गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य में कोविड-19 के बढ़ते मामलों का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की है। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा है कि हम सरकार की नीति से असंतुष्ट हैं। इसे ठीक करने की जरूरत है जिससे लोग इस महामारी से लड़ सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा इस पर क्या कार्रवाई की जाती है इसकी जांच के लिए वह गुरुवार 15 अप्रैल को बैठक करेगी। मुख्य न्यायधीश ने बढ़ते हुए कोरोना संक्रमण के मामलों को नियंत्रित करने का सुझाव देते हुए कहा कि शदियों में लोगों की संख्या 50 से कम हो सकती है। इसके अलावा लोगों की जांच के लिए हाउसिंग सोसाइटियों में बूथ बनाएं जा सकते हैं। सरकार नियंत्रण के लिए धार्मिक केंद्रों की मदद लें जो कोविड-19 देखभाल केंद्र / क्वॉरंटाइन सुविधा प्रदान कर सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए प्रयोग किए जाने वाले रेमेडिसविर इंजेक्शन इतनी अधिक कीमत पर क्यों बेच रही है। जब आप (एडवोकेट जनरल) कहते हैं कि मरीजों के लिए पर्याप्त बेड और ऑक्सीजन मौजूद हैं तो लोग लाइनों में क्यों लगे हुए हैं। किसी व्यक्ति को आरटी-पीसीआर परीक्षण की रिपोर्ट पाने के लिए लगभग पांच दिन लगते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि आप सही समय पर टेस्ट की रिपोर्ट नहीं दे पा रहे हैं। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने हाईकोर्ट को कोविड-19 स्थिति से निपटने के लिए गुजरात सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया। जिसपर कोर्ट ने कहा कि सरकार जो दावा करती है वास्तविकता उससे काफी अलग है। आप जो दावा कर रहे हैं स्थिति उससे बिल्कुल अलग है।