6 आसान उपायों से पितृ दोष होगा दूर, संतान प्राप्ति का भी मिलेगा आशीर्वाद
20 अप्रैल दिन गुरुवार को वैशाख अमावस्या है. इस दिन साल के पहले सूर्य ग्रहण का संयोग बना है. 20 अप्रैल को सूर्य ग्रहण का प्रारंभ सुबह 07:04 बजे से होगा और सूर्य ग्रहण का समापन दोपहर 12:29 बजे होगा. हालांकि यह उपच्छाया सूर्य ग्रहण है, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं है. वैसे सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटा पूर्व से लग जाता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं कि इस साल वैशाख अमावस्या तिथि 19 अप्रैल को 11:23 एएम से लेकर 20 अप्रैल को 09:41 एएम तक है. वैशाख अमावस्या के दिन आप आसान उपायों को करके पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं. पितृ दोष के कारण पूरे परिवार की उन्नति प्रभावित होती है और वंश की वृद्धि नहीं होती है. जानते हैं वैशाख अमावस्या पर पितृ दोष के उपाय.
सूर्य ग्रहण है तो कब करें पितृ दोष उपाय
इस बार अमावस्या पर सूर्य ग्रहण है, इस वजह से आप पितृ दोष के उपाय ग्रहण के प्रारंभ या समाप्ति के बाद कर सकते हैं.
वैशाख अमावस्या 2023: पितृ दोष उपाय
1. स्नान के बाद अपने हाथ में कुश की पवित्री पहन लें या कुश लेकर हाथ से जल से तर्पण दें. अपने पितरों को जल से तृप्त करें. पितृ लोक में पानी की कमी होती है, इसलिए जल से उनकी आत्माओं को तृप्त करते हैं.
2. वैशाख अमावस्या पर पितरों के देवता अर्यमा की पूजा करें. अर्यमा महर्षि कश्यप और देवमाता अदिति के पुत्र हैं. उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र में इनका निवास है. ये पितरों में श्रेष्ठ हैं. इनकी पूजा करने से भी पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
3. वैशाख अमावस्या के दिन स्नान के बाद आप पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. इसमें पितरों की स्तुति की गई है. उनका गुणगान किया गया है, जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
4. अमावस्या पर आप पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान या उनका श्राद्ध कर्म करा सकते हैं. इससे वे तृप्त होते हैं, जिससे संतान या वंश को सुखमय जीवन का आशीर्वाद मिलता है.
5. अपने पितरों को तृप्त करने के लिए अमावस्या पर उनके पसंद का भोजन बनाकर कौआ, गाय, कुत्ता और अन्य पक्षियों को दे सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इनके माध्यम से भोजन पितरों को प्राप्त होता है. इससे वे खुश होते हैं.
6. अमावस्या पर आप पितरों की प्रिय वस्तुओं का दान किसी गरीब ब्राह्मण को करें. इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं.
पितर खुश होकर देते हैं आशीर्वाद
पितर जब प्रसन्न होते हैं तो वे अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं कि वे आगे बढ़ें, उन्नति करें और उनका जीवन सुखमय हो. उनके आशीर्वाद से वंश की वृद्धि होती है. जब पितर नाराज होते हैं तो वे अपने वंश को श्राप देते हैं, जिससे पितृ दोष लगता है. पितृ दोष से तरक्की नहीं होती है, वंश आगे नहीं बढ़ता है.