एनएच-11 निर्माण में मुआवजा राशि के नाम पर बड़ा खेल, जितना ज्यादा चढ़ावा उतना बड़ा मुआवजा

    एक सोची समझी साजिश के  तहत शिकायत पर सर्वे टीम उस समय मौके पर पहुंचती है जब फील्ड में मौजूद टीम शिकायकर्ता पर जबरदस्त दबाव बनाकर उसकी दुकान- भवन को जब तक ढहा ना दे ताकि सर्वे टीम यह लिख सके कि मौके पर कुछ नहीं मिला। अगर ऐसा नहीं है तो फील्ड टीम ने शिकायत पत्र दिखाने के बाद सर्वे टीम के आने का इंतजार क्यों नहीं किया।


रणघोष खास.. रेवाड़ी. नई दिल्ली. राजेंद्र सिंह की रिपोर्ट

रेवाड़ी- नारनौल मार्ग पर बन रहे नेशनल हाइवे-11 के निर्माण कार्य के दौरान अधिग्रहित किए गए भवन- दुकानों के मुआवजा राशि का बड़ा खेल सामने आया है। इस खबर से पता चल जाएगा किस तरह मुआवजा राशि को निर्धारित करने वाली एजेंसियां मिली भगत करके चेहरे देखकर मुआवजा राशि तय करती है। जहां सेवा शुल्क मिल गया वहां 40 साल पुराने मकानों को 10 साल पुराना के आधार पर मुआवजा दे दिया। इंकवायरी नहीं हो जाए इसलिए जल्द से जल्द ऐसे भवन- दुकानों को ढहा दिया गया। जिन्होंने सेवा शुल्क नहीं दिया या उन्हें सरकारी सिस्टम पर भरोसा था उनके साथ सरासर ज्यादती हुईं। आशा देवी पत्नी मुकेश कुमार व प्रेमलता पत्नी शंकरलाल गांव कुंड तहसील मनेठी जिला रेवाड़ी के इस केस से मुआवजा राशि के कम- ज्यादा कर  लाखों- करोड़ों रुपए कमाने वालों की असलियत सामने आ जाएगी।

