गुरुग्राम से बावल तक मैट्रो चलने का रास्ता हुआ आसान
रणघोष खास. हरियाणा से
दैनिक रणघोष ने इस साल जुलाई से नवंबर तक ठंडे बस्ते में जा चुके गुरुग्राम से बावल- शाहजहांपुर रैपिड रेल प्रोजेक्ट से जुड़ी 50 से ज्यादा रिपोर्ट को प्रकाशित किया था। यहां तक की मुख्यमंत्री से लेकर दो केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव, राव इंद्रजीत, भाजपा केंद्रीय संसदीय बोर्ड समिति की सदस्या डॉ. सुधा यादव, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल, एचएसआईआईडीसी के तमाम बड़े अधिकारियों, डीसी रेवाड़ी समेत अनेक संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को दक्षिण हरियाणा के इतिहास की सबसे बड़ी सौगात से अवगत कराया था। इस पूरे मामले में एचएसआईआईडीसी की भूमिका पूरी तरह कटघरे में खड़ी रही। अधिकारियों ने मुआवजा नहीं मिलने के संदर्भ में एक सीएम विंडो का जवाब देते हुए यहां तक लिख दिया कि प्रोजेक्ट से संबंधित जमीनों को डी नोटिफाई कर दिया गया है यानि यह परियोजना शुरू होगी या नहीं इसकी कोई उम्मीद नहीं है। हैरान करने वाली बात यह थी कि 10 साल पहले से चल रही इस परियोजना को लेकर जमीन अधिग्रहण के तहत कई करोड़ों रुपए का मुआवजा भी किसानों को बांटा जा चुका था। यहां तक की राज्य के मंत्री एवं नेता भी निजी तौर पर यह मानकर चल रहे थे यह प्रोजेक्ट जल्दी सी अमल में आने वाला नहीं है। अब पिछले एक माह में सबकुछ तेजी से बदलता जा रहा है। यह प्रोजेक्ट अब एमआरटीएस से आरआरटीएस के पास आ चुका है। जिसके तहत अधिकारियों की एक टीम रेवाड़ी व आस पास क्षेत्रों में अधिग्रहित की गई जमीन की पैमाइश को लेकर दौरा कर चुकी है। मंगलवार को केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर एम्स के साथ साथ आरआरटीएस के तहत गुरुग्राम से बावल- शाहजहांपुर तक शुरू होने वाली मैट्रो का शिलान्यास करने का न्यौता देकर इस परियोजना को गति दे दी है।
किसानों के मुआवजा को लेकर प्रशासन की कार्रवाई तेज
इस परियोजना के तहत बहुत से किसानों का जमीन एवं स्ट्रक्चर का मुआवजा बकाया है। इसको लेकर जिला राजस्व विभाग 19 से ज्यादा बार रिमाइंडर एचएसआईआईडीसी को भेज चुका है। खुद उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। किसान मुआवजा को लेकर पिछले कई माह से सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अधिकारियों की माने तो उम्मीद है कि जनवरी माह में कभी भी किसानों का बकाया मुआवजा आ सकता है। अब इसमें कोई देरी नहीं होगी। यहां बता दें कि रेवाड़ी- धारूहेड़ा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खालियावास, ढुंगरवास, मसानी गांवों के किसानों की इस परियोजना के विस्तारीकरण हेतु एचएसआईआईडीसी द्वारा जमीन अधिग्रहण की गई थी। जिसके तहत 2018 में इस परियोजना के तहत जिला रेवाड़ी का कुल मुआवजा 201 करोड़ 53 लाख 62 हजार 130 रुपए अवार्ड हुआ। जिसमें 120 करोड़ रुपए जमीन के नाम पर किसानों को जारी कर दिए। उस पर बने स्ट्रक्चर का मुआवजा का अवार्ड भी 8 सितंबर 2021 को जारी कर दिया गया था लेकिन अभी तक मुआवजा जारी नहीं हो पाया था।
ऐसा होगा इस परियोजना का स्वरूप
दिल्ली के लोगों के लिए दिल्ली मेरठ कोरिडोर जल्द ही ट्रायल रनिंग शुरू कर लेगा इसके साथ ही दिल्ली एसएनबी (शाहजहांपुर–नीमराणा–बहरोड) कारिडोर अब दिल्ली और हरियाणा के बीच यात्रा करने वाले लोगों के लिए 107 किलोमीटर का लंबा कॉरिडोर होगा जिसका निर्माण केंद्र मैं सरकार की मंजूरी के बाद इसकी पूर्व गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं.यह पूरा प्रोजेक्ट रीजनल रेल ट्रांजिट सिस्टम अर्थात आरआरटीएस पर ही आधारित होगा जिसमें तेज गति से अधिक दूरी तय करने की क्षमता होगी जिससे ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम समय में ढोया जा सकेगा.
आपको बताते चलें कि इस पूरे कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में दिल्ली हरियाणा और राजस्थान सरकार अपनी स्वीकृति दे चुकी है. इसके जरिए यह रैपिड रेल ट्रांसिट सिस्टम दिल्ली से लेकर हरियाणा और राजस्थान तक के एनसीआर में आने वाले इलाकों के लिए वरदान साबित होने जा रहा है.
