रणघोष अपडेट. हरियाणा
हरियाणा में लगभग सभी जिलों के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत सहायक प्रोफेसर में 292 के पास पीएचडी की फर्जी डिग्री होने के मामले में नया मोड़ आ गया है। गुरुवार को डिपार्टमेंट आफॅ हायर एजुकेशन हरियाणा ने इसकी विजिलेंस जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही संबंधित सभी कॉलेजों को ऐसे शिक्षकों की सूची भेजकर 31 जनवरी तक कारण बताओ नोटिस के तहत उनकी रिपोर्ट मूल दस्तावेज के साथ भेजने को कहा है। साथ ही चेतावनी भी दी है की अगर जानकारी में सत्यता को छिपाया गया तो उस पर भी तुरंत कार्रवाई होगी। यह सूची गुगल फार्म के माध्यम से भेजने को कहा है। यहा बता दे कीबड़े स्तर पर यह कार्रवाई पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही है जिसमें यूजीसी की तरफ से यह स्पष्ट किया गया है की तीन यूनिवर्सिटी से जिसने भी पीएचडी की उपाधि हासिल की है वह बोगस है। इसके आधार पर जिसने सरकारी नौकरी प्राप्त की है वह पूरी तरह से गलत है। इन यूनिवर्सिटी में सिंघानिया यूनिवर्सिटी झुंझुन, राजस्थान, ओपीजेएस चुरू यूनिवर्सिटी, राजस्थान एवं सनराइज यूनिवर्सिटी अलवर, राजस्थान शामिल है। हायर एजुकेशन की तरफ से जिन कॉलेजों को यह पत्र भेजा गया है। उसमें नारनौल कॉलेज में सबसे ज्यादा 25 सहायक प्रोफेसर की पीएचडी की उपाधि बोगस है। अकेले रेवाड़ी- महेंद्रगढ़ जिले के कॉलेजों में 92 मामले ऐसे सामने आए हैं।
यूजीसी ने 16 जनवरी को पब्लिक नोटिस जारी कर उक्त तीनों यूनिवर्सिटी की तरफ से कराई जा रही पीएचडी को पूरी तरह से बोगस करार कर दिया था। हाईकोर्ट में पहले से ही मंजूबाला एवं अदर्स, हरियाणा सरकार केस में इसी तरह का फर्जी डिग्री का मामला चल रहा था। जिसमें मंजूबाला की डिग्री को बोगस बताचा गया था। मंजूबाला ने कहा था की अकेले ही उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है। इस तरह की डिग्री प्राप्त कर सरकारी शिक्षण संस्थानों में सर्विस करने वालों की संख्या भी सैकड़ों की संख्या में है। लिहाजा उन पर भी समान तौर पर कार्रवाई की जाए। हायर एजुकेशन विभाग ने जब उक्त तीनों यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले सहायक प्रोफसर्स के दस्तावेजों की जांच की तो इनकी संख्या 292 तक पहुंच गईं। उधर हाईकोर्ट ने भी सरकार को नोटिस जारी कर पूरी रिपोर्ट मांग ली। इसी आधार पर यह इतना बड़ा खुलासा हुआ है। हायर एजुकेशन के निदेशक राहुल हुडडा की तरफ से सभी सरकारी कॉलेजों को 28 जनवरी को यह पत्र जारी किया गया है जिसमें दो दिन के अंदर इस तरह की डिग्री प्राप्त करने वाले सहायक प्रोफेसर्स के खिलाफ कार्रवाई के लिए 31 जनवरी तक रिपोर्ट देने को कहा है।