सीबीआई को देश के खिलाफ अपराधों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए: सीजेआई

रणघोष अपडेट. देशभर से 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जाँच के लिए सीबीआई को सौंपे जा रहे एक के बाद एक केसों को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि उनका मानना है कि प्रमुख जांच एजेंसियों की जाँच का दायरा इतना फैला दिया गया है कि वे अपने असल काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों को केवल उन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र के खिलाफ आर्थिक अपराधों से जुड़े हैं।मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘सीबीआई को भ्रष्टाचार विरोधी जांच एजेंसी के रूप में अपनी भूमिका से परे विभिन्न प्रकार के आपराधिक मामलों की जांच करने के लिए कहा जा रहा है। यह सीबीआई पर अपने आदर्श वाक्य पर खरा उतरने की एक बड़ी जिम्मेदारी डालता है।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर 2024 में बोल रहे थे। सीजेआई ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम शायद पिछले कुछ वर्षों में अपनी जांच एजेंसियों को इतनी ज़्यादा चीजों तक फैला दिया है कि वे न तो पर्याप्त ध्यान दे पाती हैं और न ही समय।’मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘माहौल में तेजी से बदलाव के बावजूद प्रमुख जांच एजेंसियों को अपना ध्यान और प्रयास अपराध के उस वर्ग पर केंद्रित करना चाहिए जो वास्तव में देश की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या देश के आर्थिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है।’ उन्होंने कहा कि सीबीआई को ‘भ्रष्टाचार विरोधी अपनी मूल भूमिका के अलावा विभिन्न प्रकार के आपराधिक मामलों की जांच करने के लिए कहा जा रहा है’।उन्होंने कहा, ‘जैसे-जैसे साल बीतते गए सीबीआई के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ता गया, जिसमें अपराधों के व्यापक मामले शामिल थे। इस व्यापक दायरे ने एजेंसियों को विभिन्न मामलों की जांच करने का अधिकार दिया – आर्थिक धोखाधड़ी और बैंक घोटालों से लेकर वित्तीय अनियमितताओं और आतंकवाद से संबंधित घटनाओं तक।’सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि डिजिटल रूप से जुड़ी दुनिया में सीबीआई जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नई और जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इनका समाधान नये तरीक़े से किए जाने की ज़रूरत है। सीजेआई ने कहा कि भारत को अपने जांच ढांचे पर दोबारा विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ढांचागत सुधार करके सीबीआई को अपग्रेड किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि समाधान, जांच प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जाए जो प्रथम सूचना रिपोर्ट दाखिल करने से शुरू हो सकती है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मामलों को देखते हुए देरी को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की ज़रूरत है।