रणघोष खास रिपोर्ट

कितना खतरनाक है शहर के बीच कूड़े का पहाड़ ?


कूड़े के पहाड़ के नीचे से चीखने की आवाजें आ रही थीं, लेकिन जहरीली गैसों के कारण कोई पास नहीं जा पा रहा था. मनीला में हुए हादसे में लगभग हजार मौतें हुईं, जबकि सैकड़ों लोग गुमशुदा हो गए. इसी के बाद टर्म बना- वेस्ट स्लाइड. लैंडस्लाइड की तरह ही इसमें भी पहाड़ दरकते हैं, लेकिन इंसानी गलतियों के कारण.


लगभग 65 मीटर ऊंचे कूड़े के इस पहाड़ के कारण वैसे तो आए-दिन छिटपुट हादसे होते हैं, लेकिन क्या हो अगर एक रोज ये पूरा का पूरा गिर पड़े? देश-दुनिया में ऐसी दुर्घटनाएं कई बार हो चुकीं.

कोशे गारबेज लैंडस्लाइड
इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में मार्च 2017 को अफरातफरी मच गई. दरअसल यहां कूड़े का पहाड़ गिर पड़ा था, जिसके नीचे सैकड़ों लोग दबे हुए थे. मलबा हटाने के दौरान जहरीली गैस निकलने लगी. राहत कार्य ठप पड़ा हुआ था. धीरे-धीरे लोग निकाले जा सके. काउंटिंग शुरू हुई तो पता लगा कि 120 से ज्यादा लोगों की कचरे के नीचे मौत हो चुकी. वैसे ये डेटा पक्का नहीं. स्थानीय लोगों का अंदाजा है कि इससे कहीं ज्यादा लोग मारे गए.

इसे कोशे गारबेज लैंडस्लाइड कहा गया. पहाड़ों के दरकने के हादसे तो होते हैं, लेकिन इंसानी गलतियों के कारण अब कूड़े के ढेर के भी पहाड़ खड़े होने लगे. अब पहाड़ हैं तो गिरेंगे भी. कोशे लैंडस्लाइड इसी का उदाहरण है. दुनिया के सबसे खतरनाक कूड़े के पहाड़ों में शामिल कोशे के बारे में थोड़ी जानकारी.

इथियोपिअन भाषा में कोशे को मतलब है गंदगी
राजधानी अदीस अबाबा के दक्षिण-पूर्व में खड़े इस पहाड़ की जगह पहले सपाट जमीन थी, जहां अक्सर स्थानीय लोग अपने मृत जानवरों को जलाया या दफनाया करते. साल 1964 में राजधानी का कचरा एक जगह जमा करने की जरूरत महसूस हुई, जिसके बाद ही ये साइट तैयार हुई. वैसे तैयार तो क्या हुई, बस एलान कर दिया गया और नगरपालिका कचरा लाकर यहां जमा करने लगी.

लगभग 88 एकड़ एरिया में कचरा जमा होने लगा
आसपास कोई फेंसिंग भी नहीं थी, जो लोगों को पास आने से रोक सके. बच्चे इसके पास आकर खेलते. बहुत से पशु जहरीली चीजें खाने से मरने लगे. तब नब्बे के दशक में इसपर पहली बार बात उठी, लेकिन कूड़ा बीनने वालों के भारी विरोध के बाद कोई एक्शन नहीं लिया गया.

कूड़े का ढेर बढ़ता हुआ 11 मार्च को गिर पड़ा
सैकड़ों लोग तुरंत ही उसकी चपेट में आ गए. दर्जनों मेकशिफ्ट घर और जानवर भी नीचे दब गए. स्थानीय लोगों समेत अफसर तुरंत एक्टिव तो हुए, लेकिन बदबू इतनी भयंकर थी कि मास्क लगाकर भी कोई पास नहीं जा पा रहा था. एक डर ये भी था कि कहीं मीथेन फटने पर बचाखुचा पहाड़ दोबारा न गिर पड़े. बता दें कि कूड़े की साइट्स पर अक्सर उसके भरभराकर गिरने की एक वजह भीतर ही भीतर जहरीली गैसों का जमा होना, और फिर उनका विस्फोट भी है.

कौन से खतरे लाता है कूड़े का पहाड़
यहां एक बार जानते चलते हैं कि कूड़े के ढेर का गिरना ही अकेला खतरा नहीं, बल्कि दूसरे कई नुकसान हैं. कचरे में कई किस्म की चीजें होती हैं. इसमें प्लास्टिक भी होगा, दवाएं-खतरनाक केमिकल भी, और खाना भी. ये सब मिलकर बैक्टीरियल ब्रेक-आउट पैदा करते हैं, जिससे जहरीली गैसें बनाती हैं, जैसे मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड. इनके अलावा कुछ प्रतिशत अमोनिया, नाइट्रोजन और हाइड्रोजन जैसी गैसें भी बनती हैं. ये अपने-आप में एक रिस्क है. इसके अलावा कूड़े में गैसों के जमा होने से गर्मी निकलती है. अगर इसके भीतर कोई फंस जाए, तो  हाइपरथर्मिया भी उसकी मौत की वजह बन सकता है.

दूसरे देशों में भी गिरता रहा है कूड़े का पहाड़ 
साल 2005 में इंडोनेशिया के जावा में इसी तरह की घटना में लगभग 150 लोग मारे गए और  71 मकान टूट गए. लुविगजाह नाम की साइट पर इकट्ठा इस कूड़े में काफी मात्रा में प्लास्टिक बैग्स भी थे. जांच के बाद माना गया कि प्लास्टिक से आई फिसलन के कारण ही लैंडस्लाइडिंग हुई.

पहली बार कैलीफोर्निया में हुआ था हादसा
नब्बे की शुरुआत से ही बहुत से देशों में लगातार ऐसे हादसे हो रहे हैं. इनमें छोटे-बड़े तमाम देश शामिल हैं. सबसे पहले साल 1988 में कैलीफोर्निया में ये देखा गया. तब पहली बार इसे वेस्टस्लाइड नाम मिला. इसके बाद ग्रीस, चीन यहां तक कि अमेरिका में भी ऐसे हादसे हुए. कुछ रिकॉर्डेड हैं तो कई का कहीं लेखा-जोखा नहीं.

हादसों के इतिहास में सबसे ऊपर
मनीला के पयातस में हुए हादसे को वेस्ट स्लाइड के इतिहास में सबसे बड़ी दुर्घटना माना जाता है. 10 जुलाई साल 2000 की सुबह पयातस में कूड़े का पहाड़ एकदम से गिरा और दर्जनों लोग भीतर दब गए. इसके बाद एक साथ कई चीजें हुईं. भीतर गैस का विस्फोट होने से आग फैलती गई, जिसकी चपेट में आसपास के घर आ गए. सरकारी डेटा बताता है कि हादसे में 218 लोग मारे गए और 3 सौ गायब हो गए. गुमशुदा लोगों के बारे में सरकार ने आगे कोई जानकारी नहीं दी.

कई जानकारों ने डेटा में हेरफेर का आरोप लगाते हुए कहा कि कचरे के ढेर में दबने और आग की चपेट में आकर कम से कम हजार मौतें हुईं. घटना के तुरंत बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जोसेफ इस्ट्रादा ने उस जगह कूड़ा जमा करने पर रोक लगा दी, लेकिन कुछ हफ्तों बाद ही साइट खोल दी गई क्योंकि मेयर को डर था कि कचरा अलग-अलग जगहों पर फेंकने से बीमारियां फैल सकती हैं.

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