शहीद कमांडेंट सुखीबीर की पुण्यतिथि पर पूर्व सांसद डॉ. सुधा यादव ने स्लैम बस्ती में बांटे मास्क, सेनिटाइजर और खाने के पैकेट

ठीक 22 साल पहले देश के 537 रणबांकुरों ने अपनी शहादत देकर कारगिल को बचाया था। इन रणबांकुरों में दो जवान रेवाड़ी के भी हैं। इनकी शहादत को कभी नहीं भुलाया जा सकता।  इनमें से एक शहीद कमांडेंट सुखीबीर  सिंह है। बुधवार शहीद कमांडेंट सुखबीर सिंह  की पुण्यतिथि पर उनकी पत्नी   पूर्व सांसद डॉ. सुधा यादव ने स्लैम बस्ती में जा कर  बेसहारा लोगों को मास्क, सेनिटाइजर और खाने के पैकेट वितरित किए गए। वर्तमान में  ओबीसी आयोग की सदस्य डॉ सुधा यादव ने पति की गाथा का जिक्र होते ही भावुक होते हुए बताया की जिले के गांव धामलावास निवासी सुखबीर सिंह यादव सन 1986 में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स की 171 बटालियन में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट भर्ती हुए। इनके पिता रघुबीर सिंह भी कैप्टन थे। सुखबीर ने देश की सीमा से सटे लगभग सभी राज्यों में अपनी बेहतरीन सेवाओं का प्रदर्शन किया। सन 1999 में भारत-पाक के बीच सीमा पर गहमा-गहमी का माहौल बढ़ता देख उन्हें कारगिल सीमा पर भेज दिया गया। 26 मई 1999 को वे अपने 6 जवानो के साथ कारगिल सीमा स्थित अल्फा टीकरी कॉम्पलेक्स एडम बेस 26 पर अन्य जवानों व स्थिति का जायजा लेने के लिए निकले थे। जबकि यह काम पैट्रोलिंग पार्टी के अफसर का था, लेकिन उन्हें कुछ गोलीबारी होने का आभास हुआ। इसीलिए वे तुरंत अपने जवानो की पोजीशन देखने के लिए बेस कैंप के लिए अपनी जीप में रवाना हुए। जैसे ही वे सीमा स्थित करकितचु नाले के समीप पहुंचे तो बॉर्डर पार चुके दुश्मनो ने पूरी टीम पर तोप से गोरीबारी शुरू कर दी। जवाब में कमांडेंट सुखबीर सिंह व उनके जवानो ने दुश्मनों का मुंह तोड़ जवाब दिया तथा आखिरी दम तक लड़ते रहे। अंत में कमांडेंट सुखबीर सिंह को अधिक गोली लगने से वे वीरगति को प्राप्त हुए व कारगिल विजय ऑपरेशन के प्रथम शहीद कहलाए।   इस दौरान उनके साथ उनकी बेटी सौम्या, बेटा  सिद्धार्थ यादव, पूर्व किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष सत्यदेव यादव, भाजपा जिला महामंत्री यशवंत भारद्वाज, जिला आईटी सेल प्रमुख नवीन कुमार, बीकानेर मंडल अध्यक्ष बाबूलाल छाबड़ी  ने इस नेक कार्य में सहयोग किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *