डंके की चोट पर : आज पूरा विश्व किसान आंदोलन को देख रहा है और हम किसे देखे.

रणघोष खास. विश्वभर से


आज सोशल मीडिया की व्यापक पहुंच से किसान आंदोलन को दुनिया भर में बसे भारतीयों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। इसमें अमेरिका, कनाडा, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों में बसे या गए भारतीय शामिल हैं। विदेश में मौजूद आप्रवासी किसानों के समर्थन में ऑनलाइन अर्जियों पर दस्तखत कर रहे हैं। ब्रिटेन के 36 सांसदों ने वहां के विदेश सचिव डॉमिनिक राब को साझा पत्र लिखा कि भारत खासकर पंजाब और दिल्ली के मुहाने पर जुटे व्यापक किसान आंदोलन के प्रति ब्रितानी नागरिकों की चिंताओं को उचित मंच पर उठाया जाए। कनाडा में बड़ी संख्या में मौजूद पंजाबी मूल के वोटरों के मद्देनजर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में बयान जारी करने वाले दुनिया के पहले नेताओं में हैं। उन्होंने 4 दिसंबर को दोबारा किसानों का समर्थन दोहराया, “कनाडा हमेशा दुनिया के किसी भी कोने में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करता रहेगा। बातचीत की कोशिशों को देखकर हमें खुशी है।भारत ने कड़ी आपत्ति जारी कि कि कनाडा के प्रधानमंत्री की ये टिप्पणियां दोनों देशों के रिश्ते में खटास पैदा कर सकती हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 7 दिसंबर को कोविड-19 महामारी की रोकथाम की रणनीति तैयार करने के मकसद से कनाडा के नेतृत्व में विदेश मंत्रियों की बैठक का बहिष्कार किया। कनाडा के भारतवंशियों में पंजाब के मजबूत सांस्कृतिक संबंधों का ही असर था कि 5 दिसंबर को पुराने टोरंटो में भारतीय दूतावास के सामने किसानों के समर्थन में हजारों की संख्या में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। सासकातून में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया, और दक्षिण हालीफैक्स में 100 से ज्यादा वाहनों के जरिए लोगों ने कनाडा आव्रजन म्यूजियम पीयर 21 के सामने कार रैली निकाली।

अमेरिका में एनआरआइ और पंजाबी मूल के अमेरिकी नागरिक किसानों के समर्थन में लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तरी कैलिफोर्निया के यूबा सिटी और स्टॉकटन में सिख और पंजाबी मूल के लोग सैकड़ों की संख्या में किसान एकता रैली के लिए सड़कों पर आए। यह रैली 5 दिसंबर को ओकलैंड से सैन फ्रैंसिस्को स्थित भारतीय दूतावास तक निकाली गई। इंडियापोलिस में भी सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्र हुए। भारतीय वाणिज्य दूतावास की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों के कारण बेब्रिज जाम हो गया। किसानों के समर्थन में न्यूयॉर्क, शिकागो, वाशिंगटन डीसी और दूसरे अमेरिकी शहरों में भी प्रदर्शन किए गए।ब्रिटेन में सेंट्रल लंदन में मौजूद भारतीय उच्चायोग के सामने किसानों के समर्थन में हजारों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर ब्रिटिश सिख थे। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में भी 6 दिसंबर को भारतीय उच्चायोग से लेकर संसद भवन तक किसान रैली निकाली गई। उसके पिछले हफ्ते से ही किसानों के समर्थन में पूरे ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन और रैलियां की गई हैं। सिडनी में क्वेकर्स हिल, ब्रिसबेन में सिटी हॉल, मेलबर्न में फेडरेशन स्कवॉयर और केनबरा में भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन हुए। कुल मिलाकर पूरा विश्व किसान आंदोलन को देख रहा है। हम किसे देखे कोई बता सकता है।

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