एनआईए का किसान समर्थित पंजाबी एक्टर समेत 40 लोगों को समन, देशद्रोह का आरोप

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को कमजोर करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पंजाबी एक्टर दीप सिंह सिद्धू और उनके भाई मनदीप को भी पूछताछ के लिए समन किया है। एनएआई ने अभी तक पंजाब के 40 लोगों को समन किया है जो किसी न किसी तरह से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। इनमें एनजीओ और छोटे कारोबारी भी शामिल हैं जिन्होंने आंदोलन को गति देने के लिए किसानों की मदद की है। एनएआई द्वारा किसान समर्थकों को समन भेजे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) राजेवाल के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने समन पाने वाले किसान समर्थकों को एनएआई के समक्ष पेश न होने के लिए कहा है। 15 जनवरी को केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र तौमर के साथ हुई नौंवे दौर की किसान संगठनों की बैठक में भी राजेवाल ने एनआईए द्वारा पंजाब के कई लोगों को समन भेज जाने का मसला उठाया था। एनआईए के समन पर पंजाबी एक्टर दीप सिंह सिद्धू ने कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर यह सब हो रहा है। उन्होंने कहा कि एनआईए किसानों का साथ देने वालों को डराना और धमकाना चाहती है। एनआईए ने शनिवार को दीप सिद्धू को समन भेजा था और इससे पहले उनके भाई मनदीप को भी एनआईए ने पूछताछ के लिए रविवार को बुलाया था। इससे पहले एनआईए ने किसान प्रदर्शन में शामिल अमृतसर की एनजीओ लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा को सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरवंत सिंह पन्नू के खिलाफ दर्ज एक मामले में पूछताछ के लिए रविवार को एनआईए मुख्यालय पेश होने को कहा था पर सिरसा ने कहा कि वे पेश नहीं होंगे। एनआईए ने न्यायिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत सिख फॉर जस्टिस से संबंधित मामले में गवाह के रूप में पूछताछ के लिए पंजाब के लगभग 40 लोगों को बुलाया है। बताया जा रहा है कि इन 40 लोगों में से ज्यादातर किसी न किसी रुप में किसान आंदोलन से जुड़े हैं। किसानों के लिए बस सेवा का प्रबंध करने वाले लुधियाना के तीन को भी तलब किया है। लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा पर आरोप है कि इस कथित किसान यूनियन को अमेरिका में सक्रिय खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॅार जस्टिस(एसएफजे)का समर्थन है। खालिस्तानी समर्थक गुरवंत सिंह पन्नू द्वारा संचालित एसएफजे भारत में किसान आंदोलन के लिए फंडिग भी कर रहा है। पन्नू पर आरोप है कि खालिस्तान के नाम पर वह भारत खासकर पंजाब में “भय और अराजकता का माहौल” पैदा कर भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह बढ़ा रहा है। लुधियाना के तीन कारोबारियों को भी एनएआई ने देश द्रोह का आरोप लगाते व्हाटसएप पर समन भेजे हैं। एनएआई का समन पाने वाले ननकाना बस सर्विस के संचालक इंदरपाल सिंह जज के मुताबिक उनकी ट्रांसपोर्ट कंपनी ने दिल्ली किसान आंदोलन के लिए जाने वाले किसानों को रियायती दरों पर बस सेवा दी थी इससे ज्यादा उन्हें आंदोलन बारे कोई जानकारी नहीं। इंदरपाल का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसके लिए उन पर देशद्रोह का आरोप लगाकर एनआईए ने तलब किया है। लुधियाना के शिमलापुरी के नट बोल्ट कारोबारी नरेश कुमार को भी 18 जनवरी को तलब किया है। नरेश का कहना है कि एक दोस्त जसपाल सिंह के साथ मिलकर उसने आंदोलनकारी किसानों के दिल्ली जाने का बस की व्यवस्था की थी इस पर ही उन्हंे और उनके दोस्त को देशद्रोही बता तलब किया गया है। लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा का कहना है कि केंद्र ने किसानों के आंदोलन को पहले सुप्रीम कोर्ट और अब एनएआई का दुरुपयोग कर पटरी से उतारने की कोशिश की है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिल्ली के बाहरी इलाकों में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन में सरकार को खालिस्तानी घुसपैठ  होने की सूचना मिली है”। सिरसा उन कई व्यक्तियों में से एक है जिन्हें आईपीसी की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत पन्नू के खिलाफ 15 दिसंबर को दर्ज देशद्रोह के  मामले से संबंधित कुछ सवालों के जवाब देने के उद्देश्य से समन जारी किया गया है। बलदेव सिंह सिरसा का कहना है कि “कई लोग जो किसान आंदोलन से जुड़े हैं उन्हें ये सम्मन भेजे गए हैं। यह किसानों की भलाई के  लिए काम करने वालों को आतंकित करना है। लेकिन हम इससे प्रभावित होने वाले नहीं हैं। हम नहीं झुकेंगे। 26 जनवरी को किसान परेड में किसान शामिल न हों इसलिए एनएआई दबाव बना रही है”। सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरवंत सिंह पन्नू पर दर्ज मामले में एनआईए की एफआईआर में “सिखों के लिए न्याय, एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967, और अन्य खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों” के तहत एक साजिश करने का आरोप लगाया गया है। गुरवंत पन्नू पर दर्ज एफआईआर में दावा किया गया है कि “ अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी अन्य देशों में भारतीय हाई कमिशनों के कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन के अलावा भारत सरकार के खिलाफ अभियान और प्रचार के लिए विदेशों में भारी धन एकत्र किया जा रहा है”। एफआईआर में दावा किया गया है कि एकत्र किए गए धन को गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से भारत में स्थित खालिस्तानी तत्वों को आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजा जा रहा है।

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