केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध

 पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा ने 50 फीसदी सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं उतारे


केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध के बीच 14 फरवरी को पंजाब के स्थानीय निकायों में 8 नगर निगम और 109 नगर काैंसिल के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों और नेताओं को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। डर के चलते भाजपा ने करीब 50 फीसदी सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। भारी विरोध के चलते लुधियाना में कई उम्मीदवारों को अपने चुनाव प्रचार कार्यालय बंद करने पड़े। स्थानीय निकायों के लिए कुल 2215 वार्ड में से 1212 वार्ड ऐसे हैं जहां भाजपा के उम्मीदवारों ने पार्टी के चिन्ह पर चुनाव लड़ने से इनकार किया। 2215 वार्ड मंे सबसे ज्यादा कांग्रेस ने 2128, शिअद ने 1569 और भाजपा ने सबसे कम 1003 उम्मीदवार उतारे हैं। हालांकि अकाली दल से अलग होने के बाद भाजपा पहली बार चुनाव मैदान में उतरी है। इतने प्रत्याशी उतारना भी पार्टी अपनी उपलब्धि मान रही है, क्योंकि इससे पहले वह केवल 20% सीटों पर ही चुनाव लड़ती रही है। विधानसभा की भी 113 सीटों में से भाजपा केवल 23 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। आधी से भी कम वार्डों पर चुनाव लड़े जाने के सवाल पर भाजपा पंजाब के महासचिव सुभाष शर्मा का कहना है कि पार्टी ने पहले ही फैसला किया था कि ए, बी क्लास अौर नगर निगम का चुनाव चिन्ह कमल पर लड़ेगी। जबकि सी अौर नगर पंचायतों का चुनाव आजाद तौर पर। प्रदेश में किसी भी उम्मीदवार ने यह नही कहा कि वे पार्टी सिंबल पर नही,बल्कि आजाद लड़ेगा।जबकि वस्तुस्थिति यह है कि अकेले रोपड़ जिले में भाजपा के 150 आजाद प्रत्याशी मैदान में हैं जो बिना पार्टी सिंबल से लड़ रहे हैं। अन्य जिलों में भी भाजपा के आजाद उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा का राजनैतिक पतन : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य में शहरी स्थानीय निकाय की मतदान में 50 प्रतिशत सीटों के लिए भी उम्मीदवार न ढूँढ सकने के लिए भारतीय जनता पार्टी को घेरते हुए कहा कि किसानों के गुस्से का बुरी तरह से शिकार हुई भाजपा ने कांग्रेस के सर दोष मढऩे की कोशिश की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा को यह बात दीवार पर लिखी हुई पढ़ लेनी चाहिए कि पंजाब उसके पतन का कारण बनेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा को अपनी राजनैतिक गुमनामी में जाने की तैयारियाँ शुरू कर देनी चाहीए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा का अंत अब न सिफऱ् पंजाब में तय है, बल्कि केंद्र में भी अंत होना ही है, क्योंकि केंद्र के अत्याचारी राज का ख़ात्मा होने की कगार पर है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘लगभग 7 सालों में भाजपा ने हर हथियार इस्तेमाल कर मानवीय हकों के साथ-साथ देशवासियों के गौरव और इच्छाओं को भी बुरी तरह लताड़ा है, और अब लोगों की बारी आई है।’’मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि तथाकथित शहरी पार्टी राज्य के स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आधी से अधिक सीटों के लिए चुनाव लडऩे के लिए उम्मीदवार ही नहीं ढूँढ सकती, उससे यह कल्पना की जा सकती है कि यदि इन्होंने पंजाब के ग्रामीण क्षेत्र में चुनाव लडऩे का फ़ैसला कर लिया तो इनका हश्र कैसा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ आप सडक़ों पर देख रहे हो और जिसका दोष आप कांग्रेस के सिर मढ़ते हो, वास्तव में यह आपके किसान विरोधी अहंकारी रवैए के विरुद्ध किसानों में पैदा हुआ रोष है।’’ मुख्यमंत्री ने पंजाब भाजपा के उस दावे को भी रद्द किया कि आगामी नगर काउंसिल मतदान के लिए चुनाव मुहिम में विरोध करने वाले प्रदर्शनकारी किसान नहीं बल्कि कांग्रेसी वर्कर हैं। मुख्यमंत्री ने पंजाब की भाजपा नेताओं को पूछा, ‘‘क्या आप सचमुच यह सोचते हो कि पिछले कई महीनों से बिना किसी बात के किसानों के प्रति बदज़ुबानी करें और उनके लोकतांत्रिक और संवैधानिक हकों को मलियामेट करने के साथ आप बच सकते हो।’’ उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि अब भी सत्ता के नशे में डूबी भाजपा सत्य का शीशा देखने से आनाकानी कर रही है और किसानों की चिंताओं के हल के लिए बुरी तरह नाकाम रहने से अपनी, कमज़ोरियों पर पर्दा डालने के लिए बेतुकी बहानेबाज़ी का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी राजनैतिक लीडरशिप अपने ही नागरिकों के हितों को नकार कर लम्बा समय टिकी नहीं रही और काले कृषि कानूनों के रूप में भाजपा ने अपनी होनी आप ही बनाई है।’’

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा ‘‘आप (बीजेपी), अपने सहयोगी और अकालियों जैसी पूर्व सहयोगी पार्टी के साथ मिलकर उन्होंने किसानों के मुँह में से निवाला छीनने की साजि़श रची, जो आपका पेट भरते हैं और अब आप चाहते हो कि यह किसान हार पहनाकर आपका स्वागत करें?’’ उन्होंने कहा कि स्वभाविक तौर पर किसान भाजपा से नाराज़ हैं और भाजपा नेताओं पर अपना गुस्सा निकालने के लिए हरेक मौका देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि इन नेताओं के दौरे के दौरान पुलिस की ज़्यादा तैनाती न की जाती तो हालात सचमुच घतरनाक हो सकते थे। उन्होंने कहा कि भाजपा के खि़लाफ़ किसानों की नाराजग़ी के मद्देनजऱ जब भी भाजपा के नेता चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं तो पंजाब पुलिस द्वारा बड़ी संख्या में मुलाजि़म तैनात किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ख़ुद प्रबंधों की निगरानी कर रहे हैं।

भाजपा द्वारा चुनाव  प्रचार के लिए चुनावी हलकों में उनके नेताओं को जाने से रोकते समय पुलिस पर मूक दर्शक बने रहने के दोषों को रद्द करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की तरफ से ख़ुद पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने की शिकायत को देखते हुए यह बहुत हास्यप्रद है। किसी भी स्थिति में, अगर ऐसा होता तो भाजपा के मनोहर लाल खट्टर, जो हरियाणा सरकार और पुलिस को कंट्रोल करते हैं, को अपने मीटिंग वाले स्थान पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन का सामना न करना पड़ता। उन्होंने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि न सिफऱ् पंजाब पुलिस, बल्कि चुनाव आयोग (ई.सी.), जिस पर आप लगातार अपने मनघड़ंत और बेतुके इल्ज़ाम लगाते रहे हो, अपना काम सौहृदयता के साथ कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा के झूठों और निराधार दोषों में उनकी निराशा साफ़ ज़ाहिर हो रही है।

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