समझिए इस मामले को

आशा देवी व प्रेमलता की इस निर्माणधीन हाइवे मार्ग पर गांव कुंड- बैरियर स्थित 9 दुकानें, एक चबुतरा बना हुआ है। इनमें अंतिम चार दुकानों पर घर बना हुआ है। आशा देवी व प्रेमलता ने बैंक एवं साहूकारों से कर्ज लेकर यह जमीन 2014 में खरीदी और कर्ज से ही 10 अक्टूबर 2016 को यह दुकानें व घर बना लिया था। जिसके सभी सबूत उसके पास है।  इन सभी दुकानों का एक ही लैंटर था। हाइवे निर्माण के तहत 5 दुकानें एवं चबुतरा अधिग्रहण में आ गए। आशा देवी- प्रेमलता ने बताया कि उन्हें सरकारी सिस्टम पर भरोसा था कि सबकुछ नियमानुसार सभी को उचित मुआवजा प्रक्रिया के तहत मिल जाएगा। पहला मुआवजा 13 लाख 16 हजार रुपए आया। जबकि उसी दौरान उनके आस पास पहले से बनी 50 साल पुरानी दुकानों का 40 लाख से ज्यादा मुआवजा आया तो वे हैरत में पड़ गए। जब मुआवजा राशि में इतने बड़े अंतर को लेकर शोर मचा तो मुआवजा राशि तय करने वाली एजेंसी व एनएचआईआई कर्मचारियों ने योजना के तहत सेवा शुल्क देने वाले दुकानदारों को जल्द से जल्द अपनी दुकान ढहने को कह दिया ताकि जांच में यह सच सामने नहीं आए कि भवनें व दुकानें कितनी पुरानी थी। ऐसा किया गया। आशा देवी- प्रेमलता ने बताया कि उन्होंने यह मुआवजा लेने से मना कर दिया ओर उचित मुआवजा राशि देने की अपील लगा दी। जिस पर हमारी मुआवजा राशि 13 लाख 16 हजार से बढ़कर नवंबर 2020 में 29 लाख 40 हजार हो गईं। हम हैरान थे ऐसा क्यों हो रहा है। हमारे पास इस बात के सबूत है कि एक सर्विस स्टेशन वाले को 64 लाख रुपए मिले। जिस हिसाब से कुंड बस स्टैंड, बैरियर, पाली- खोरी की दुकानों को मुआवजा मिला है उस आधार पर हमारी मुआवजा राशि एक करोड़ रुपए से ज्यादा बनती है। हमने यह राशि लेने से मना कर दिया और दूसरी अपील एक दिसंबर 2020 को जिला राजस्व अधिकारी रेवाड़ी के समक्ष लगा दी। उसके बाद दो माह तक कोई टीम मौके पर सर्वे करने नहीं आईं तो उसके बाद एनएचएआई चेयरमैन को ऑन लाइन शिकायत दर्ज कराईं। 26 फरवरी 2021 को गुरुग्राम स्थित एनएचएआई के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई और अधिकारियों को वास्तु स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि अन्याय नहीं होगा जल्द ही टीम भेजकर वास्तु स्थिति का पता कर लेंगे। उधर हाईवे निर्माण में जुटी इंजीनियर की टीम उनके पास आकर दुकानें तोड़ने का दबाव बनाने लगी। सुबह शाम धमकी देने लगे कि जल्दी से अपनी दुकानों को ढहा लो नहीं तो जेसीबी से ध्वस्त कर दिया जाएगा। हमने दुबारा सर्वे करने का पत्र दिखाया लेकिन उन्होंने उसे भी नहीं माना। हमने चार माह तक मुआवजा राशि नहीं ली। हमने कहा कि जब दुकानें ध्वस्त कर देंगे तो सर्वे करने वाली टीम रिपोर्ट कैसे बनाएगी। हालांकि हमने अपनी दुकानों की विडियो एवं फोटोग्राफी करा रखी है। साथ ही एक निजी एजेंसी से सर्वे कराकर हमने मुआवजा राशि का एस्टीमेट भी बना रखा है। उसके बाद कोरोना कहर के चलते सबकुछ ठहर गया। हमने उचित मुआवजा को लेकर कई बार गुरुग्राम एनएचएआई कार्यालय के चक्कर भी काटे लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ। उधर हाईवे निर्माण में जुटी टीम सुबह शाम उन्हें परेशान कर रही थी। हमारी किसी तरह से कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। एक तरफ सर्वे टीम नहीं आ रही थी दूसरी तरफ तोड़ने का जबरदस्त दबाव बनाया जा रहा था। अधिकारियों ने कहा कि दुकानें तोड़ लो मुआवजा में भेदभाव नहीं होगा। हमारे पास शिकायत आ चुकी है। चिंता ना करें। इस भरोसे से वे पीछे हट गई और उनकी दुकानों को तोड़ दिया गया।

5 अप्रैल को भेजा पत्र 15 जून को मिला, जिसने खेल उजागर कर दिया

आशा देवी व प्रेमलता ने बताया कि 15 जून को हमने एनएचएआई का पत्र मिला जो 9 मार्च 2021 को लिखा गया। 5 अप्रैल को अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए और ढाई माह बाद हमें मिला। जिसमें लिखा था कि 26 फरवरी 2021 को आशा देवी की शिकायत पर हमारी टीम सर्वे के लिए मार्च 2021 को पहुंची तो वहां मौजूदा भवन व दुकानें पहले से ही ध्वस्त की जा चुकी थी। यानि सोची समझी साजिश के तहत जानबूझकर उनकी एक दिसंबर 2020 को दर्ज शिकायत को फाइलों में उलझाए रखा। उसके बाद गुरुग्राम में शिकायत दर्ज कराई। इस दौरान हम पर चारों तरफ से अपनी दुकानों को ढहाने का जबरदस्त दबाव बनाया, फील्ड पर मौजूद टीम ने झगड़ा भी किया, धमकी भी दी। जब उनकी टीम ने ढहा दिया तो साजिश के तहत टीम सर्वे के लिए आईं। हमारा सवाल यह है कि जब टीम ढहाने के लिए आ रही थी ओर हमने उन्हें सर्वे के लिए भेजा पत्र भी दिखाया तो उन्होंने उस पर अमल क्यों नहीं किया। पीड़ित महिलाओं ने कहा कि कुंड- बैरियर, पाली- खोरी में मुआवजा के नाम पर एजेंसी- अधिकारियों ने करोड़ों रुपए की कमीशनखोरी का खेल हुआ है। हमने एनएचएआई के चेयरमैन एवं  संसदीय कमेटी को भी शिकायत भेजी है। हमारे साथ सरासर अन्याय हुआ है। हमारी गलती इतनी है कि हमने सरकार और सिस्टम पर आंख मूंदकर भरोसा किया।

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