CJI संजीव खन्ना की पीठ ने तमिलनाडु के राज्यपाल RN रवि को वापस बुलाने की याचिका को तथ्यात्मक त्रुटियों के कारण खारिज कर दिया। पूरी जानकारी यहां पढ़ें!”
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज की राज्यपाल RN रवि को हटाने की याचिका?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 3 फरवरी 2025 को तमिलनाडु के राज्यपाल RN रवि को तत्काल हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यह याचिका संविधान के खिलाफ है और इसमें तथ्यात्मक त्रुटियाँ पाई गईं।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल RN रवि ने तमिलनाडु विधानसभा में अपना पारंपरिक अभिभाषण दिए बिना ही सदन से बाहर चले गए थे, जिससे राज्य की जनता का अपमान हुआ। इसी को आधार बनाकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति को राज्यपाल को हटाने का निर्देश देने की मांग की थी।
CJI संजीव खन्ना का बयान – जानें सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कहा:
🗣️ “हम संविधान से बंधे हुए हैं। हम ऐसी प्रार्थनाएँ स्वीकार नहीं कर सकते। याचिका में कानूनी और तथ्यात्मक गलतियाँ हैं, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि राज्यपाल को हटाने की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास होती है, न कि अदालत के पास।
RN रवि बनाम DMK – विवाद की पूरी कहानी
📌 क्या हुआ था विधानसभा में?
- 6 जनवरी 2025 को तमिलनाडु विधानसभा में राज्यपाल RN रवि को पारंपरिक अभिभाषण देना था।
- लेकिन DMK सरकार और राज्यपाल के बीच मतभेद के कारण वे बिना अभिभाषण दिए सीधे सदन से बाहर चले गए।
- इस घटना के बाद मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इसे “बचकाना हरकत” बताया।
📌 DMK और विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
- DMK और सहयोगी दलों ने राज्यपाल के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया।
- राज्यपाल पर तमिलनाडु के प्रतीकों और संविधान का अनादर करने का आरोप लगाया गया।
- DMK नेताओं ने कहा कि राज्यपाल को तुरंत हटाया जाना चाहिए क्योंकि वे निर्वाचित सरकार के फैसलों में बाधा डाल रहे हैं।
📌 राजभवन की सफाई
- राज्यपाल RN रवि ने कहा कि उन्होंने हमेशा “तमिल थाई वझथु” (राज्य गान) की गरिमा बनाए रखी है।
- उन्होंने दावा किया कि वे हर समारोह में तमिल संस्कृति का सम्मान करते हैं।
क्या कहता है भारतीय संविधान – राज्यपाल को हटाने की प्रक्रिया
संविधान के अनुसार राज्यपाल को हटाने की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास होती है।
🔹 अनुच्छेद 156 के तहत, राष्ट्रपति को राज्यपाल को बिना कारण बताए पद से हटा सकते हैं।
🔹 सुप्रीम कोर्ट या किसी अन्य संस्था के पास राज्यपाल को हटाने का अधिकार नहीं है।
👉 यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
इस फैसले का तमिलनाडु और राष्ट्रीय राजनीति पर असर
✅ DMK और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ेगा
✅ राज्यपालों की भूमिका पर फिर बहस होगी
✅ सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका, कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं दे सकती
✅ लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल इस मुद्दे को बड़ा बना सकते हैं
निष्कर्ष – सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों अहम है?
⚡ यह फैसला बताता है कि न्यायपालिका को संविधान के दायरे में रहकर ही काम करना होगा।
⚡ DMK और राज्यपाल के बीच तनातनी बढ़ सकती है, जिससे तमिलनाडु की राजनीति गरमाएगी।
⚡ आने वाले चुनावों में यह मुद्दा बड़ा हो सकता है, खासकर DMK और BJP के बीच संघर्ष के रूप में।
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