हम निकले इस देश की खातिर बस इतना अरमान है

शहीदे आजम भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव की शहादत को नमन किया


हमारा परिवार संस्था के तत्वावधान में देशभक्ति और संस्कार निर्माण का कार्यक्रम ‘‘मेरा रंग दे बसंती चोला’’ का आयोजन किया गया। श्री श्याम दिवाना मंडल के नवनीत सोनी की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में मुख्यातिथि पंचनद के जिला प्रधान केशव चैधरी, पवित्रा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रो. अनिरूद्ध यादव, हमारा परिवार के संरक्षक नवीन पिपलानी व संयोजक दिनेश कपूर ने कहा कि बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा निर्दोष भारतवासियों को मारे जाने की घटना ने भगतसिंह को झकजोर कर रख दिया। वो जलियांवाला गये वहां से खून भरी मिट्टी एक शीशी में रखकर लाये व शपथ ली कि अपने निर्दोष भाइयों की हत्या का बदला वो अंग्रेजों से जरूर लेंगे। प्रधान अरूण गुप्ता, टोरस एजुकेशन के निर्देशक बलबीर अग्रवाल, शिक्षाविद् अमरपाल शास्त्री व संस्था के सहसंयोजक परवीन ठाकुर ने कहा कि भगतसिंह को जब उनके साथियों के साथ फांसी के लिये ले जाने लगे-उन्होंने मस्ती के साथ ‘‘मेरा रंग दे बसंती चोला’’ गाया व हंसते हंसते फांसी के फंदे को चूमा व भारत माता की जय के नारे लगाते हुए देश के लिए बलिदान हो गये। वीर भगतसिंह युवा दल की प्रधान दीपा भारद्वाज, शिक्षाविद् रेखा गर्ग, प्रधान शशी जुनेजा, समाजसेविका रीटा गेरा ने कहा कि आज युवाओं के लिये शहीदे आजम एक बड़ी प्रेरणा बने हुए है। उनका देशभक्ति का गीत ‘‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’’ आज भी हमें देशभक्ति के भाव से भर देता है। सहयोग एक प्रयास की अध्यक्षा विजय चैहान को मुख्यमंत्री का सम्मान दिये जाने पर संस्था की ओर से स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। नन्ही बच्ची आलिया जुनेजा ने ‘‘तेरी मिट्टी में मिल जाऊ-गुल बनके मैं खिल जाऊ’’ के गीत पर नृत्य कर सभी का मन मोह लिया। सभी ने मिलकर ‘मेरा रंग से बसंती चोला8 का गीत मस्ती के साथ गाया। संस्था के संरक्षक नवीन पिपलानी को इदिरा गांधी विश्वविद्यालय का उप रजिस्ट्रार बनने पर सभी ने बधाई दी। कार्यक्रम में मुख्यातिथि व साथियों को स्मृति चिह्न व प्रशिस्त पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्यतः शिक्षाविद् राजेंद्र सिंह यादव, परवीन गुप्ता, लोकेश भारद्वाज, राजेंद्र गेरा, सोनिया कपूर, प्रीति, पूर्वांशी, ओजस्वी, कपिल कपूर, अशोक जुनेजा, मदन लाल बत्रा, आशु आहुजा, किशोरीलाल नंदवानी, सुनीता नंदवानी, नरेश मेहंदीरता, सर्वेश अरोड़ा, परमानंद वसु, अमरपाल शास्त्री व साथियों ने सहयोग किया।

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