रणघोष खास. सुभाष चौधरी
हरियाणा रेवाड़ी शहर के बाल वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के पांच- छह कमरों में चल रहा इकलौता राजकीय कॉलेज अपनी जमीन के लिए राज्य सरकार के सामने गिड़गिड़ाता रहा। यहां के विधायक, मंत्री शिक्षण संस्थाएं आवाज उठाती रही। कोई असर नहीं पड़ा। वजह बताई गई हमारे पास कोई जमीन नहीं है। इसी दरम्यान सेक्टर चार के सरकारी भवन में चल रहा सैनिक स्कूल जब गांव पाली गोठड़ा में बने अपने भवन में पहुंचा तो लगा कॉलेज के सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य खाली हुए सैनिक स्कूल के भवन में संवर जाएगा। एक जून को राज्य के शिक्षा मंत्री कंवरपाल सिंह गुर्जर स्पेशल रेवाड़ी आए और गैर सरकारी संस्था विकल्प को यह भवन सौंप कर चले गए। यह संस्था सरकारी स्कूलों में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का चयन कर उन्हें आईआईटी व नीट की परीक्षाओं की तैयारी कराती है। इस संस्था का दावा है कि वह हर साल बेहतर परिणाम दे रही है जबकि जमीनी हकीकत में वह विवादों में घिरती रही है। यह संस्था अभी तक गर्व के साथ यह बता पाने में असमसर्थ रही है कि उनके द्वारा नीट व आईआईटी के लिए पढ़ाए गए कितने विद्यार्थियों का कॉलेजों में दाखिला हुआ। अब इस संस्था को सैनिक स्कूल का पुराना भवन देने से विवाद खड़ा हो गया है। हरियाण टूरिज्म के चेयरमैन अरविंद यादव ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह सरासर गलत निर्णय है। उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री एवं अधिकारियों से भी बातचीत की है और हकीकत से रूबरू कराया है। कायदे से यह भवन सरकारी कॉलेज को मिलना चाहिए था जो सरकारी स्कूल में चल रहा है। उधर पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने दो कदम आगे बढ़ते हुए यहां तक कह दिया कि अगर सरकार ने अपना यह निर्णय वापस नहीं लिया तो दो- तीन दिन बाद जिला सचिवालय के सामने धरना शुरू हो जाएगा। उनके समय में काफी संघर्ष के बाद शहर में सरकारी कॉलेज की मांग को पूरा कराया था। सैकड़ों विद्यार्थियों ने दाखिला भी ले लिया। जब कॉलेज में संख्या बढ़ने लगी तो भवन के लिए जमीन नहीं होने का कारण बताकर इसे सोची समझी साजिश के तहत बंद करने की साजिश की गई जिसे हमने नाकाम कर दिया। हमें उम्मीद थी कि सैनिक स्कूल का पुराना भवन स्वत: कॉलेज को मिल जाएगा यहां भी खेल हो गया। यह बर्दास्त नहीं होगा।
राज्य के शिक्षा मंत्री का स्पेशल विकल्प संस्था को भवन देने पर आयोजित कार्यक्रम में आना भी चर्चा बटोर रहा है। विकल्प संस्था की कमान नवीन मिश्रा के पास है जिनकी शैक्षणिक योग्यता दिल्ली आईटीएन बताई जाती है। मिश्रा का कहना है कि वे 10 साल पहले 32 लाख का पैकेज छोड़कर रेवाड़ी आए थे। वे अमीर नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ शिक्षक बनने की तमन्ना रखते हैं। वे संस्था के माध्यम से शिक्षित समाज बनाने में अपना भी योगदान देने का कर्तव्य मात्र निभा रहे हैं जबकि हर साल मिश्रा की कार्यप्रणाली को लेकर अभिभावकों से कई बार विवाद हो चुका है। मिश्रा पर फीस से लेकर बच्चों से उनके अभिभावकों को नहीं मिलने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। पुलिस में भी शिकायतें दर्ज होती रही हैं। यह संस्था दो तीन सालों के अंतराल में कई बार भवन बदल चुकी है।
