रणघोष की ग्रांउड रिपोर्ट: प्रदेश भाजपा में बदलता राजनीति रंग, दक्षिण हरियाणा पर सीधा असर डालेगा

सही समय पर कार्यकर्ताओं की नब्ज पकड़ अपनी मन की बात भी कह गए राव इंद्रजीत


 – राव के भाषण से निकले शब्दों यह साफ जाहिर हो रहा है कि वे केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह के हरियाणा में सक्रिय होने के बाद अपनी जमीनी ताकत को टटोलने के लिए अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के तौर तरीकों पर चल पड़े हैं।


रणघोष खास. प्रदीप नारायण


भाजपा में 8 साल के हुए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पार्टी में जिदंगी गुजारने वालों पर एक बार फिर भारी नजर आए। पंचकूला में भारतीय जनता पार्टी, हरियाणा की कार्यकारी परिषद में राव का 40-42 साल का तर्जुबा पूरे तौर तरीके एवं सलीके के साथ नजर आया। भाजपा में यह किसी भी नेता के लिए यह कहना आसान नहीं होता कि हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए जब हम मैदान में उतरे तो लोग हमें मोदी के नाम पर वोट देंगे। इसकी कोई गारंटी नहीं है। मंशा होगी शायद मोदी के नाम पर वोट दे लेकिन वोट कौन डलवाएगा भाजपा का जमीनी कार्यकर्ता जो अनुशासन के नाम पर इस तरह के आयोजन में खामोश रहता है। उसकी पीड़ा को नहीं समझा गया तो हम तीसरी बार कैसे वापसी करेंगे। इस पर गंभीरता से मंथन करना होगा।

राव ने यह कहकर सीएम मनोहरलाल की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया कि अफसरशाही पूरी तरह से हावी है। कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है। इतना ही नहीं राव ने प्रदेश स्तर की इस मीटिंग में एक साथ कई तीर छोड़े जो सही निशाने पर लगे। पहला सही समय पर कार्यकर्ताओं की हो रही अनदेखी की असल नब्ज को पकड़ गए। राव अपने इस बेबाक बोल से हरियाणा के उन कार्यकर्ताओं में भी अपनी जगह बना गए जो उनकी राजनीति सीमा से बाहर आते थे। दूसरा 23 सितंबर को शहीद सम्मान समारोह में उन्होंने पार्टी एवं सरकार पर जो हमला किया था उसके आ रहे साइड इफेक्ट को भी बेअसर करने में काफी हद तक कामयाब नजर आए। इसलिए उन्होंने बातों ही बातों में इस बात के लिए भी माफी मांग ली कि उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं साफ सुथरी बात कहना था। इसमें कोई दो राय नहीं की इस मीटिंग में इस भाषण से राव का पार्टी के भीतर डगमगाता वजूद कुछ हद तक संभला है। ऐसे बहुत कम अवसर होते हैं जब अपनी बात कहने का सही समय पर इस तरह का सही प्लेटफार्म मिल जाए। सबसे बड़ी बात राव इंद्रजीत कार्यकर्ताओं में यह मैसेज देने में कामयाब हो गए कि वे जमीनी राजनीति करते हैं इसलिए कार्यकर्ताओं का दर्द बखूबी जानते हैं। राव जब बोल रहे थे उसी दौरान सीएम मनोहरलाल मौजूद नहीं थे। राव के भाषण पर गौर किया जाए तो उन्होंने किसी भी स्तर पर प्रदेश सरकार के काम करने के तौर तरीकों की तारीफ नहीं की उल्टा नसीहत देते रहे जबकि पीएम नरेंद्र मोदी के आर्टिकल 370, वन रैंक वन पेंशन, ट्रिपल तलाक, कोविड-19 में 80 करोड़ लोगों का भोजन प्रबंध , आयुष्मान योजना, ढाई करोड़ पक्के घर बनाना और 99 प्रतिशत घरों में एलपीजी गैस का कनेक्शन, नेशनल हाइवे विस्तारीकरण देने समेत अनेक योजनाओं की जमकर सराहना की। राव यह कहने में भी सफल हो गए कि वे सीधी सपाट राजनीति करने में यकीन करते हैं इसलिए जो कुछ भी कहना होता है सार्वजनिक मंचों पर कह डालते हैं। राव इंद्रजीत को यह अच्छी तरह पता है कि भाजपा में इस तरह की संस्कृति नहीं है लेकिन वे खुद को पैराशूट की राजनीति की कतार में खुद को खड़ा नहीं होने देना चाहते। इसलिए जब कांग्रेस में थे उस समय भी यहीं मिजाज था। राव को पता है कि उनके समर्थकों में उनका यहीं अंदाज ही उन्हें राजनीति में जिंदा रखेगा। अगर इससे समझौता कर लिया तो उनकी राजनीति जमीन सिकुड़ती चली जाएगी। राव के भाषण से निकले शब्दों यह साफ जाहिर हो रहा है कि वे केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह के हरियाणा में सक्रिय होने के बाद अपनी जमीनी ताकत को टटोलने के लिए अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के तौर तरीकों पर चल पड़े हैं। हरियाणा की राजनीति इस बात की गवाह है की  राव बीरेंद्र सिंह ने जितने समय राजनीति की अपने वसूलों व दम पर की। दूसरा राव भी यह मान चुके हैं कि पार्टी के अंदर प्रदेश स्तर पर उनका विरोधी धड़ा पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है। इसलिए मौजूदा हालात एवं भविष्य की राजनीति में अपनी बेटी आरती राव को स्थापित करने के लिए अगर कोई जोखिम भी लेना पड़े उसके लिए भी वे मानसिक तौर पर खुद को तैयार करने में जुट गए हैं। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में होने जा रहे छोटे- बड़े स्तर के चुनाव में भाजपा विपक्षी दलों के साथ साथ अपनी पार्टी के अंदर भी दो दो हाथ करती नजर आएगी इसकी पटकथा अभी से  लिखना शुरू हो गई है।

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