भाजपा में भीतरघात कांग्रेस से ज्यादा खतरनाक, गले मिले मन नही
रणघोष खास. हरियाणा के प्रत्येक जिले से
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भीतरघात से बने बिखराव को रोकने के लिए सभी तरह के प्रयोगों पर अमल शुरू कर दिया है। जिन प्रमुख नेताओं का काम चुनाव में भाजपा का प्रचार करना था उन्हें रूठे ओर बागी हो चुके नेताओं को मनाने के लिए घरों में भेजा रहा है। काफी जगह सफलता मिली है लेकिन इसके सार्थक परिणाम आने वाले नही है। टिकट नही मिलने से खफा अनेक नेता अभी तक अपने प्रत्याशी के साथ नजर नही आ रहे हैं। वे कोई ना कोई बहाना बनाकर गायब है। बगावत नही की तो उनकी चुप्पी ज्यादा खतरनाक है। जो खुलकर विरोध में हैं उसका तोड़ तो हाईकमान निकाल सकती है लेकिन चुप है वह ज्यादा घातक साबित हो सकता है। इस पूरे चुनाव में बगावत की सबसे ज्यादा कीमत भाजपा को चुकानी पड़ सकती है। कोई पार्टी लहर नही होने की वजह से स्थिति कंट्रोल में नही आ रही है। जैसे जैसे चुनाव उफान पर आ रहा है पार्टी के अंदर के विरोधियों के तेवर बजाय संभलने के बिगड़ते जा रहे हैं। उनका हाईकमान के फरमान या चेतावनी का भी कोई असर नजर नही आ रहा है। इसलिए कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी को कई जगह काफी बेरूखी का सामना करना पड़ा। यह तो सीएम सैनी बड़ा दिल रखे हुए हैं इसलिए तनाव की स्थिति नही बनी।
रेवाड़ी जिलों की तीनों सीटों पर भाजपा की स्थिति सामान्य नही
रेवाड़ी जिले की सभी तीनों सीटों पर भी स्थिति सामान्य नही है। जिन आजाद उम्मीदवारों ने नामाकंन वापस लिया है उनकी जमीनी हैसियत ना के बराबर है। मजबूत नाराज चल रहे नेताओं को मनाना आसान नजर नही आ रहा है। रेवाड़ी, बावल और कोसली में कांग्रेस प्रत्याशी जबरदस्त टक्कर दे रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार संगठन के भरोसे खुद को मजबूत मान रहे हैं जो उनके लिए घातक साबित हो सकता है। संगठन के कार्यकर्ता सक्रिय होने की बजाय शांत रहकर औपचारिता पूरी कर रहे हैं। जो स्थिति लोकसभा चुनाव में बनी हुई थी जिसमें कार्यकर्ता एकदम फील्ड से गायब थे। इस चुनाव में बेहद मामूली सक्रियता दिख रही है। उधर कांग्रेस प्रत्याशियों की अपने समर्थकों की फौँज में उत्साह देखते ही बन रहा है। हालांकि चुनाव में अभी 15 दिन से अधिक का समय बचा हुआ है इसलिए तस्वीर काफी बदलेगी।