चर्चा कोसली विधानसभा सीट की

विक्रम यादव की खामोशी में हार- जीत 5 तारीख का इंतजार कर रही है..


रणघोष खास. कोसली की कलम से

कोसली विधानसभा सीट पर चल रही महाभारत में एक किरदार ऐसा भी है जो दूर से खामोशी के साथ युद्ध का नजारा देख रहा है। चुनाव में नही होते हुए भी अदृश्य तोर पर इनकी चर्चा रहती है।

बात हो रही है पूर्व मंत्री विक्रम यादव की। जो 2014 में इस सीट से भाजपा विधायक ओर सरकार में मंत्री बनकर आज भी पूरी तरह से राजनीति तोर सक्रिय है। जिस केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के आशीर्वाद से जीतकर चंडीगढ़ पहुंचे। 2019 में राव ने आशीर्वाद तो दूर टिकट से उनकी दावेदारी को भी सूची से खत्म करवा दिया। इसके बाद विक्रम यादव ने अपने सामाजिक व्यवहार ओर तौर तरीकों से कोसली में सक्रियता को निरंतर जारी रखा। लोगों से अपना जुड़ाव ना केवल बनाए रखा उसका लगातार विस्तार भी किया। दूसरे शब्दों में  कहे तो यह नेता अब पूरी तरह से राव इंद्रजीत सिंह से मिली किराए की ताकत से आजाद होकर जमीन पर अपनी हैसियत बना चुका है। इस बार चुनाव में मजबूती से दावेदारी पेश की थी। टिकट नही मिलने पर आजाद लड़ने का इरादा भी कर लिया था लेकिन ऐन वक्त पर इरादा बदल लिया। चुनाव में नही उतरे लेकिन खामोशी से मौजूदा राजनीति पर पूरी तरह से नजरें रखे हुए हैं। अभी  तक किसी भी तरफ कोई इशारा नही है। इस सीट पर मुख्य तोर पर भाजपा उम्मीदवार अनिल डहीना और कांग्रेस दिग्गज नेता पूर्व मंत्री जगदीश यादव पूरी तरह से मैदान में मजबूती के साथ नजर आ रहे हैं। इसके बावजूद विक्रम यादव इस जबरदस्त मुकाबले में अहम किरदार साबित हो सकते हैं। उनके पास भी अपने समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है जो विक्रम यादव के इशारे का इंतजार कर रही है। चुनाव अंतिम दोर में प्रवेश करते जा रहा है। देखते हैं की विक्रम यादव कब तक खामोश रहते हैं। इतना जरूर है की वे मतदान से पहले सार्वजनिक तोर पर किसी ना किसी के समर्थन में जरूर नजर आएंगे। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।