कप्तान के, कांग्रेस छोड़ने के पीछे छिपे हैं कई राज, भाजपा अब बुरी नजर नही आएगी
– राहुल गांधी से मिले कप्तान को नही मिली तवज्जो
रणघोष अपडेट. गुरुग्राम. रेवाड़ी
दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेता पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है। वे हरियाणा विधानसभा चुनाव में रेवाड़ी सीट से बेटे चिरंजीव राव की हार से इतने आहत होंगे यह किसी ने नही सोचा था। क्या सचमुच में कप्तान अपने बेटे चिंरजीव राव की हार की प्रमुख वजह कांग्रेस को मानते हैं। यह बात इसलिए हजम नही होती क्योंकि कप्तान के परिवार ने चुनाव ऐसे हालात में हारा है जब भाजपा सत्ता में आने के लिए संघर्ष करती हुई नजर आ रही थी और कांग्रेस के पक्ष में बेहतर माहौल बनता जा रहा था। 2019 में जाए तो कांग्रेस की कोई हवा नही थी ओर इसके बावजूद चिंरजीव राव अपने पिता की रणनीति के चलते चुनाव जीत गए थे। सबसे बड़ी बात रेवाड़ी सीट पर कांग्रेस का मतलब ही कप्तान है। यहा कप्तान के निर्णय ही हार जीत तय करते हैं। चुनाव में कांग्रेस के स्टार राहुल गांधी या अन्य किसी बड़े नेता के आने या नही आने से कोई असर नही पड़ता। अगर ऐसा होता तो महेंद्रगढ़ समेत अनेक सीटों पर राहुल के आने के बाद भी कांग्रेस हारी है। दरअसल कप्तान के इस्तीफे में कई राज छिपे हैं। जिसका खुलासा समय आने पर ही होगा। इतना जरूर है की कप्तान ने राजनीति का आगे पीछे का सारा गणित समझकर ही यह कदम उठाया है। भविष्य में अब उन्हें भाजपा इतनी बुरी नही लगेगी जितनी कांग्रेस में रहकर सबसे जहरीली पार्टी लगती थी। कांग्रेस पार्टी हाईकमान उन्हें मनाने के लिए निवेदन आवेदन करता रहेगा। यह परंपरा भी अब राहुल गांधी ने काफी समय से पूरी तरह से बंद कर दी है। इसलिए कप्तान को मनाने वाला कार्यक्रम भी चलने वाला नही है। इस्तीफा देकर कप्तान घर बैठने वाले भी नही है। इसलिए हरियाणा में भाजपा के अलावा उनके पास अब कोई विकल्प नही बचा है। जिस तरह भिवानी से किरण चौधरी ने कांग्रेस छोड़कर आज भाजपा में अपनी राजनीति जमीन को नए सिरे से मजबूत कर लिया है। शायद इसी तरह का ख्याल कप्तान के दिलों दिमाग में भी चल रहा है। कप्तान को कांग्रेस में जिस ओबीसी विभाग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। जिसे कप्तान अब अपने लिए झुनझुना बता रहे हैं। कायदे से जो फायदा कांग्रेस को ओबीसी वोट बैंक से मिलना चाहिए था वह हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा पूरी तरह से ले गईं।
भाजपा में अपनी संभावना तलाश रहे कप्तान
हरियाणा में राज्य सभा का पद खाली है। इस पर भी कई दिग्गजों की नजरें हैं। सूत्रो की माने तो कप्तान भाजपा के शीर्ष नेताओं के संपर्क में भी बने हुए हैं। उन्होंने यह इस्तीफा आनन फानन में नही दिया। कांग्रेस गांधी परिवार से नही मिली तव्वजो के चलते यह कदम उठाया है। बताया जा रहा है की कप्तान अपनी तमाम शिकायतें लेकर राहुल गांधी से मिले थे जहां उन्हें गंभीरता से नही लिया गया। उलटा रेवाड़ी सीट पर हार के लिए कप्तान को ही पूरी तरह से जिम्मेदार ठहरा दिया गया।
लालू परिवार से मजबूत संबंध है गांधी परिवार के, फिर भी उठाया कदम
चिरंजीव राव बिहार के दिग्ग्ज नेता लालू प्रसाद यादव परिवार के दामाद है। इस परिवार का गांधी परिवार से राजनीतिक ओर पारिवारिक तौर पर बेहतर ओर मजबूत संबंध सार्वजनिक तौर पर सामने आते रहे हैं। इसी वजह से भी कप्तान का कांग्रेस में अच्छा दबदबा रहा है। एक समय ऐसा भी आया था जब कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने भूपेंद्र हुडडा हो हटाकर कप्तान को हरियाणा का सीएम बनाने का निर्णय ले लिया था लेकिन पता चलते ही हुडडा ने सारा राजनीतिक घटनाक्रम पलटकर रख दिया था जिसकी भनक कप्तान को बहुत बाद में पता चली थी। इसलिए यह सवाल उठ रहा है कि आखिर कप्तान को कांग्रेस छोड़ने की ऐसी क्या मजबूरी थी। उनका ओबीसी विभाग से इस्तीफा देना समझ में आता है लेकिन कांग्रेस को ही छोड़ देना एक साथ कई सवाल खड़े कर रहा है।
समर्थकों को भी नही लिया विश्वास में
कांग्रेस छोड़ते समय कप्तान ने अपने समर्थकों को भी विश्वास में नही लिया। उन्होंने जिस तरीके से अपने सोशल मीडिया हैंडल पर अपने इस्तीफे को सांझा किया वह एक तरह से एक जिम्मेदार ओर मंझे हुए नेता की तरह नही था। रेवाड़ी सीट पर कांग्रेस के हजारों समर्थकों की संख्या है। हर कोई कप्तान के इस निर्णय से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
इतनी जल्दी 70 साल पुराने रिश्ते कौन खत्म करता है
कप्तान परिवार का राजनीति जन्म ही कांग्रेस पार्टी में हुआ है। उनके पिता स्व. अभय सिंह यादव तीन बार, कप्तान अजय सिंह यादव छह बार ओर एक बार चिरंजीव राव कांग्रेस की टिकट पर विधायक रहकर हरियाणा के टॉप नेताओं की सूची में आते हैं। इस चुनाव में चिरंजीव राव को हार के बावजूद सबसे ज्यादा सम्मानजक वोट मिले थे। इस हार से यह परिवार 70 साल पुराने कांग्रेस से अपने रिश्तों को एक झटके में खत्म कर लेगा। यह किसी सूरत में हजम होने वाली बात नही है। कांग्रेस में कप्तान को सबसे ज्यादा सम्मान मिला है। जब भी वे विधायक बने ओर कांग्रेस सत्ता में आई कप्तान मंत्री बनते रहे हैं जबकि भाजपा में अभी तक एक भी विधायक रेवाड़ी से मंत्री नही बन पाया है। इसलिए कप्तान के कांग्रेस छोड़ने का असली राज अभी छिपा हुआ है। वह कुछ दिनों बाद सामने आ जाएगा।