रणघोष खास. सुभाष चौधरी
हरियाणा पंचायती राज चुनाव में मतदाता अगर वास्तव में बेहतर उम्मीदवार को जीताना चाहती हैं।उसे सबसे पहले उसके नामाकंन पत्र में भरे जाने वाले ब्यौरे को जानना चाहिए। उम्मीदवार ने जो भी उल्लेख किया है उसकी जमीनी सच्चाई से अवगत होना चाहिए। अगर उम्मीदवार की कथनी- करनी में अंतर है तो उसे किसी सूरत में अपना वोट नहीं दें। वजह वह बुनियाद ही झूठ- छल कपट से रख रहा है। आगे पांच साल तक आप किस आधार पर भरोसा कर पाएंगे।
रणघोष की तरफ से जुटाई जानकारी के मुताबिक 80 से 90 प्रतिशत उम्मीदवार नामाकंन भरते समय पूरी ईमानदारी नहीं दिखाते। वे चालाकी से अपने बारे में बहुत कुछ ऐसा छिपा लेते हैं जिसकी जानकारी से मतदाता को अवगत होना जरूरी है। मसलन वास्तव में उसके पास कितनी संपत्ति है, योग्यता व चरित्र में कोई दोष तो नहीं है इत्यादि.। उम्मीदवार का अपने बारे में छिपाना विरोधियों को मौका नहीं देने की रणनीति का हिस्सा होता है। दूसरा संपत्ति के भी दो स्वरूप होते हैं। एक नंबर दो नंबर। बहुत से प्रत्याशी नामाकंन में खुद को बेहद ही साधारण एवं गरीब दिखाते हैं जबकि वास्तविकता में गाड़ियों में शान से घूमते नजर आएंगे। इसी तरह खुद को कर्जदार बताएंगे जबकि रीयल लाइफ में लाखों करोडों का कारोबार करते नजर आएंगे। छोटे चुनाव में 90 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं को उम्मीदवार के नामाकंन में उल्लेखित की गई जानकारियेां के बारे में कुछ पता नहीं होता और ना ही वे जानने की कोशिश करते हैं। इसलिए चुनाव के बाद जब सच सामने आता है तो खुद को ठगा हुआ पाते हैं। इसलिए सही उम्मीदवार को चाहिए कि वे अपने मतदाता का विश्वास जीतने के लिए अपने नामाकंन पत्र को भी सार्वजनिक कर उसके बारे में वोट मांगते समय बताए। इसी तरह मतदाता का यह फर्ज बनता है वे नामाकंन में दी गई जानकारी की क्रास चैक कर दूध का दूध पानी का पानी करें।