जिला परिषद में विकास की राशि की बंदरबाट करने का खेल शुरू

एडवांस दो काम दिला देंगे, अधिकारियों के संज्ञान में आया मामला, सीएम विजिलेंस मौके की ताक में

पंचायती राज चुनाव के महज कुछ माह बचे हैं। जिला परिषद के द्वारा जारी की जा रही ग्रांट  का असल खेल सामने आना शुरू हो गया है। पिछले- एक दो माह में अधिकारियों के हुए तबादले के बाद यह खुलासा सामने आया है जब कुछ ठेकेदारों ने उन्हें बताया कि यहां अलग अलग कामों को दिलाने के नाम पर कुछ पार्षद एवं उनके नुमाइदें एडवांस कमीशन मांग रहे हैं। अगले दो माह में भी गांवों में ई रिक्शा, लाइटप पाइप लाइन, टीन शैड जैसे कार्यों को कराने के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च करने की तैयारी चल पड़ी है जिसमें ठेकेदारों से पहले ही संपर्क साधा जा रहा है कि वे उनके हिसाब से चले। अधिकतर तैयार हो गए लेकिन कुछ ने समझदारी दिखाई। उन्हें शक था कि चुनाव नजदीक है। एडवांस देने के नाम पर अगर ग्रांट की राशि जारी नहीं हुई तो वे कहीं के नहीं रहेंगे क्योंकि वे जिन्हें यह सेवा शुल्क दे रहे हैं वे दुबारा परिषद में वापसी करेंगे इसकी कोई गांरटी नहीं है। इतना ही नहीं व पीछे के दरवाजे से दी जाने वाली राशि का कोई हिसाब नहीं होता।

लिहाजा उनके पास कोई सबूत भी नहीं रहेगा जिसके आधार पर वे किसी को कटघरे में खड़ा कर सके। दूसरा इसमें ग्रांट को दिलाने या इधर उधर करने में कुछ भाजपाईयों का चेहरा भी अपना असर दिखा रहा है। कांग्रेस के विधायक एवं समर्थित पंच, सरपंच, खंड पंचायत समिति मेंबर मौके की तलाश में है कि कब कमीशन का यह खेल शुरू हो और इसका भंडाफोड करे। उधर सीएम विजिलेंस को भी पुख्ता रिपोर्ट के साथ शिकायत का इंतजार है। परिषद से जुड़े कर्मचारी एवं कुछ जिला पार्षदों का  कहना है कि अगर उनके नाम का खुलासा नहीं हो तो वे हर जिला पार्षद की रिपोर्ट बता सकते हैं किसने ईमानदारी से सिस्टम के तहत विकास कार्य करवाए और किसने कमीशन खोरी को आगे चलकर ग्राम पंचायत, अधिकारी एवं अपने नेताओं को  गुमराह रखा। इनकी आय से अधिक संपति की जांच होते ही दूध का दूध पानी का पानी सामने आ जाएगा।  जिला सचिवालय में कुछ टेबल से इसके तार जुड़े हुए हैं। इसलिए वे खुलकर बता नहीं सकते। अधिकारियों का तबादला होने व विभागों का सहीं बंटवारा तथा जिला परिषद में सीईओ के अधिकार को ताकत मिलने से अब सिस्टम पर भरोसा बनने लगा है। इससे पहले परिषद क्या हो रहा है किसी को परवाह नहीं थी। अगर उनकी जानकारियों पर ईमानदारी से एक्शन होता है तो बहुत  कुछ खुलासा कर सकते हैं ताकि चुनाव में जनता कमीशनखोरी की कमाई से चुनाव लड़ने वालों की असलियत देख सके।

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