Earthquake in Katra: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 24 घंटे के भीतर 5 बार आया भूकंप, 2 बैक-टू-बैक झटके, कोई नुकसान नहीं

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 24 घंटे के भीतर हल्की तीव्रता वाले 5 भूकंप आए, जिनमें 4.5 की तीव्रता सबसे अधिक थी. जम्मू-कश्मीर में शनिवार दोपहर 2.03 बजे 3.0 तीव्रता का भूकंप आने के बाद पहला झटका महसूस किया गया. कटरा में रविवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.1 रही. भूकंप आज तड़के करीब 3:50 बजे आया. भूकंप का केंद्र कटरा के 11 किमी की गहराई पर बताया जा रहा है. इससे पहले लद्दाख के लेह में भूकंप के झटके महसूस किए गए.

न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार पूर्वोत्तर लेह में आए इस भूकंप का रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.1 रही. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के मुताबिक भूकंप रात 2 बजकर 16 मिनट पर आया. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस भूकंप से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर अभी तक सामने नहीं आई है. बता दें कि इससे पहले शनिवार शाम को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के झटके महसूस किए गए. मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि दोपहर 2.03 बजे आए 3.0 तीव्रता के भूकंप का केंद्र जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ पहाड़ी रामबन जिला था.

उन्होंने कहा कि भूकंप की गहराई 33.31 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 75.19 डिग्री पूर्वी देशांतर पर धरती की सतह से 5 किलोमीटर नीचे थी. लद्दाख में आए भूकंप का रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.5 रही. 10 मिनट के बाद जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.4 रही. इससे पहले 13 जून को जम्मू कश्मीर के डोडा और किश्तवाड़ में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे, जिसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 5.4 मापी गई थी. इस दौरान घरों में दरारें भी देखने को मिली थी. पिछले पांच दिनों में डोडा जिले में यह सातवां भूकंप था.

मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर के रामबन और डोडा जिलों में शनिवार को हल्की तीव्रता के दो भूकंप आए थे. जानकारी के अनुसार चिनाब घाटी क्षेत्र में आठ घंटे के भीतर 3.0 तीव्रता और 4.4 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. शनिवार दोपहर करीब 2.03 बजे 3.0 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया, जिसका केंद्र जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ पहाड़ी रामबन जिला था. भूकंप की गहराई की बात करें तो यह 33.31 डिग्री उत्तर के अक्षांश और 75.19 डिग्री पूर्व के देशांतर पर सतह से पांच किलोमीटर नीचे थी.

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