NCP में बगावत के बीच उद्धव और राज ठाकरे के साथ आने की उठी मांग, मुंबई में लगे पोस्टर

महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में सरकार बनने के बाद से प‍िछले चार सालों से लगातार राजनीत‍िक उठापटक जारी है. इन सालों के दौरान में महाराष्‍ट्र सरकार उथल-पुथल के बीच ही चलती रही है. महाराष्ट्र में विधायकों के दलबदल या सरकारें गिरने के कारण 4 शपथ ग्रहण समारोह हो चुके हैं. ताजा मामला एनसीपी के कद्दावर नेता अज‍ित पवार के बागी होने के बाद महाराष्‍ट्र की एनडीए गठबंधन सरकार को समर्थन देकर ड‍िप्‍टी सीएम पद की शपथ ग्रहण करने का है. इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम के बाद अब महाराष्‍ट्र (Maharashtra Poltical) में नई पोस्टरबाजी (Posters) शुरू हो गई ज‍िसमें उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और राज ठाकरे (Raj Thackeray) को साथ-साथ आने की मांग की जा रही है. अगले साल महाराष्‍ट्र व‍िधानसभा (Maharashtra Assembly Election 2024) के चुनाव भी होने जा रहे हैं.

ह‍िन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स में प्रकाश‍ित र‍िपोर्ट के मुताब‍िक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कार्यकर्ताओं ने मुंबई में पोस्टर लगाकर अपनी पार्टी के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) से अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) सुप्रीमो उद्धव ठाकरे से राज्य की राजनीति में लगातार हो रहे बदलावों के बीच हाथ मिलाने का आग्रह किया है. इसको लेकर समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से एक वीड‍ियो भी साझा किया गया है. वीडियो में, दादर पश्चिम में राम गणेश गडकरी चौक पर एक पेट्रोल पंप के बाहर ठाकरे के चचेरे भाइयों से एक साथ आने का आग्रह करने वाला पोस्टर देखा जा सकता है.

मनसे नेता लक्ष्मण पाटिल द्वारा लगाए गए पोस्टर में लिखा है, ”महाराष्ट्र की राजनीति कीचड़मय हो गई है,” यह पहले शिवसेना और अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में बड़े पैमाने पर हो रहे दल-बदल के स्पष्ट संदर्भ में है. पोस्टर में आगे लिखा है, “राजसाहेब-उद्धवसाहेब अब एक साथ आएं. पूरा महाराष्ट्र आपका इंतजार कर रहा है – एक महाराष्ट्रीयन सैनिक का हाथ जोड़कर करबद्ध अनुरोध.”

इस बीच देखा जाए तो साल 2005 में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच राजनीत‍िक उत्‍तराध‍िकार को लेकर कोल्‍ड वॉर छ‍िड़ गया था. राज ठाकरे को श‍िवसेना के संस्‍थापक बालासाहेब ठाकरे का उत्‍तराध‍िकारी के रूप में देखा जाता था. लेक‍िन ऐसा नहीं हुआ. इसके चलते राज ठाकरे ने अपनी मनसे पार्टी बना ली थी और इसके ल‍िए सीधे तौर पर उद्धव ठाकरे और उनकी मंडली को ही दोष‍ी ठहराया था. उन्‍होंने कहा था क‍ि उनको पार्टी में हाशिये पर धकेला जा रहा है. उनका इस्‍तेमाल स‍िर्फ चुनाव प्रचार क‍े ल‍िए ही क‍िया जा रहा है.

बाल ठाकरे के निधन के बाद जनवरी 2013 में उद्धव सेना प्रमुख बने और एकनाथ शिंदे के अलग होने और भाजपा के साथ सरकार बनाने से पहले वह पार्टी के शीर्ष पर बने रहे. राज ठाकरे ने रविवार को अपने गृह राज्य में हाल‍ि‍या राजनीतिक घटनाक्रम पर अफसोस जताते हुए कहा क‍ि देश के सामने जो खड़ा है वो महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra politics) का कीचड़ है. उन्होंने मराठी में एक ट्वीट में कहा-चूंकि महाराष्ट्र की बाकी जनता को यकीन है कि वे स्वार्थी हैं, तो क्या सत्ता के सिंहासन के लिए ये सब खेल ऐसे ही चलते रहेंगे या आने वाले चुनावों में महाराष्ट्र की जनता सत्ता की इस घृणित राजनीति को बंद कर देगी?

 

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