार केसी त्यागी को जिम्मेदारी दी हुई है। अगर खुले मन से 2024 के चुनाव में कांग्रेस- इनेलो एक दूसरे का साथ देते नजर आए तो भाजपा- जेजेपी के लिए संभलना मुश्किल हो जाएगा। यहां बताना जरूरी है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो 19 सीटें लेकर व 2019 में कांग्रेस 31 सीटों के साथ विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टियां बनी थी। 5 से 7 सीटों पर निर्दलीय विधायकों ने कब्जा कर लिया था। 2014 में जिस पोजीशन के साथ भाजपा हरियाणा में बहुमत के साथ नजर आई वह 2019 में जेजेपी  सहयोग से चलती नजर आईं। वर्तमान में स्थिति बजाय मजबूत होने के इधर उधर ज्यादा हो रही है। 2024 आने तक कोई चमत्कार हो जाए बात अलग है। मौजूदा हालात के आधार पर मूल्याकंन करें तो कांग्रेस- इनेलो खुद को रिकवर कर रही है। इनेलो में 90 साल के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला का विराट अनुभव, अभय सिंह चौटाला के आक्रमक तेवर परिवर्तन यात्रा में अपना असर दिखा रहे हैं। उधर कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा व राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुडडा प्रदेश में चारों तरफ अपना प्रभाव बनाते जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के भीतर का घमासान खामोश जरूर है लेकिन शांत नहीं है। पूर्व मंत्री किरण चौधरी, कुमारी शैलजा एवं कर्नाटक में जीत के बाद गांधी परिवार के ओर बेहद करीब पहुंचे राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला हुडडा परिवार की आसानी से चलने नहीं देंगे। यह सबकुछ बदलते हालात से तय होगा। इसी साल छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में कांग्रेस मजबूत पोजीशन में आती है तो जाहिर है इसका असर हरियाणा में भी नजर आएगा जो गठबंधन की रणनीति को भी बदल सकता है। कुल  मिलाकर हरियाणा में कांग्रेस- इनेलो को रोकने के लिए भाजपा को अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ेगी अकेले पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे से काम नहीं चलेगा।

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