नए सोशल मीडिया नियम : व्हाट्स ऐप सरकार से नहीं छुपा पाएगा मैसेज, यूजर्स को सहूलियत और बहुत कुछ…

टि्वटर और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के लिए अब यह बताना जरूरी हो गया है कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई मैसेज पहली बार किसने भेजा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया कंपनियों, ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया पब्लिशर्स के लिए गुरुवार को नए दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें यह प्रावधान किया गया है। व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म एंड टू एंड इंक्रिप्शन देते हैं, यानी एक व्यक्ति ने दूसरे को मैसेज भेजा है तो वही दो लोग उसे देख सकते हैं, बीच में कोई भी तीसरा उस व्हाट्सएप मैसेज को नहीं देख सकता है। नए दिशानिर्देशों के बाद व्हाट्सएप जैसी कंपनियों को यह इन्क्रिप्शन तोड़ना पड़ेगा। सरकार जिस मैसेज के बारे में जानना चाहे, उससे जानकारी ले सकती है।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नए दिशानिर्देशों की जानकारी देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने कोई नया कानून नहीं बनाया है बल्कि मौजूदा आईटी एक्ट के तहत ही यह नियम बनाए गए हैं।

सोशल मीडिया कंपनियों की दो कैटेगरी होगी

इन नियमों में महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और नियमित सोशल मीडिया इंटरमीडियरी की अलग-अलग श्रेणी बनाई गई हैं। महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी किसे माना जाएगा अभी यह तय होना बाकी है। हालांकि मंत्री ने संकेत दिए कि 50 लाख से अधिक यूजर वाली कंपनियों को महत्वपूर्ण माना जा सकता है। उनके लिए दिशानिर्देश अधिसूचना जारी होने के 3 महीने बाद लागू होंगे। नियमित सोशल मीडिया इंटरमीडियरी के लिए यह नियम अधिसूचना जारी होने के साथ ही लागू हो जाएंगे।

भारत में कंपनी का ऑफिस और प्रमुख अधिकारी होना जरूरी

यूजर्स की शिकायतें दूर करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को कुछ निर्देश भी दिए गए हैंः-

-उन्हें चीफ कंप्लायंस ऑफिस नियुक्त करना पड़ेगा जो कंप्लायंस के लिए जिम्मेदार होगा। वह व्यक्ति भारत में ही होना चाहिए।

-कानून पालन कराने वाली एजेंसियों के साथ कोऑर्डिनेशन के लिए एक व्यक्ति नियुक्त करना पड़ेगा। वह भी भारत में ही होना चाहिए।

-शिकायतें दूर करने के लिए एक रेसिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर रखना पड़ेगा। उस अधिकारी का भी भारत में ही होना जरूरी है।

आपत्तिजनक कॉन्टेंट 24 घंटे में हटाना पड़ेगा

सरकार का कहना है कि इन दिशानिर्देशों का मकसद सोशल मीडिया के यूजर्स और दूसरी इंटरमीडियरी को अधिकार देना है। महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियों को भी चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी पड़ेगी। कंपनियों के लिए हर महीने कंप्लायंस रिपोर्ट भी प्रकाशित करना जरूरी होगा। भारत में कंपनी का ऑफिस होना जरूरी है। उसे अपनी वेबसाइट, ऐप या दोनों जगहों पर यह पता बताना पड़ेगा। किसी भी सोशल मीडिया पर अगर किसी के लिए कुछ आपत्तिजनक बातें कही गई हैं या तस्वीरें दिखाई गई हैं तो उन्हें 24 घंटे के भीतर हटाना पड़ेगा।

आपत्तिजनक मैसेज पहली बार किसने भेजा

सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि सोशल मीडिया कंपनी को जरूरत पड़ने पर यह पता लगाना पड़ेगा कि कोई मैसेज पहली बार किसने भेजा। सरकार का कहना है कि मैसेज में क्या लिखा है यह जानने में उसकी कोई रुचि नहीं है। वह सिर्फ यह पता लगाना चाहती है कि किसी गलत मैसेज की शुरुआत किसने की। सरकार देश की सुरक्षा और सार्वभौमिकता, कानून-व्यवस्था, बलात्कार या ऐसे मामलों में सोशल मीडिया कंपनी से मैसेज की शुरुआत करने वाले की जानकारी ले सकती है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी बनानी पड़ेगी

नेटफ्लिक्स, हॉट स्टार और अमेज़न प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म भी अब सरकार की स्क्रूटनी के दायरे में आ गए हैं। दिशानिर्देशों के मुताबिक ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल पोर्टल को भी ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम यानी शिकायतें दूर करने की व्यवस्था बनानी पड़ेगी। ओटीटी प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी बनानी पड़ेगी जिसका प्रमुख सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट का रिटायर्ड जज या इस क्षेत्र का कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति हो सकता है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म को अपने कंटेंट और सिनेमा का उम्र के हिसाब से वर्गीकरण करना पड़ेगा। यह वर्गीकरण 7 साल से अधिक, 13 साल से अधिक, 16 साल से अधिक और वयस्क चार श्रेणी में किया जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह इन प्लेटफॉर्म के लिए कोई सेंसरशिप लागू नहीं करने जा रही है। इन प्लेटफॉर्म को पैरेंटल लॉक की सुविधा भी देनी पड़ेगी।

डिजिटल न्यू मीडिया को भी कोड का पालन करना पड़ेगा

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ओटीटी और डिजिटल न्यूज़ मीडिया को अपने बारे में अपनी पूरी जानकारी देनी होगी। हम उनके लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं कर रहे हैं, हम सिर्फ उनसे सूचनाएं मांग रहे हैं। डिजिटल न्यूज़ मीडिया को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तथा केबल टेलिविजन नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट के कोड का पालन करना पड़ेगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *