स्वास्थ्य से जुड़ा यह लेख जरूर पढ़िए : प्रोस्टेट कैंसर के मामले दुनियाभर में बढ़ रहे हैं..

रणघोष खास. सुशीला सिंह साभार बीबीसी 

मेडिकल जनरल लैंसेट की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी होगी.लैंसेट ने इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रोस्टेट कैंसर के नए मामले साल 2020 में 14 लाख थे जो साल 2040 में बढ़कर 29 लाख हो जाएंगे.इसमें ये भी कहा गया है कि 112 देशों में पुरुषों में होने वाला ये एक आम कैंसर है और कुल कैंसर के मामलों में 15 प्रतिशत मामले प्रोस्टेट कैंसर के होते है.

साल 2020 में दुनियाभर में 375,000 पुरुषों की मौत प्रोस्टेट कैंसर से हुई थी इसमें आंकलन लगाया जा रहा है कि 2040 तक इन मौतों में 85 प्रतिशत की वृद्धि होगी. पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौत का ये पांचवां कारण है.भारत की बात की जाए तो कैंसर के कुल मामलों में प्रोस्टेट कैंसर तीन प्रतिशत है और प्रतिवर्ष 33,000-42,000 कैंसर के नए मामले सामने आते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार- हर साल 100,000 की आबादी में 4-8 मामले आते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर के मामलों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है वहीं पिछले 25 सालों में शहरी आबादी में प्रोस्टेट कैंसर 75-85 फ़ीसदी बढ़ा है.दिल्ली में रहने वाले राजेश कुमार को साल 2022 अक्तूबर में पता चला कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर है.उनकी पत्नी, रितू मारवाह फ़ोन पर बातचीत में बीबीसी को बताती हैं, ”मेरे पति को पेशाब रुकने की परेशानी आ रही थी. वे वक्त लगाते थे. हम हर साल मेडिकल चेकअप कराते हैं. इस परेशानी के बाद हमारे फैमिली डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराने को कहा.”इस जांच में पता चला कि राजेश कुमार का प्रोस्टेट बढ़ा हुआ है और डॉक्टर ने प्रोस्टेट स्पेसिफ़िक एंटिजन या पीएसए टेस्ट करने को कहा.इसके बाद एमआरआई, बायोप्सी हुई और जांच में पता चला कि राजेश कुमार को दूसरे स्टेज का प्रोस्टेट कैंसर है.

प्रोस्टेट क्या होता है?

प्रोस्टेट, पुरुषों के प्रजनन तंत्र का भाग होता है और ब्लैडर(मूत्राशय) के नीचे होता है. ये अखरोट के आकार का होता है लेकिन उम्र के साथ वो बढ़ने लगता है.डॉक्टरों का कहना है कि 45-50 की उम्र के बाद पुरुषों में प्रोस्टेट से संबंधित समस्या आती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो कैंसर ही हो. साथ ही हर व्यक्ति में ये समस्या आए ऐसा भी नहीं है.जब ये बढ़ने लगता है तो डॉक्टर पीएसए टेस्ट की सलाह देते हैं. जांच के बाद ही अगर कैंसर का शक होता है आगे और जांच कराई जाती हैं और नतीजों के अनुसार इलाज शुरू किया जाता है.68 वर्षीय राजेश कुमार का भी इलाज शुरू हुआ और साल 2023 के मार्च महीने में उनकी सर्जरी हुई.

