उत्तर प्रदेश के संभल में इस बार सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाला एक हजार साल पुराना मेला नहीं लगेगा। पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी लुटेरे और आक्रांता की याद में मेला लगाने की अनुमति अब नहीं दी जाएगी।
क्यों नहीं लगेगा मेला?
मेला लगाने वाली कमेटी ने जब एएसपी श्रीशचंद्र से मुलाकात की तो उन्होंने कहा कि “सालार मसूद गाजी लुटेरा और आक्रांता था। अब ऐसी कुरीतियां खत्म होनी चाहिए और सोमनाथ मंदिर के लुटेरे की याद में नेजा मेला नहीं लगेगा।” इस पर दूसरे पक्ष ने भी मांग की थी कि मसूद गाजी का महिमामंडन और गुणगान करने के लिए इस तरह के मेले की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
कौन था आक्रांता सैयद सालार मसूद गाजी?
भारत में लूटपाट करने के लिए विदेशी आक्रांता एक के बाद एक आते रहे हैं। मुगलों से पहले महमूद गजनवी का नाम आता है, जो सबसे क्रूर शासकों में से एक माना जाता है। वह गजनी का रहने वाला था और उसने सोमनाथ मंदिर पर हमला कर उसे लूटा, शिवलिंग को खंडित किया और मंदिर को नष्ट कर दिया।
सैयद सालार मसूद गाजी, महमूद गजनवी का भांजा था। गजनवी ने उसे अपनी सेना की जिम्मेदारी दी थी और सेनापति बनाया था। मसूद गाजी भारतीय उपमहाद्वीप में लूटपाट और आक्रमण के लिए कुख्यात था।
सुहेलदेव से युद्ध में मारा गया था मसूद गाजी
1026 ईसवी में भीम प्रथम के शासनकाल में मुस्लिम शासक महमूद गजनवी भारत आया था। वह जबरन धर्म परिवर्तन करवाता था और उसकी बात ना मानने वालों को कत्ल कर देता था। उसने भारतीय राजाओं को ललकारा। श्रीवस्ती के राजा सुहेलदेव राजभर ने उसका डटकर मुकाबला किया। कई राजाओं ने मिलकर संयुक्त सेना तैयार की और सैयद सालार मसूद गाजी की सेना को भारी नुकसान पहुंचाया। करारी हार के बाद मसूद गाजी मारा गया।
मसूद गाजी की कब्र और विवाद
सैयद सालार मसूद गाजी की कब्र उत्तर प्रदेश के बहराइच में स्थित है। मुस्लिम शासकों के जमाने में इसका महिमामंडन किया गया और इसे दरगाह का रूप दे दिया गया। यहां हर साल मेला लगता है, जिसे लेकर कई बार विवाद हो चुका है। इसी की याद में संभल में भी नेजा मेला लगाया जाता था। होली के बाद इस मेले का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस बार कमेटी द्वारा 25 से 27 मार्च तक तीन दिन का मेला लगाने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, प्रशासन की अनुमति न मिलने के कारण अब यह मेला आयोजित नहीं होगा।