आप मोटे हैं या नहीं, ये तय करने के लिए अब नए मानकों की जरूरत

रणघोष खास. फिलिपा रॉक्सबाई, साभार बीबीसी

  • दुनिया भर में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है. लेकिन, आप मोटे हैं या नहीं ये कैसे तय हो?

क्या आजकल किसी को मोटापे का शिकार बताने के लिए जिन मानदंडों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वे ठीक हैं? दुनिया भर के विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट कहती है, दरअसल जिस तरह से बड़ी तादाद में लोगों को मोटापे का शिकार बताया जा रहा है, उसे देखते हुए इसके लिए एक ‘सटीक’ और ‘बारीक’ परिभाषा की ज़रूरत है.रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़्यादा चर्बी वाले मरीजों को सिर्फ़ उनके बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के आधार पर मोटा नहीं करार दिया जाना चाहिए.लंबाई और वजन के आधार पर किसी व्यक्ति के शरीर में चर्बी की मात्रा से उसका बीएमआई मापा जाता है.मरीज मोटापे के शिकार हैं या नहीं, ये तय करने के लिए उसके पूरे स्वास्थ्य पर गौर करना चाहिए.जो लोग ज़्यादा वजन की वजह से लगातार चली आ रही बीमारी के शिकार हैं, उन्हें ‘क्लिनिकल ओबसिटी’ का श्रेणी में रखना चाहिए.वहीं, जो लोग मोटे हैं, लेकिन इसकी वजह से उन्हें कोई बीमारी नहीं है, उन्हें ‘प्री-क्लिनिकल ओबिसिटी’ की कैटेगरी में रखना होगा.ये रिपोर्ट लांसेट डाइबिटीज एंड एन्डोक्रनालजी जर्नल में प्रकाशित हुई है. और इसे दुनिया भर के 50 से ज़्यादा मेडिकल एक्सपर्ट्स का समर्थन हासिल है.एक अनुमान के मुताबिक़, दुनिया भर में एक अरब से ज़्यादा लोग मोटापे के शिकार हैं. इस समय वजन घटाने वाली दवाइयों की भारी मांग है.

‘रीफ्रेमिंग’

मेडिकल एक्सपर्ट्स के इस ग्रुप की अध्यक्षता करने वाले किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफ़ेसर फ्रांसिस्को रूबीनो कहते हैं कि ‘मोटापा एक स्पेक्ट्रम’ है.उन्होंने कहा, ”कुछ लोग मोटे होते हैं, लेकिन वो सामान्य ज़िंदगी बिताने में कामयाब रहते हैं. वो सामान्य तौर पर अपना काम करते हैं. लेकिन, कुछ लोग न तो ठीक से चल पाते हैं और न सांस ले पाते हैं.””उन्हें कई स्वास्थ्य से संबंधिक कई समस्याएं होती हैं और हालात यहां तक ख़राब हो जाते हैं कि उन्हें व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ता है.”रिपोर्ट में मोटापे की ‘रिफ्रेमिंग’ करने की अपील की गई है. यानी इसके लिए एक नई परिभाषा बनाने की जरूरत बताई जा रही है.इसका मतलब ये है कि मोटापे के शिकार मरीजों और वैसे स्वस्थ लोगों के बीच अंतर करने का एक मानदंड तय किया जाए जो भविष्य में बीमारी का शिकार हो सकते हैं.इस वक़्त कई देशों में 30 से अधिक बीएमआई वाले लोगों को मोटापे का शिकार बताया जाता है.वेगोवी और मॉन्जेरो जैसी वजन कम करने वाली दवाइयां सिर्फ़ इस कैटेगरी के मरीजों को दी जाती है.ब्रिटेन के कई इलाक़ों में एनएचएस बीएमआई को ही मान्यता देता है.लेकिन, रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएमआई से मरीज के संपूर्ण स्वास्थ्य के बारे में पता नहीं चलता है.ये शरीर की मांसपेशियों और वसा के बीच अंतर नहीं कर पाता है. साथ ही यह कमर और शरीर के दूसरे अंगों पर जमी वसा के बारे में कुछ नहीं बता पाता है.विशेषज्ञों का कहना है कि कोई व्यक्ति मोटापे का शिकार है या नहीं, ये तय करने के लिए नए तरीके अपनाने होंगे.जैसे इसके शिकार शख्स़ में हृदय संबंधी बीमारी, सांस लेने में दिक्कत, टाइप टु डाइबिटीज और जोड़ों में दर्द जैसी शिकायतों पर गौर करना होगा.ये देखना होगा कि उनके दैनिक जीवन पर इसके क्या नुकसानदेह असर हो रहे हैं.अगर ऐसा है तो इसका मतलब ये है कि मोटापा एक ऐसी बीमारी है, जिसका उपचार किया जा सकता है और इसके लिए दवाइयां दी जा सकती हैं.जिन लोगों में ‘प्री-क्लिनिकल ओबिसिटी’ है, उनके इलाज के लिए दवाइयां और सर्जरी के इस्तेमाल के बजाय वजन कम करने की सलाह दी जानी चाहिए.इस बात पर नज़र रखनी होगी कि स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें न हों. और उनके शरीर में कोई बीमारी न पनपे. इसके लिए मरीजों को सलाह देनी होगी.

‘गैरज़रूरी इलाज’

प्रोफ़ेसर रूबिनो कहते हैं, ”मोटापा मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए एक जोखिम है. कुछ लोगों के लिए तो ये बीमारी है.”उन्होंने कहा कि इस समय मोटापे को लेकर हमारे सामने ‘एक धुंधली तस्वीर’ है. लिहाजा एक बड़ी आबादी के लिए इसके जोखिम के स्तर को समझने के लिए इसे नए सिरे से परिभाषित करना होगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कमर की मोटाई और लंबाई के अनुपात, प्रत्यक्ष वसा का माप और मरीज के स्वास्थ्य के पुराने रिकार्ड (इतिहास) बीएमआई की तुलना में मोटापे की ज़्यादा अच्छी तस्वीर पेश कर सकते हैं.इस रिपोर्ट के लेखकों में से सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लुईस बाउर ने कहा, ”मोटापा को देखने के नए नज़रिये की वजह से इसके शिकार बड़ों और बच्चों को ज़्यादा सही तरीके से देखभाल मिलेगी.”

”इससे बहुत ज़्यादा जांच और अनावश्यक इलाज से भी छुटकारा मिलेगा.”

इस समय शरीर के वजन को 20 फ़ीसदी तक कम करने वाली दवाइयां बड़े पैमाने पर देने की सलाह दी जा रही है.ऐसे समय में मोटापे को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत और अधिक बढ़ गई है, क्योंकि ये सटीक इलाज में मदद कर सकती है.

सीमित फंड

रॉयल कॉलेज ऑफ फ़िजिशियन ने कहा है कि दूसरी बीमारियों की तरह मोटापे के इलाज के लिए भी नए मानक तय करने होंगे.जिन मरीजों के स्वास्थ्य पर पहले से ही मोटापे का असर दिख रहा है उन्हें सही इलाज मुहैया कराने की जरूरत है.न्यूज़ीलैंड के ओटागो में एडगर डायबिटीज एंड ओबिसिटी रिसर्च सेंटर के सह-निदेशक प्रोफ़ेसर जिम मैन का कहना है कि जोर उन लोगों की जरूरत पर देना होगा, जो क्लिनिकल तौर पर मोटापे के शिकार हैं.लेकिन फंडिंग के मोर्चे पर दबाव को देखकर ऐसा लगता है, मोटापे के शिकार लोगों के इलाज पर ज़्यादा पैसा ख़र्च नहीं किया जा सकेगा.

Удивительная оптическая иллюзия: член видят только люди Непостижимый головоломка для Ребус для