रेवाड़ी बार बार लक्ष्मण रेखा पार नही करने की कीमत चुका रहा है..
भाजपा के 48 विधायकों में 5 रेवाड़ी की माटी से निकले जबकि कांग्रेस सरकार में सबसे ज्यादा तव्वजो रेवाड़ी को मिलती रही है
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
हरियाणा में भाजपा के नए मंत्रिमंडल में एक बार फिर रेवाड़ी को उसकी मासूमियत, समर्पण ओर लगातार त्याग करने की भावना की कीमत चुकानी पड़ी। भारी भरकम प्रोफाइल होने के बावजूद यहां से विधायक लक्ष्मण यादव को एक बार फिर लंबे समय तक धैर्य ओर संयम बनाए रखने के लिए कहा गया है। वजह इससे पूर्व भी ऐसा करने की परंपरा दक्षिण हरियाणा की राजनीति को तय करने वाली इस सीट से चलती आ रही है। देखा जाए तो रेवाड़ी को जितनी तव्वजो कांग्रेस सरकार में मिली उससे उलट इसकी अनदेखी भाजपा के शासन में साफ तौर से नजर आ रही है। यहा बता दे की इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है। जिससे मुक्ति 2014 के चुनाव में भाजपा विधायक बनकर रणधीर सिंह कापड़ीवास ने दिलाईं। उस समय भी कापड़ीवास का हरियाणा सरकार में मंत्री बनना लगभग तय था लेकिन क्षेत्रीय चौधराहट की लड़ाई में इस विधायक को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। उसके बाद कोसली से विधायक रह चुके लक्ष्मण यादव ने इस बार इस सीट को पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव के बेटे विधायक चिरंजीव राव से छीनकर भाजपा का डंका बजवा दिया। यहा बता दे की रेवाड़ी सीट पर 50 साल से ज्यादा समय तक पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव परिवार का कब्जा रहा है।
राजनीति वसूलों और नियमों से नही मौका परस्त और अवसरवादी सोच से चलती है। रेवाड़ी के संदर्भ में यह स्पष्ट हो गया। यहा गौर करने वाली बात यह है की इस चुनाव में 48 विधायक भाजपा से जीतकर आए है इसमें पांच की पृष्ठभूमि अकेले रेवाड़ी से है। इसमें बादशाहपुर से राव नरबीर सिंह, अटेली विधायक आरती राव, रेवाड़ी से लक्ष्मण यादव, कोसली से विधायक अनिल यादव और बावल से विधायक डॉ. कृष्ण कुमार विशेष तौर से शामिल है। नए मंत्रिमंडल से रेवाड़ी की पूरी तरह से अनदेखी करना यह साबित करता है की भाजपा का असली जोर ही यही चलता है। इसलिए रणनीति बनाने वालों को पता है की यहा कुछ भी अपनी मनमानी चला लो रेवाड़ी को बर्दास्त करने की क्षमता है। इसलिए तीसरी बार सरकार बनने के बावजूद रेवाड़ी को एक बार भी मंत्रीमंडल में जगह नही मिली जबकि कांग्रेस जब भी सत्ता में आई रेवाड़ी को मंत्रीपद में सबसे आगे रखा इसमें कप्तान अजय सिंह यादव सबसे बड़े प्रमाण है। कुल मिलाकर इस नई सरकार के गठन के समय की गई अनदेखी से रेवाड़ी के लोगों में जबरदस्त मायूसी है।