रेवाड़ी शहर के लिए बड़ी खबर : अशोक सोमाणी बने पब्लिक एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष

रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
शहर की नामी शिक्षण संस्थाओं को संचालित करने वाले पब्लिक एजुकेशन बोर्ड की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। समाज सेवा में नामी शख्सियत अशोक सोमाणी बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए। कपिल कुमार गोयल सचिव एवं अजय कुमार कोषाध्यक्ष पद पर विजयी हुए। इसके अलावा अनिल रस्तोगी, घनश्यामदास, मनीष कुमार अग्रवाल, प्रवीन कुमार अग्रवाल, पुरुषोत्तम दास, संदीप खंडेलवाल, राजेंद्र सिंहल, रजनीकांत सैनी, नंदकिशोर गुप्ता एवं दिनेश कुमार गोयल कार्यकारिणी सदस्य चुने गए। यह बोर्ड आगे चलकर कुछ माह बाद केएलपी कॉलेज, सतीश बीएड कॉलेज, सतीश पब्लिक स्कूल एवं आरडीएस गर्ल्स कॉलेज की नई टीम गठन की प्रक्रिया को पूरा करेंगे।
शुरूआत से ही अशोक सोमाणी के नाम पर सहमति
इस चुनाव में कॉलेजियम सदस्यों में अधिकांश अशोक सोमाणी के नाम पर पहले से ही सहमत थे। श्री सोमाणी ने निजी जीवन में पहली बार इस तरह की जिम्मेदारी को संभाला है। वे आमतौर पर पर्दे के पीछे सामाजिक सेवाओं में अग्रणी भूमिका में रहे हैं। दो ग्रुप मिलकर उनके सामाजिक योगदान को देखते हुए सम्मान के तौर पर यह पद देना चाहता था। उन्होंने मना भी किया लेकिन सभी के आग्रह को स्वीकार कर लिया।
अरविंद गुप्ता एक बार फिर मुख्य सूत्रधार रहे
इस पूरे चुनाव में अरविंद गुप्ता मुख्य सूत्रधार रहे। कहने को यह बेहद छोटा एवं सीमित मतों का चुनाव था लेकिन एक एक वोट के लिए उम्मीदवारों को अच्छी खासी परिक्रमा लगानी पड़ रही थी। इस चुनाव में शहर के अलग अलग क्षेत्रों से 1200 से ज्यादा प्रतिष्ठित लोग सदस्य के तौर पर जुड़े हुए हैं जो 70 कॉलेजियम सदस्यों को चुनते हैं। इसके आधार पर नई टीम का गठन होता है। करीब तीन माह पहले से ही चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो जाती है। जातिगत समीकरण बनते हैं और रिश्तेदारी एवं सबंधों के आधार पर एक एक वोट को अपने पक्ष में करने लिए जबरदस्त जोरअजमाइश चलती है। अशोक सोमाणी ग्रुप से अरविंद गुप्ता ने इस चुनाव को जीताने में उन तमाम रणनीतियों का इस्तेमाल किया जो सफलता की वजह बनी।
विजय गुप्ता हार के बावजूद अपनी पहचान बना गए
इस चुनाव में गुप्ता मैडिकल से विजय गुप्ता सचिव पद पर मैदान में उतर गए थे। उनका मुकाबला कपिल कुमार गोयल से था जिन्हें 43 वोट मिले जबकि विजय को 26 मत मिले इसमें एक वोट रद़्द हो गया। विजय के अचानक मैदान में आ जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया। विजय के पक्ष में 18 वोटों वाला ग्रुप साथ खड़ा था जबकि अन्य दो ग्रुप मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। इसके बावजूद विजय ने उनके ग्रुप से 8 वोटों को तोड़कर उनकी रणनीति को एक तरफ से चुनौती दे दी थी। विजय के चुनाव को लेकर काफी चर्चाए रही।