हर मौत का कातिल कोरोना है तो फिर लाखों मरीजों के

 शरीर में नकली रेडमेसिविर इंजेक्शन लगाने वालों को क्या कहेंगे..


    अस्पतालों में हो रही मौतों पर कोविड-19 की मोहर लगाकर खुद को आसानी से बचाने वाले दवाओं के दलालों के साथ मिलकर इलाज करने वाले डॉक्टरों का खुलासा करने का समय आ चुका है। इस पर खामोश रहना खुद को एक लाश में तब्दील करने के अलावा कुछ नहीं होगा, जागना पड़ेगा, नहीं तो कीमत चुकाने के लिए तैयार रहिए। 


eqwewqeweरणघोष खास. प्रदीप नारायण


कोरोना काल बनकर सभी की नजरों में होने वाली मौतों का कातिल बन चुका है। यह सोचना अगर पूरी तरह से सत्य है तो फिर इस दौरान देशभर में जब्त किए जा रहे लाखों नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन को बेचने वाले और लगाने वालों को क्या कहेंगे। दो दिन पहले हरियाणा के रेवाड़ी में बरामद किए गए 200 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के खुलासे से पूरे देश के अस्पतालों में कोरोना मरीजों की हो रही मौतों के असल सच को समझने और सामने लाने का समय आ चुका है। अस्पतालों में आईसीयू, वेंटीलेटर और आक्सीजन के साथ मरीजों को बचाने में लगी डॉक्टर्स और उनकी पूरी टीम क्या सच में कोरोना योद्धा बनकर लड़ रही है। पूरा भरोसा करते हैं तो फिर इन सवालों का जवाब क्यों नहीं मिल रहा कि मरने वालों में आधे मरीज ऐसे भी थे जब वे घर से अस्पताल पहुंचे तो नार्मल थे। भर्ती होने के कुछ दिन बाद स्वस्थ्य होने की बजाय उनकी लाश बाहर आई ओर साथ में लाखों रुपए का बिल। हम किसी सूरत में हो रही मौतों के लिए पूरी तरह डॉक्टर्स को जिम्मेदार हरगिज नहीं मान रहे हैं लेकिन लाखों नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन ने मरीजों के शरीर में जाकर क्या खेल किया होगा। इसे अनदेखा कैसे कर सकते हैं। जब इंजेक्शन सप्लाई करने वाले दलालों का खुलासा हो रहा है तो हमारे डॉक्टरों में गुस्सा क्यों नहीं आ रहा। इनके संगठन आगे क्यों नहीं आ रहे कि इस पवित्र पेशे को दागदार करने वाले  दलालों ने किस किस अस्पतालों में इसे सप्लाई किया था। क्या सारी जांच पुलिस या जंग खा चुका हमारा सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम ही करेगा जिस पर आंख मूंदकर भरोसा करना ही एक ओर मौत जितना दर्द सहन करना  जैसा होगा। रेवाड़ी में पकड़े गए दलाल सत्यनारायण कई सालों से शहर के अलग अलग अस्पतालों में अपना मेडिकल स्टोर चला रहा है। उसके पास अच्छे खासे अस्पतालों का दवा सप्लाई करने का नेटवर्क है।  यहां तक की उसके परिजनों की भी कुछ अस्पतालों में स्टोर है। जाहिर है यह दलाल बहुत पहले से अपने पूरे नेटवर्क से डॉक्टरों के साथ मिलकर मौत का नंगा नाच कर रहा था। जब अस्पतालों में यह इंजेक्शन पहुंचा होगा, इसकी कीमत भी लगी होगी। कितना मरीज के परिजनों से वसूलना है और कितना आपस में बंटेगा। अस्पताल ने महज एक इंजेक्शन से एक झटके में कितनी मोटी कमाई की होगी। यह कोविड मरीजों के बने बिल और अस्पतालों के रिकार्ड से सामने आएगा। सोचिए क्या नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से किसी की जाच बच सकती है। हरगिज नहीं। ऐसा संभव नहीं है जब डॉक्टर्स इन दलालों से इस इंजेक्शन की सौदेबाजी कर रहे होंगे तो क्या उन्हें अहसास नही होगा कि एक इंजेक्शन उन्हें 50 हजार से एक लाख रुपए एक झटके में कमाकर दे रहा है तो सप्लाई करने वाला कितना खेल कर रहा होगा। इंजेक्शन लगाते समय डॉक्टर्स या उसकी टीम के हाथ क्या कांपे होंगे। उनकी आत्मा उन्हें धिक्कार रही होगी। नहीं अगर ऐसा तो इलाज करने वालों में कोई तो सामने आता। इसलिए अब चुप रहना खुद को एक लाश में तब्दील करना है। नकली दवाईयां एवं इंजेक्शन का खेल करने वाले एक- एक जिंदा इन इंसानी वायरसों को सामने लाकर जड़ से खत्म करने का समय आ गया है। अगर जागे नहीं है तो जाग जाइए। मत भूलिए असमय दम तोड़ रहे लोगों के परिजनों व मासूम बच्चों की चीख, श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए लगी कतारें, जलती चिताओं से उठती लपटें, नदियों में तैर रही इंसानी लाशों पर मंडराते चील-कौवों का भयावह नजारा आपको जीते जी नहीं सोने देगा। यह समय मानवता और इंसानियत को बचाने का है।

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