प्रोस्टेट कैंसर धीमे से बढ़ता है

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में प्रोफ़ेसर रह चुके डॉक्टर एसवीएस देव कहते हैं कि उम्र बढ़ने के बाद ये बीमारी सामने आती है और ये स्लो ग्रोइंग यानी ये कैंसर धीरे-धीरे शरीर में बढ़ता है.इसके अलावा थायरॉइड कैंसर और कुछ प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर होते हैं जो शरीर में धीरे-धीरे बढ़ते हैं.वो कहते हैं कि ये मामले भारत में पहले कम सामने आते थे क्योंकि औसत उम्र कम यानी 60 वर्ष तक होती लेकिन अब ये बढ़ी है.डॉक्टर विक्रम बरुआ कौशिक आर्टिमिस अस्पताल में चीफ़ ऑफ़ यूरोलॉजी हैं.वो कहते हैं, ”लोगों की औसत उम्र बढ़ने के बाद प्रोस्टेट कैंसर के मामले भी सामने आने लगे लेकिन जितना आंकड़ा मिलता है मामले उससे अधिक हो सकते हैं.”डॉक्टर एसवीएस देव कहते हैं कि भारत में कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार पिछले एक दशक में प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़े हैं लेकिन पश्चिमी देशों की तुलना में दो-तीन गुना कम हैं.

उनका कहना है कि कैंसर का ये डेटा-कैंसर रजिस्ट्री से आता है और हर अस्पताल से इसे नहीं लिया जाता है. ऐसे में प्रोस्टेट कैंसर के मौजूदा मामलों में से कहीं ज़्यादा हो सकते हैं.वो बताते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर के मामले इसलिए भी कम आते हैं क्योंकि स्क्रीनिंग प्रोग्राम नहीं है इसलिए पता ही नहीं चल पाता लेकिन पश्चिमी देशों में ज़्यादा स्क्रीनिंग होती है.हालांकि इससे कितनी मौत हुई है इसका आकलन करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इससे होने वाली मौत की रिपोर्टिंग कम होती है.

क्या ये लाइफ़स्टाइल बीमारी है?

हालांकि डॉक्टर प्रदीप बंसल का कहना है कि जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है, प्रोस्टेट कैंसर के मामले सामने आते हैं. इसका कारण जेनेटिक भी होता है. वहीं वीगन या शाकाहारी के मुकाबले मांसाहारी लोगों में इसका कैंसर होने की आशंका ज़्यादा हो सकती है.

फोर्टिस अस्पताल में यूरोलॉजी, रोबोटिक्स एंड रिनल ट्रांसप्लाट विभाग में डायरेक्टर डॉक्टर प्रदीप बंसल ये ज़ोर देकर समझाते हैं कि इसका मतलब ये नहीं है कि वीगन या शाकाहारी को ये नहीं होगा क्योंकि एक धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को दिल की बीमारी होने का ख़तरा अधिक होता है वहीं जो नहीं पीता है उसे भी दिल की बीमारी हो सकती है.इसी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर एसवीएस कहते हैं कि ये कैंसर पश्चिमी देशों में ज़्यादा देखा गया है क्योंकि ये लाइफ़स्टाइल से संबंधित है जिसमें खान-पान जैसे जंक फूड, धूम्रपान, शराब का सेवन आदि शामिल हैं जिससे कैंसर होने का ख़तरा बढ़ता है.लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोस्टेट कैंसर का देरी से पता चलता है और दुनियाभर में ये देखा गया है कि कम या मध्य आय वाले देशों में देरी से जांच होना भी एक कारण है.

बीमारी के लक्षण

अगर किसी के परिवार में कैंसर के मामले का इतिहास हो तो वहां डॉक्टर जांच कराने की सलाह देते हैं.डॉक्टरों का कहना है कि प्रोस्टेट कैंसर के कोई लक्षण नहीं होते हैं.डॉक्टरों के अनुसार पीएसए लेवल व्यक्ति की उम्र और आकार पर भी निर्भर करता है. अमेरिका सरकार की आधिकारिक वेबसाइट, नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार कोई सामान्य या असामान्य पीएसए लेवल नहीं है. पहले 4.0ng/mL या इससे नीचे सामान्य माना जाता था. लेकिन देखा गया कि जिनका लेवल इससे भी कम था उनमें प्रोस्टेस कैंसर सामने आया और जिनका इससे अधिक यानी 10ng/mL तक था उसमें ये नहीं देखा गया.डॉक्टरों के अनुसार शुरुआत में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन अगर ऐसी दिक़्क़तें आती हैं जैसे –

  • बार-बार पेशाब लगना
  • रात में स्लो फ्लो होना
  • पेशाब का निकलना
  • पेशाब में ख़ून निकलना

तो इसके बाद पीएसए टेस्ट कराया जाता है. अगर कैंसर का पता चलता है और वो फैल चुका हो तो ये कैंसर हड्डियों में चला जाता है तो-

  • कमर में दर्द
  • हड्डी का टूटना
  • हड्डियों में दर्द होना आदि परेशानियां पेश आती हैं.

