मेरे माता-पिता का संघर्ष ही अब मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा बन गया है..

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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं


Sanjuरणघोष अपडेट. संजू की कलम से


मेरा नाम संजू है। स्कूल में 10 वीं की छात्रा हूं। पिता का नाम अमरदीप और माता जी का नाम संतोष देवी है। हम चार भाई बहन है। मम्मी- पापा ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है। मम्मी घर का पूरा काम संभालती  है और पापा काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहते हैं। वे हमारी पढ़ाई को लेकर बहुंत चिंतित रहते हैं। सबसे बड़ी बात घर में बेटियों को सबसे ज्यादा प्यार मिलता है। दोनो अपने बचपन के बारे में बताते  हैं कि उनका बचपन परिवार की जिम्मेदारियों को उठाते हुए बीत गया। मिठाई और पंसद का खाना किसी आयोजन या शादी ब्याह में ही मिलता था। पापा जब भी घर आते हमारे लिए कुछ ना कुछ लेकर आते। उन्होंने यह कभी नहीं बताया कि वे दिन भर कितनी मेहनत करते हैं। बस मम्मी से यही कहते हैं कि उनकी पढ़ाई में कोई परेशानी नहीं आए। जब हमने उनके जीवन पर लिखने को कहा गया तो वे भी एक पल के लिए हैरान हो गए थे कि किसी स्कूल में पहली बार इस तरह की अनूठी पहल शुरू की है। वे बहुत खुश हुए। उनके जीवन की कहानी में बहुत से उतार चढ़ाव आए जिसे मै लेख में नहीं लिख सकती लेकिन इसी बहाने उन्हें बेहद करीब से जानने का

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