हीटवेव्स के चलते 1971 से अब तक 17000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। शीर्ष मौमस विज्ञानियों की टीम ने एक स्टडी के बाद यह दावा किया है। इस पेपर में 1971 से लेकर 2019 तक की हीटवेव्स की घटनाओ को शामिल किया गया है। इसके मुताबिक देश में अब तक 706 बार हीटवेव्स का सामना किया जा चुका है। स्टडी के मुताबिक एक्सट्रीम वेदर कंडीशंस के चलते 1971 से अब तक भारत में 141,308 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से 17, 362 हीटवेव्स का शिकार हुए हैं। अत्यधिक खराब मौसम के चलते हुई मौतों में 12 परसेंट जानें हीटवेव्स ने ली हैं।
यह स्टडी उस वक्त आई है जब अमेरिका और कनाडा में हीटवेव्स के चलते कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। वहीं उत्तर भारत के मैदानों में तापमान 40 डिग्री से ज्यादा है। इतना ही नहीं, पहाड़ों में भी गर्म हवा महसूस की जा रही है। स्टडी के मुताबिक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उड़ीसा में हीटवेव्स के चलते सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। यह रिसर्च पेपर यूनियन मिनिस्ट्री आफ अर्थ् साइंसेस में सेक्रेटरी एम राजीवन ने सांइटिस्ट कमलजीत रे, एसएस रे, आरके गिरी और एपी डिमरी के साथ मिलकर लिखा है। इस साल की शुरुआत में प्रकाशित हुई इस रिसर्च के कमलजीत रे मुख्य लेखक हैं।
हीटवेव्स डिक्लेययर करने के कई पैमाने हैं। मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री सेल्सियस पहुंचने पर हीटवेव्स डिक्लेयर की जाती हैं। वहीं समुद्र तटीय इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंचने पर हीटवेव्स की घोषणा की जाती है। अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंचने के बाद भी हीटवेव्स की घोषणा की जा सकती है।