कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी, सरकार के प्रस्ताव पर आज करेंगे मंथन, मनाएंगे धिक्कार दिवस

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 30वें दिन भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। इस बीच सरकार लगातार उनसे संवाद कर मनाने में जुटी है, कृषि मंत्री, गृह मंत्री और देश के प्रधानमंत्री लगातार कृषि कानून के फायदे बता रहे हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। संयुक्त किसान मोर्चा शनिवार को बैठक करेगा और सरकार के प्रस्ताव पर मंथन करेगा। वहीं 26 दिसंबर को ही किसान ‘धिक्कार दिवस’ मनाएंगे। किसानों ने ‘कार्पोरेट’ बहिष्कार की अपील की है। इसके अलावा 27 दिसंबर को किसान थाली बजाकर मन की बात का विरोध करेंगे। केंद्र सरकार की ओर से किसानों को फिर से चिट्ठी लिखकर बातचीत की टेबल पर लौटने की अपील की गई। चिट्ठी में कहा गया है कि वो सभी मुद्दों पर खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है, साथ ही एमएसपी के बारे में लिखित आश्वासन देने के लिए भी तैयार है। बुधवार को किसानों ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन की बात भी उठाई थी। इस पर सरकार की ओर से कहा गया है कि नई मांग रखना तर्कसंगत नहीं है, फिर भी इस पर चर्चा की जा सकती है। शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक हुई। सरकार के प्रस्ताव पर किसानों ने चर्चा किया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया। ऐसे में एक बार फिर किसान शनिवार को सरकार से बातचीत के लिए मंथन करेंगे कि सरकार से वार्ता करनी है या नहीं। किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत ने सरकार को बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर लेकर परेड में किसान जाएंगे। तिरंगे के साथ किसान ट्रैक्टर लेकर राजपथ पर जाएगा। देखते हैं किसानों को कौन रोकता है और कौन वॉटर कैनन चलाता है। अब तक किसानों और सरकार के बीच 6 राउंड की बातचीत हो चुकी है। इस बीत कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ‘जमीनी आधार खो चुके लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं।

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