इंसान अपनी कथनी- करनी के अंतर को खत्म कर दें नहीं तो यह महामारी अपना काम तो कर ही रही है

  • सामने आ रही असलियत,  मचा रहे  शोर कोरोना बढ़ रहा है

रणघोष खास. प्रदीप नारायण: समय की सुई से भी तेज फैल रही कोरोना महामारी में हर रोज आइने के सामने इंसानी चेहरा अपना रंग बदल रहा है। क्यों बदल रहा है, क्या वजह है। पता सबकुछ है। बस ब्यूटी पार्लर वाली  सुदंरता की आड़ में छिपा रखा है। 

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रेवाड़ी- डंके की चोट पर।

भूल जाते है कि जब एक दिन असलियत सामने आएगी।उसी समय सबकुछ गवां देगे जो स्वार्थ- लालच- कपट  के लेप से ढक रखा था।  

अजीब लगता होगा ना  मौजूदा हालात में यह बिना सिर पैर वाली बातें क्यों की जा रही है।  हमें चाहिए पीएम नरेंद्र मोदी कब टीवी पर आए ओर कोरोना को लेकर कोई नया एलान करें। हमें चाहिए  छोटी- बड़ी सरकारें हमारे  बिजली बिल, स्कूल फीस, टैक्स भरने में छूट, कर्ज माफ करने की घोषणा करें। हमें यह चाहिए 20 लाख करोड़ का जो ऐलान हुआ है वह फटाफट मिल जाए।

हमें चाहिए  गरीबी के नाम पर सभी के खातों में नगदी जमा होती रहे ओर राशन मिलता रहे। हमें चाहिए कि जो युवा नौकरियों से निकाले गए हैं उन्हें रोजगार भत्ता मिले। उनके लिए नौकरियों की व्यवस्था हो। हमें चाहिए जो विद्यार्थी परीक्षा नहीं दे पाए उन्हें पास कर एक साल बर्बाद होने से बचाया जाए।

हमें वह सबकुछ चाहिए जो कोरोना के कारण खो देने का क्लेम कर रहे  हैं।  अगर पीएम मोदी और उनका सिस्टम यह सब कर पाने में फेल होता है तो हमारे पास  राहुल गांधी जैसे नेता भी है। अगर राहुल ने  नुकसान की  भरपाई को पूरा करने की गांरटी ली तो हम उन्हें  चुनाव में अवसर दे सकते हैं।

वे अभी से अपना घोषणा पत्र जारी कर दे ताकि कोई दूसरा मौके का फायदा ना उठा ले। हमें अपनी मांगों को लेकर विरोध- धरना प्रदर्शन भी करना पड़े करेंगे। आखिर न्याय का सवाल है। अब चुप बैठने वाले नहीं है। तालियां बजा भी सकते हैं तो चिल्लाना भी आता है।

हमें अच्छे दिन चाहिए। कौन इसकी गारंटी लेगा वह बता दें ताकि उसी से हिसाब हम सोचना शुरू करें। जहां तक कोरोना का सवाल है। हमें उससे अब इसलिए मतलब नहीं है कि वह इंसानी दिमाग से नहीं चलता। ज्यादा से ज्यादा क्या करेगा।

घर- घर तक पहुंच जाएगा।  अस्पताल में भर्ती हो जाएंगे। खर्चा सरकार उठा रही है। क्या फर्क पड़ता है।  सुबह-शाम खाना भी मिल रहा है। कुछ हो गया तो बीमा कब काम आएगा। पैदा होने से लेकर मृत्यु तक पूरा जुगाड़ किया हुआ है। कोरोना के आने से जो कमी थी वह भी पूरी कर ली।  कुल मिलाकर यहीं इंसानी असलियत है जो किसी ना किसी बहाने से छिपी हुई थी।

कोरोना के आने से उजागर हो गईं। इसलिए देश में कोरोना नहीं बढ़ रहा असल में इंसान की असलियत सामने आ रही है।  इस महामारी को रोकने में सफल  सोशल डिस्टेंस ईमानदार- बेहतर इंसान होने का सबूत है। उसे भी वह खत्म करने में लगा हुआ है और चालाकी से आरोप कोरोना पर लगा रहा है। 

कहने को इंसान अपने धर्म के हिसाब से भगवान राम को अपना सबकुछ मानता है। असल जीवन में रावण की तरह उसके भी कई चेहरे हैं। इनमें कौनसा असली और नकली है। यह पहचाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि इसके हमें भगवान राम जैसी मर्यादित सोच पर चलना  होगा जिसमें समर्पण, त्याग, सत्यता, बड्प्पन, स्वाभिमान होना जरूरी है।

वह इतना आसान नहीं है इसलिए तो कोरोना इन्हीं कमजोरियों से इंसानी शरीर में जगह बना रहा है। याद रखिएगा कहने को हम इंसानी तौर पर भगवान राम को अपना सबकुछ मानते हैं लेकिन विभीषण तो कोरोना के साथ खड़ा है। वजह उसका एक ही चेहरा और चरित्र है। जबकि हमारा कोई हिसाब नहीं । इसलिए कमजोरियों को बताकर धीरे- धीरे हमें खत्म कर रहा है। अगर खुद को बचाना है तो बेहतर इंसान साबित करिए। सोशल डिस्टेंस आपका गवाह बनेगा।

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