-आईजीयू को इस समय इलाज की जरूरत
रणघोष खास. प्रदीप नारायण
अपनी स्थापना के 10 साल पूरा कर चुकी इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी मीरपुर, रेवाड़ी, हरियाणा तीन वजहों से सुर्खियों में बनी रहती हैं। पहला यह विवि आज तक जमीन पर अपने कदमों से नहीं चल पाया है लेकिन उसे वाही वाही के लिए रोज मीडिया में सुर्खियां बटोरने वाली खुराक चाहिए। दूसरा इस विवि के जन्म से लेकर आज तक एक भी जूनियर- सीनियर प्रोफेसर गर्व के साथ यह साबित नहीं कर पाए कि उसकी काबलियत ओर बेहतरीन सोच से विवि को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली हो। तीसरा इस विवि की कार्यप्रणाली ओर लिए गए निर्णय बार बार यह इशारा करते रहे हैं कि यह विवि सही मायनों में सरकारी ठाठ बाट से समय गुजारने, सरकार व गवर्नर हाउस के समक्ष यस सर वाली हाजिरी लगाने में पीएचडी पूरी करने जा रहा है।
50 साल से ज्यादा उम्र वालों को पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई में दाखिला नहीं मिलेगा। इस एक निर्णय ने विवि को उम्रदराज, थका ओर बीमार बुजुर्ग की श्रेणी में खड़ा कर दिया है। विवि प्रबंधन का कहना है कि क्लास में उम्र दराज विद्यार्थियों की मौजूदगी से युवाओं की शिक्षा पर असर पड़ता है। सही मायनों में इस सोच ने शिक्षा को उम्र के तराजु में तोलकर उसे बौना बनाने का दुस्साहस किया है। 50 पार वो नहीं है जो अपने जीवन में नहीं पढ़ पाने के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए युवा सोच के साथ विवि में कदम रख रहे हैं। 50 प्लस वो है जो शिक्षा के स्वरूप में उम्र तलाशते हैं। कुल सचिव प्रमोद कुमार का यह तर्क युवाओं को शिक्षा की ज्यादा जरूरत है इसलिए 50 से अधिक आयु वालों के दाखिले पर रोक लगाई है। इस हिसाब से यूनिवर्सिटी में 50 साल से ज्यादा उम्र वाले सभी शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी घर बैठा देना चाहिए ताकि नौकरी के लिए दर दर भटक रहे बेरोजगार युवाओं के लिए जगह खाली हो जाए। इसी तरह घर से बुजुर्गो को भी बाहर निकाल देना चाहिए। उनकी वजह से घर में बच्चों का संपूर्ण विकास नहीं हो रहा है। कायदे से देखा जाए तो यह निर्णय यह बताता है कि समाज में 50 साल पार कर चुके लोग किसी काम के नहीं है। यह निर्णय लेने से पहले विवि को अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए थी। वो भूल गए कि उम्रदराज लोगों ने उम्र की हर सीमा को पार कर नया इतिहास लिखा है। कुछ माह पहले सीआई शिवासुब्रमण्यम ने. 93 साल की उम्र में इग्नु से मास्टर्स की डिग्री हासिल कर इग्नू के दीक्षांत समारोह के सबसे उम्रदराज स्टूडेंट बनने का इतिहास बनाया। उन्होंने 1940 के दशक में स्कूली पढ़ाई पूरी की थी.।1986 में वह 58 साल की उम्र में मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स से डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए थे. फिर 2020 में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया.। इसी तरह ग्युसेप पैटर्नो ने अपनी जिंदगी में काफी मुश्किलें देखी। बचपन में गरीबी देखी। जवानी में युद्ध और बुढ़ापे में कोरोना वायरस महामारी। इन सबके बावजूद वह 96 साल की उम्र में इटली के सबसे उम्रदराज ग्रेजुएट बन गए हैं । उन्होंने इटली के पालेर्मो शहर में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ पालेर्मो से इतिहास और दर्शन शास्त्र में ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। उम्मीद है इन शानदार उदाहरणों से आईजीयू सबक लेकर अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करेगी। इसके बावजूद भी अगर वह अपने निर्णय पर अडिग रहती है तो समझ जाइए कि नाई का उस्तरा गलती से किसी ओर के हाथ में आ गया है।