हरियाणा की सभी 21 हजार 326 सीएससी को नोटिस, अवैध वसूली मिली तो सीधे बंद होगी

सच यह भी है कि सीएससी संचालकों को सरकार का सिस्टम भ्रष्ट बना रहा है


रणघोष अपडेट. हरियाणा

 दैनिक रणघोष की 27 दिसंबर को प्रकाशित खबर रिपोर्ट हरियाणा में सीएससी सेंटर पर फ्री के नाम पर खेल, आमजन से रोज कई करोड़ों की अवैध वसूली पर बड़ा एक्शन हो गया है। इन सीएससी को संचालित करने वाले हरियाणा मुख्यालय ने सभी 21 हजार 326 सेंटरों को लिखित में नोटिस के साथ गाइड लाइन जारी की है। जिसमें तुरंत प्रभाव से सख्ती से अमल करने के दिशा निर्देश जारी किए हैं। जारी नोटिस में कहा गया है कि नागरिक सुविधा सीएससी, वीएलई या एएसके अटल सेवा केंद्र का मुख्य उद्देश्य है। राज्य सरकार के सख्त निर्देशों के अनुसार वीएलई को राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित ओर अधिसूचित मूल्य सूची का पालन करना चाहिए। ई श्रम, आयुष्मान भारत केंद्र सरकार की स्कीम है। ये स्कीम आम नागरिक के लिए फ्री है। इस स्कीम में पैसा लेता हुआ पाया गया तो तुरं प्रभाव से उसे बंद कर दिया जाएगा। इसी तरह सीएससी अपने निर्धारित स्थानों पर ही सेंटर चलाए। गाइड लाइन की पालना नहीं करने पर उसकी आईडी को निलंबित व वीएलई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह नोटिस रणघोष में प्रकाशित समाचार से बचे हड़कंप के बाद जारी किया गया है। स्वयं मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों ने इसे माना है।

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  सच यह भी है कि सीएससी संचालकों को सरकार का सिस्टम भ्रष्ट बना रहा है

सीएससी केंद्रों पर सभी कार्य पूरी ईमानदारी एवं पारदर्शिता के साथ होने चाहिए। यह केंद्र एवं राज्य सरकारों का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यहां तक यह बात समझ में आती है ऐसा होना ही चाहिए। इस सवाल का जवाब देने से अधिकारी बच रहे हैं कि सरकार की तरफ से आमजन के लिए जितने भी स्कीमें सीएससी के माध्यम से पहुंचाई जा रही है। उसका पूरा मेहनताना अभी तक सीएससी संचालकों को क्यों नहीं मिला है। इसमें केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सम्मान निधि की 10 वीं किश्त आनी है। दो साल से सीएससी संचालक इस कार्य को कर रहे हैं आज तक लगभग सभी जगह इन्हें डाटा एंट्री करने का निर्धारित मानदेय नहीं मिला है। इसी तरह परिवार पहचान एवं वर्तमान में युद्ध स्तर पर चल ई श्रम कार्ड बनाने की राशि भी ऊट के मूंह में जीरा लायक भी जारी नहीं हो रही है। एक सीएससी संचालक ने दिन रात मेहनत करके नि:शुल्क 1550 ई श्रमिक कार्ड बनाए इसके बदले उसके खाते में 11 रुपए 42 पैसे आए।  यह किसी मेहनत के साथ मजाक नहीं तो क्या है। इसी तरह एक सीएससी द्वारा  15 हजार से ज्यादा परिवार पहचान पत्र बनाने के बाद उसके खाते में मेहनताना के तौर पर महज 7500 रुपए आए हैं। जबकि सरकार ने परिवार पहचान पत्र बनाने के लिए 20 रुपए प्रति एंट्री की राशि तय की थी। प्रत्येक सीएससी संचालक इसी जर्जर ओर लाचार सरकारी सिस्टम के बीच लड़ रहा है। ऐसे में उसे अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए आमजन से निर्धारित राशि से ज्यादा वसूली करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जब अवैध वसूली को लेकर खुलासा किया जाता है तो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए बजाय सिस्टम को ठीक करने के नोटिस जारी कर देता है। ऐसे में सरकार को सीएससी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ साथ अपने सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए सीएससी संचालकों का मानदेय भी समय पर जारी करना चाहिए।

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