2019 के मुकाबले डॉ. रंगा इस बार बेहतर पोजीशन में नजर आ रहे हैं
रणघोष खास. बावल की कलम से
बावल आरक्षित सीट पर कांग्रेस की टिकट पर दूसरी बार मैदान में उतरे पूर्व मंत्री डॉ. एमएल रंगा के लिए इस बार का चुनाव पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर नजर आ रहा है। इसकी कई वजह है।
डॉ. रंगा के सामने भाजपा ने स्वास्थ्य विभाग में डायरेक्टर रहे डॉ. कृष्ण कुमार को उम्मीदवार बनाया है उनकी राजनीति उम्र ही महज कुछ दिनों की है। यहां से 10 साल विधायक रहे कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल की भाजपा ने आपसी रजामंदी या सहज भाव से टिकट नही काटी है। काफी जोरअजमाइश हुई है जिसमें डॉ. बनवारीलाल सफल नही हो पाए। कहने को वे हाईकमान के दबाव में डॉ. कृष्ण कुमार के साथ चुनाव प्रचार में नजर आ सकते हैं लेकिन वह औपचारिकता में ज्यादा नजर आएगी। डॉ. कृष्ण कुमार पूरी तरह से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के निर्देशन और भाजपा के शैडयूल पर पूरी तरह से निर्भर रहेंगे। इस सीट पर राव का अच्छा खासा दबदबा है लेकिन लोकसभा चुनाव में वह भी कम होता नजर आया। इससे उलट डॉ. रंगा ने अपनी लंबी राजनीति मे कभी धैर्य नही खोया। लोगों के दुख सुख में उनका लगातार आना जाना रहा। यही व्यवहार उनकी जीत का मजबूत आधार बन सकता है। सबसे बड़ी बात इस बार बार चुनाव में किसी भी राजनीतिक पार्टी की कोई लहर नही है। जिस उम्मीदवार की अपनी हैसियत ओर सामाजिक सरोकार है वही मजबूत नजर आ रहा है। इस मामले में भी डॉ. रंगा भाजपा उम्मीदवार से बढ़त बनाते हुए नजर आ रहे हैं। चूंकि चुनाव में कब क्या बदल जाए। 20 दिन का समय शेष है। इसलिए जैसे जैसे समय बीतेगा राजनीति भी अपना चेहरा बदलती नजर आएगी। हमने जो लिखा वह 12 सितंबर नामाकंन भरने तक की तस्वीर थी जो आने वाले दिनों में राजनीति मिजाज, प्रबंधन और रणनीति के तहत बदलती नजर आएगी।