शुरू हो चुका है काम.
अब समय का सदुपयोग करते हुए एनसीआर परिवहन निगम ने कॉरिडोर के मार्ग में आने वाले बाधाओं को पहले से ही सुविधाजनक बनाना शुरू कर दिया है जिसमें की कई जगहों पर सड़कें बनाई गई हैं तो कई जगहों पर जहां पर काम होना है वहां पर सड़कों को पहले से ज्यादा चौड़ी कर दी गई है ताकि लोगों को कार्य होने के उपरांत भी आवाजाही में दिक्कत ना हो. अब कारिडोर के लिए मुख्य परियोजना प्रबंधक का कार्यालय गुरुग्राम और दिल्ली में स्थापित कर लिया गया है और इंजीनियरों की नियुक्ति भी कर ली गई है।
एक नजर में दिल्ली-एसएनबी कारिडोर
107 किमी लंबे दिल्ली–गुरुग्राम–एसएनबी कारिडोर में 35 किमी का हिस्सा भमिगत होगा और इसमें पांच स्टेशन होंगे। शेष 71 किमी का भाग एलिवेटेड होगा और इसमें 11 स्टेशन बनेंगे। यह कारिडोर दिल्ली के सराय काले खां से शुरू होगा और अन्य दो आरआरटीएस कारिडोर के साथ इंटरओपरेबल होगा जिसमे यात्रियों को एक कारिडोर से दूसरे कारिडोर मे जाने के लिए रेल बदलने की जरूरत नहीं होगी।
ये होंगे 16 स्टेशन
RRTC कॉरिडोर के लिए (गुरुग्राम) मानेसर पहाड़ी के अंडरग्राउंड बनेगी सुरंग, 5 स्टेशन होंगे भूमिगत
आरआरटीएस (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) के दिल्ली सराय रोहिल्ला से शाहजहांपुर–निमराना–बहरोड़ तक 106 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर को लेकर वन विभाग की एनओसी लेने की प्रक्रिया चल रही है। जिसके तहत इस कॉरिडोर के मानेसर इलाके में अरावली पहाड़ी के नीचे से विकसित किया जाएगा। इसे लेकर वन विभाग ने एनओसी देने के लिए सर्वे पूरा कर लिया है।
इस कॉरिडोर के तहत अरावली की विलायती बबूल के लगभग 300 पेड़ काटे जाएंगे, इसलिए प्रत्यारोपण का कोई झंझट नहीं है। हालांकि यह प्रक्रिया पिछले चार साल से चल रही है। इस कॉरिडोर के बनने से औद्योगिक क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इस योजना के पहले चरण में दिल्ली के सराय काले खां से गुड़गांव होते हुए राजस्थान में एसएनबी (शाहजहांपुर–निमराना–बहरोड़) तक कॉरिडोर विकसित किया जाना है। फिलहाल निर्माण से पहले की गतिविधियां चल रही हैं।
IMT चौक से सहरावन तक 2.5 KM होगी भूमिगत
ट्रेनों के चलने से अरावली पहाड़ी क्षेत्र के वन्य जीव प्रभावित ना हों, इसके लिए मानेसर इलाके में कॉरिडोर आइएमटी चौक से लेकर सहरावन तक लगभग ढाई किलोमीटर अंडरग्राउंड विकसित किया जाएगा। इसे लेकर वन विभाग ने हर स्तर पर सर्वे कर लिया है।
सुरंग बनाकर कॉरिडोर विकसित किए जाने से वन्य जीव प्रभावित नहीं होंगे और पेड़ भी काटने से बचाए जा जा सकेंगे। गांव मानेसर से लेकर गांव सहरावन इलाके की अरावली पहाड़ी क्षेत्र में काफी संख्या में वन्य जीव रहते हैं। इसे देखते हुए आरआरटीएस कॉरिडोर योजना बनाने में वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर का ध्यान रखा गया है।
पांच स्टेशन भी होंगे भूमिगत
एनसीआरटीसी के मुख्य सूचना जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स का कहना है कि प्री कंस्ट्रक्शन गतिविधियां पूरी की जा रही है। अभी इस प्रोजेक्ट की भारत सरकार से अनुमति नहीं हुई है। इसलिए पहले के जितने भी कार्य हैं, वे जल्द पूरे किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 106 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर कुल 16 स्टेशनों में से पांच स्टेशन अंडरग्राउंड बनाए जाने हैं, दिल्ली, गुड़गांव व मानेसर में काफी लंबा कॉरिडोर अंडरग्राउंड बनाया जाना है। जबकि 11 स्टेशन एलिवेटेड होंगे।
आरआरटीएस विकसित होने के बाद दिल्ली से अलवर तक एक समान विकास दिखाई देगा। दिल्ली में काम करने वाले लोग अलवर तक रहने में संकोच नहीं करेंगे। प्रथम चरण का ही कार्य पूरा होने से दिल्ली–एनसीआर के ऊपर से ट्रैफिक का दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा।