शहर के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान आरकेएसडी कॉलेज को संचालित करती है समिति
आजीवन सदस्यों की 750 वोट काटने का आरोप
रणघोष अपडेट. कैथल से नरेश भारद्वाज
शहर की सबसे बड़ी संस्था आरकेएसडी शिक्षण संस्थान को संचालित करने वाली राष्ट्रीय विद्या समिति की कोर कमेटी पर गंभीर आरोप लगे हैं। यह आरोप कमेटी के 3 मौजूदा कॉलजियम मेंबरों ने लगाए हैं। इसको लेकर सदस्यों ने एक प्रेस वार्ता की गई। जिसमें राधा कृष्ण मित्तल, धर्मप्रकाश मित्तल, जयभगवान मित्तल, राकेश सर्राफ, सुरेश गोयल, श्याम गर्ग, रविभूषण गर्ग समेत अन्य ने कहा कि राष्ट्रीय विद्या समिति की नई कमेटी गठन को लेकर अगले साल चुनाव होना है। इसलिए मौजूदा कमेटी के पदाधिकारियों ने संस्था पर अपना कब्जा जमाने के लिए 750 से अधिक आजीवन वोटों को काटा गया है। इन वोटों को काटकर नई वोटें बनाई जा रही है। यह वोटें अपने लोगों की बना रहे हैं। ताकि आगामी चुनावों में ये सदस्य इनको वोट दें। इससे पूरी संस्था को कब्जाने का प्रयास किया जा रहा है। आरोप ये भी है कि कमेटी ने इस बात को लेकर कोई हाउस की मीटिंग नहीं रखी। जिससे साबित होता है कि संस्था को कब्जाने के लिए अंदर खाते पूरी रणनीति तैयार की गई है। गौरतलब है कि आरकेएसडी शिक्षण संस्थान की स्थापना सन् 1954 में हुई थी।
कमेटी में है 3714 वोट, 21 हैं कॉलेजियम
फिलहाल राष्ट्रीय विद्या समिति में टोटल 3714 वोट हैं। इनमें से 21 कॉलेजियम हैं। आरोप ये लगाए हैं कि इनमें से बिना किसी कारण के 750 से अधिक वोटों को काटा गया है। जो नई वोट बनाई जा रही है, उनसे सिक्योरिटी के तौर पर 1 हजार रुपए फीस लेनी होती है, जबकि नए सदस्यों से 11 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। जबकि ऐसा नियमों में नहीं है। साथ ही इस समिति की 3714 वोटों से अधिक कोई वोट नहीं बना सकता। जब किसी सदस्य की मौत हो जाती है तो ही उसकी वोट काटी जाएगी। लेकिन सब कुछ इसके विपरीत हो रहा है। प्रेस वार्ता कर रहे मेंबरों ने मैनेजमेंट के सदस्यों पर वित्तीय घोटाला करने के भी आरोप लगाए हैं। इस पर राष्ट्रीय विद्या समिति कैथल के प्रधान साकेत मंगल ने कहा कि
समिति में जो भी काम किया जा रहा है, नियम व संविधान के अनुसार ही किया जा रहा है। समिति में करीब 3714 वोट हैं। इनमें से करीब 728 मेंबरों की मौत हो चुकी है। उनकी वोट काटी गई है। इसकी सूचना समिति की ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी की गई है। एक कॉपी रजिस्ट्रार कार्यालय में भी प्रेषित की गई है। जो सदस्य ऐसे आरोप लगा रहे हैं, वे किसी भी मीटिंग में हिस्सा नहीं लेते।
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