राजनीति में गर्माहट शुरू: अपने पिता के तरकश से आरती ने पहला तीर चला दिया है

 रेवाड़ी से चुनाव लड़ेगी, भाजपा टिकट दे या नहीं अब बात ही खत्म..


रणघोष खास. सुभाष चौधरी


केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने शुक्रवार को राजनीति के मैदान में पहली बार शानदार ओपनिंग करते हुए बॉल को दर्शकों की भीड़ में पहुंचा दिया है। आरती ने साफ कर दिया कि वह अपना पहला विधानसभा चुनाव रेवाड़ी की जमीन से लड़ेगी। भाजपा उसे टिकट देती है या नहीं। यह प्राथमिकता भी अब खत्म हो गई है। आरती के इरादों में पिता की सहमति होती है इसलिए इस सीट पर घमासान होना लाजिमी है। यहां गौर करने वाली बात यह रहेगी कि आरती का मुकाबला कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों से कम भाजपा के अंदर उन मजबूत दावेदारों से ज्यादा रहेगा जो कई सालों से विधायक बनने का सपना लिए अपना गणित मजबूत करने में लगे हुए थे।
आरती राव केएलपी कॉलेज प्रबंधन समिति के चेयरमैन अमित गुप्ता एवं नगर पार्षद दीपक अग्रवाल के विशेष अनुरोध पर शहर के बीएमजी मॉल में आयोजित कार्यक्रम में पहुंची थी। ऐसा लग रहा था कि आरती घर से ही यह तय करके चली थी कि उसने क्या बोलना है और बखूबी अपनी बात कहकर उसने एक तरह से विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी तस्वीर साफ कर दी। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत परिवार की यह खासियत रही है कि वे घुमा फिराकर बोलने की बजाय दो टूक अपनी सीधी सपाट बात रखना ज्यादा पसंद करते हैं। आरती चाहती तो रेवाड़ी से लड़ने की बात को कुछ समय के लिए मन में रख सकती थी लेकिन सोची समझी रणनीति के तहत अपनी मन की बात कह दी जिससे आने वाले दिनों में इस क्षेत्र की राजनीति का मिजाज अब तेजी बदलता नजर आएगा।
इस क्षेत्र में आज भी भाजपा से ज्यादा राव मजबूत
इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले 9 सालों से अधिक समय से सत्ता में होने के बावजूद इस इलाके में भाजपा अपना मजबूत आधार नहीं बना पाई है। यहां पार्टी से ज्यादा व्यक्ति विशेष का जनाधार रहा है। जिले की सभी खंड पंचायत समिति, जिला परिषद अध्यक्ष, नगर निकाय चेयरमैन राव के आशीर्वाद से बने हैं। यहां तक की नगर पालिका बावल से कांग्रेस समर्थित चेयरमैन वीरेंद्र सिंह महलावत ने भी जीत के बाद अपना राजनीति गुरु राव इंद्रजीत सिंह को बताया था। भाजपा में राव विरोधी तब तक मजबूत है जब तक हाईकमान राव की गतिविधियों से अंसतुष्ट नजर आता है। एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से वीडिया कांफ्रेस सांझा कर राव इंद्रजीत सिंह ने यह भी इशारा कर दिया कि दिल्ली में बैठे आला कमान में उनकी पैठ पहले से ज्यादा मजबूत हुई है। यहां बता दें कि संगठन के तौर पर भाजपा कोर कमेटी की सदस्या डॉ. सुधा यादव एवं भूपेंद्र यादव की गिनती राव विरोधियों के तौर पर रही है लेकिन दोनों नेता राव के खिलाफ कुछ भी टिप्पणी करने से बचते रहे हैं। सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात हरियाणा में भाजपा की पोजीशन पहले से ज्यादा कमजोर होती जा रही है। इसलिए वह गठबंधन से चाहकर भी किनारा नहीं कर पा रही है। ऐसे में जनाधार वाले नेताओं को किनारा करना उसके लिए आसान नहीं होगा।
राव की तरकश से आरती ने अभी पहला तीर चला दिया है
रेवाड़ी से लड़ने की बात कहकर आरती राव ने अपने पिता की तरकश से अभी एक ही तीर चलाया है। अभी उसने कई तीर संभाल कर रखे हैं। उसने जिस तौर तरीके से अपनी बात रखी उससे साफ झलक रहा था कि वह इस क्षेत्र की अंदर- बाहर की राजनीति को बखूबी समझ चुकी है। उसने लगे हाथ यह भी जता दिया है कि कोई उसे नासमझ ना समझे। वह पिता की राजनीति विरासत को संभालने का इरादा मजबूत बना चुकी है।
राव समर्थकों में इतनी ताकत नहीं वह अपनी नाराजगी जता सके
आरती के मैदान में उतरने से पहले राव अपने समर्थकों को अलग अलग सीटों पर टिकट दिलाते रहे हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने रेवाड़ी विधानसभा सीट पर अपने समर्थक सुनील मुसेपुर को टिकट दिलाकर कई दिग्गजों का गणित बिगाड़ दिया था। इस बार आरती के आने से उनके समर्थक उसी अंदाज में कदमताल करते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के मजबूत धड़े से लड़ेगी आरती
भाजपा से टिकट मिलने या नहीं मिलने की सूरत में भी आरती राव को कांग्रेस से पहले भाजपा के एक मजबूत धड़े से भी लड़ना होगा। इसमें हरियाणा टूरिजम के चेयरमैन अरविंद यादव, जमीनी ताकत रखने वाले रणधीर सिंह कापड़ीवास विशेष तौर से शामिल है। अरविंद यादव पार्टी के समर्पित सिपाही की तरह हैं उनके लिए संगठन का आदेश सर्वोपरि है। इसलिए वे हाईकमान के दिशा निर्देश पर ही अपनी निजी ताकत की दिशा तय करेंगे। 80 साल के करीब पहुंच चुके कापड़ीवास अपने भतीजे मुकेश कापड़ीवास के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। भाजपा हाईकमान में उनकी आज भी मजबूत पैठ है। समय समय पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव एवं डॉ. सुधा यादव से मिलता रहा सम्मान यह बताने के लिए काफी है कि कापड़ीवास को हलके में लेना आसान नहीं है। इसके अलावा भाजपा व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सतीश खोला रोज कार्यालय में जनता दरबार लगाकर मतदाता सूची की तरह अपनी समर्थक सूची तैयार करने में लगे हुए हैं। सूची कितनी असरदार होगी यह चुनाव के समय ही पता चल पाएगा।

One thought on “राजनीति में गर्माहट शुरू: अपने पिता के तरकश से आरती ने पहला तीर चला दिया है

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