रेवाड़ी में ऐसे ही लूटपाट होती रहेगी पढ़िए हकीकत……

Sidhi Sapat Batरणघोष खास. सुभाष चौधरी के साथ प्रदीप जैन की रिपोर्ट

 सोमवार रात को रेवाड़ी शहर के बीचों बीच बाजार में बाइक पर सवार बदमाशों ने घर लौट रहे ज्वैलर्स को लूटने के लिए गोलियां चलाईं। डर पैदा किया ताकि व्यापारी की दिन रात की  कमाई को वे आसानी से हजम कर दूसरी वारदात की तैयारी में जुट जाए। इस तरह की घटनाएं नई बात नहीं है। ये होती रही है और आगे भी होती रहेगी। भाजपा की सरकार है अब कांग्रेसी अन्य पार्टी के नेता सड़कों पर धूम धड़ाका करेंगे। जब कांग्रेस सत्ता में थी तो भाजपाई रामराज का डंका बचा रहे थे। इन दलों का पांच साल का टेंडर होता है। इसलिए डंके की चोट पर दावा कर सकते है इसमें गलती किसी एक नहीं है। हमारी प्रवृति बन चुकी है कि हम आसानी से अपनी जिम्मेदारियों को दूसरे पर लाध कर खुद को जिम्मेदार नागरिक होने का दंभ भरते नजर आते हैं। सिस्टम को चला रहे अधिकारी तब तक मौके पर हालात का जायजा नहीं लेंगे जब तक कोई बड़ा हादसा उन्हें बैचेन नहीं कर दे। अपने आस पास की स्थिति पर गौर करिए और ईमानदारी से बताइए हालात कैसे सुधरेंगे वो भी कोरोना काल में जहां आम आदमी की थाली से पहले दाल गायब हुई अब उन्हें आलू- प्याज की चटनी लायक भी नहीं छोड़ा। बाजार में भीड़ है। प्रशासन मीडिया में दावा करता है कि चौपहिया वाहन की एंट्री बंद है। धड़ाधड़ वाहन आ जा रहे हैं जबकि पुलिस दल बल के साथ शहर के ऐसे दुपहिया वाहनों को पकड़ने में लगी है जो जल्दबाजी में हेलमेट नहीं पहने एक मोहल्ले से दूसरे और एक बाजार से दूसरे बाजार में जा रहे हैं। यहां व्यापारिक संगठन क्या कर रहा है। क्या वह सिर्फ घटना होने पर अधिकारियों को ज्ञापन देने तक सीमित है। दुकानों के आगे दुकानदारों ने इतना जबरदस्त अतिक्रमण किया हुआ है कि अगर आगजनी या अन्य किसी तरह की घटना हो जाए तो बताइए उसे कैसे काबू में पाएंगे। यहां एक जिम्मेदारी व्यापारी का कर्तव्य नहीं बनता कि वह अपनी हद में रहे। यहां पुलिस और अधिकारी को किस आधार पर दोष देंगे। शहर के सबसे व्यस्तम बाजार गुड बाजार, मोती चौक पर लगी स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। लिखित में शिकायत दर्ज हो चुकी हैं। ठीक नहीं हुई है। नप अधिकारी व कर्मचारियों के पास सांस लेने की फुर्सत नहीं है।

वे उन फाइलों में बिजी है जहां से दीवाली ठीक ढंग से मन जाए। इसलिए वे आमजन को मोबाइल भी नहीं उठाते जबकि इश्तहारों में हेल्प लाइन नंबर देकर कोरी वाही वाही लूट रहे हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने शहर के बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए अचछी खासी ग्रांट दी थी खुब प्रचार भी किया।  दावा भी किया गया कि इन कैमरो के बाद शहर में कानून व्यवस्था चंडीगढ़ की तरह नजर आएगी। मजाल कोई कैमरा काम कर रहा हो। सालों से इस तरह की घटनाएं होती आ रही है और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा। मजाल व्यापारियों ने सबक लिया हो। 50 से ज्यादा प्रतिशत खासतौर से ज्वैलर्स ने सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगवा रखे। जिसने लगवा रखे हैं उनकी समझदारी देखिए। आधे से ज्यादा अपनी दुकान बंद करते समय कैमरे भी बंद करके चले जाते हैं। पूछा तो बताया कि रात को कैमरे का क्या काम। यानि घटना पूछकर होगी ऐसा इन व्यापारियों की सोच दर्शाती है। व्यापारियों का कहना है कि जब वे घर से दुकान और दुकान से घर के लिए निकलते हैं तो जगह जगह खड़े पुलिस कर्मचारियों के तौर तरीकों से डर लगता है।

जगह जगह बड़े वाहन अतिक्रमण किए होते हैं उन्हें हटाने की बजाय वे हेलमेट नहीं पहनने के चालान पर पूरी ताकत लगाते हैं। वे ऐसा करें गलत नहीं है लेकिन गलत तरीके से खड़े वाहनों पर भी एक्शन ले। यहां पुलिस दोहरे चरित्र में नजर आती हैं। आवारा पशुओं ने कितना आतंक फैलाया, यहां तक लोगों की जान तक चली गईं। कुछ दिन प्रशासन हरकत में नजर आए। रावली हाट समेत अनेक गली मोहल्लों मे झुंड बनाकर घूम रहे पशु यह बताने के लिए काफी है कि वे इतने खतरनाक नहीं है जितने उनके नाम पर लाखों रुपए के छूटने वाले टेंडर को इधर उधर करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी। व्यापारी जब भी कोई बाजार की समस्या के लिए अधिकारियों से मिलते हैं तो अधिकांश बार जवाब मिलता है वे मीटिंग में हैं। जनता से कब मिलेंगे सभी का सुनिश्चित समय होना चाहिए। बेहतर होगा कि वे मीटिंग से ज्यादा मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा  ले। कुल मिलाकर हर घटना कुछ दिन के लिए शोर मचाकर खत्म हो जाती है एक नई घटना के लिए। यही असल सिस्टम है और हकीकत में हमारी जिम्मेदारी और जवाबदेही भी। इसलिए अपनी सुरक्षा खुद करने की आदत डालिए। खुद को बदलिए और यह मानकर चलिए कि आपकी चिंता करने वाला कोई नही है। कोरोना काल में कम से कम इतना तो सबक ले लेना चाहिए जहां बार बार यहीं अहसास कराया जा रहा है कि यह वायरस खुद की लापरवाही से शरीर में प्रवेश करेगा ना की किसी जोर जबरदस्ती से । 

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