इस बारे में डॉक्टर प्रदीप बंसल कहते हैं, ”यंग मरीज़ों (60-75उम्र) में कैंसर का पता चलता है और अगर वो प्रोस्टेट तक ही सीमित हो तो हम रोबोटिक सर्जरी की सलाह देते हैं. इससे 10-15 साल तक जीवन चल जाता है. लेकिन अगर वो हड्डियों में फैल जाता है तो मुश्किल होती है और उसका इलाज अलग होता है.”

दवाओं की उपलब्धता

डॉक्टरों का कहना है कि प्रोस्टेट कैंसर के बारे में ब्लड टेस्ट से पता चल जाता है और ये सुविधा ज़्यादातर लैब में उपलब्ध होती है. जांच में अगर प्रोस्टेट बढ़ा हुआ हो तो इमेजिंग, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई भी होती है.डॉक्टर एसवीएस बताते हैं कि शुरुआती स्टेज में मरीज़ की रोबोटिक सर्जरी होती है और उस भाग को निकाल दिया जाता है लेकिन स्टेज बढ़ी हुई हो तो हार्मोन थेरेपी दी जाती है और फिर मरीज़ की स्थिति देखकर इलाज किया जाता है.वो कहते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर का मरीज़ पांच से 15 साल तक जीवन जी सकता है क्योंकि ये एक ऐसा कैंसर है जिसका इलाज हो सकता है.

राजेश कुमार की सर्जरी हो चुकी है और वो सामान्य जीवन जी रहे हैं.

जेनेटिक बीमारी

डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर एक ऐसी बीमारी भी है जो जेनेटिक भी होती है यानी अगर आपके परिवार में किसी को कैंसर है तो आशंका बनी रहती है कि सदस्यों को कैंसर हो सकता है.

ऐसे में डॉक्टर ये सलाह देते हैं कि अगर किसी परिवार में प्रोस्टेट कैंसर या कोई अन्य कैंसर है तो जांच करा लेनी चाहिए.अगर परिवार में किसी को प्रोस्टेट कैंसर रहा है तो परिवार के पुरुष सदस्यों को 45 वर्ष के बाद हर दो साल में पीएसए की जांच करवा लेनी चाहिए. वहीं महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की जांच करवा लेनी चाहिए

विदेशों में क्या है हाल?

लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 के बाद प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में पूर्वी एशिया, दक्षिण अमेरिका, पूर्वी यूरोप, उत्तरी अमेरिका जैसे देशों में बढ़ोतरी होगी और मौतें भी होंगी.

डॉक्टर एसवीएस देव का कहना है कि अमेरिका और यूरोप में अमीर लोग अब अपनी सेहत पर ध्यान देने लगे हैं और उसका सकारात्मक असर आने में दशक का समय लगेगा. वहीं अस्सी-नब्बे के दशक को देखें तो लोग सस्ते जंक फूड का सेवन ज़्यादा करते थे जिसका असर अब देखने को मिल रहा है.

डॉक्टर विक्रम बरुआ कौशिक कहते हैं कि अमेरिका में इसकी स्क्रीनिंग बहुत होती है इसलिए ज़्यादा मामले सामने आते हैं और देखा गया है कि ये विकसित देशों में भी है.लेकिन इन सभी डॉक्टरों का कहना है कि इस कैंसर का इलाज संभव है और क्योंकि इसकी रफ़्तार धीमी होती है इसलिए मरीज़ लंबा जीवन भी जीता है.