2013-14 में मीडिया में अच्छी खासी कवरेज से बेहतर माहौल बनाते हुए उसने जरूरतमंद बच्चो को नि:शुल्क पढ़ाने की बात कहकर जिला प्रशासन को विश्वास में लेकर बाल भवन में कक्षाएं शुरू की थी। यहां संस्था प्रशासन के नियमों में बंध गईं लिहाजा निशुल्क पढ़ाने का एजेंडा खत्म कर बावल रोड स्थित किराए पर भवन लेकर पूरी तरह कामर्शियल इंस्टीटयूट खोल दिया। आरोप है कि इसके बाद विकल्प ने दिल्ली- चंडीगढ़ में कुछ बड़े अधिकारियों की पर्दे से पीछे मदद से हरियाणा सुपर-100 प्रोजेक्ट तैयार किया जिसमें सरकारी स्कूलों के प्रतिभाशाली बच्चों का चयन कर उन्हें नीट एवं आईआईटी की तैयारी कराना था। इस प्रोजेक्ट को फटाफट स्वीकृति मिल गईं। जिसमें अधिकांश खर्च राशि सरकार की तरफ से होनी थी। 2018 में इस संस्था को सरकारी डाइट का भवन मिल गया। यहां करीब दो साल रहने के बाद इस संस्था ने देवलावास स्थित एक निजी भवन को किराए पर ले लिया। इसी दौरान बच्चों की पढ़ाई, फीस एवं अन्य समस्याओं को लेकर अभिभावकों एवं संस्था प्रबंधकों के बीच विवाद के मामले भी सामने आते रहे। इस संस्था में बड़े अधिकारियों की भूमिका होने की वजह से उसे वहीं दबा दिया गया। इस संस्था में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले कुछ अभिभावकों ने सितंबर 2022 में हुए बड़े हंगामें के बाद खुलासे भी किए कि बेहतर पढ़ाई या तैयारी के नाम पर जो दावा किया जाता है वह असलियत में कुछ नहीं है। सुपर100 के नाम पर अन्य बच्चों से भी अच्छी खासी फीस लेकर अच्छा खासा व्यवसाय चलाया जा रहा है। उन्हें उनके बच्चों से मिलने से रोका जाता है ताकि सच सामने नहीं आ जाए। पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी धर्मबीर सिंह बल्डौदिया की माने तो हर साल जो रजल्ट दिखाया जाता है उसकी निष्पक्ष जांच की जाए तो बहुत कम बच्चों का कॉलेजों में दाखिला हो रहा है जबकि ये क्वालीफाई को ही सफलता दिखाकर प्रशासन व सरकार को गुमराह कर रहे हैं। इस बार 100 में से 4 बच्चों का कॉलेजों में दाखिला होना कौनसी बड़ी उपलब्धि है। इससे बड़ी कामयाबी तो सरकारी स्कूल बोडिया कमालपुर हर साल प्राप्त करता है। इस संस्था में पढ़ रहे आधे से ज्यादा बच्चों की रैंक बेहतर नहीं होने से दाखिला नहीं हो पाता है।
विकल्प को मिले भवन में जिला प्रशासन की सहमति नहीं
सेक्टर चार में अच्छे खासे पुराने सैनिक स्कूल भवन को विकल्प संस्था को देने की जानकारी जिला प्रशासन को भी नहीं थी। यहां तक की डीसी मोहम्मद इमराज रजा, जिला शिक्षा अधिकारी नसीब सिंह को इसकी जानकारी भी चंडीगढ़ से आए पत्र से मिली। उन्हें बस शिक्षा मंत्री के इस भवन का उदघाटन करने की तैयारी की सूचना दी गईं। यहां बता दें कि सितंबर 2022 में हुए पढ़ाई एवं अन्य मामलों को लेकर अभिभावकों के साथ हुए हंगामें की जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी नसीब सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यों की कमेटी भी बनी थी जिसे रिपोर्ट देने को कहा गया। आज तक उस रिपोर्ट का पता नहीं चला कि इस विवाद की असल वजह क्या थी।
भाजपा के नेता एवं पदाधिकारी भवन दिए जाने के खिलाफ
यहां गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा के सीनियर नेता एवं पदाधिकारी यह भवन विकल्प को देने के एकदम खिलाफ है और सरकार के समक्ष अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। हरियाणा टूरिज्म के चेयरमैन अरविंद यादव का कहना है कि यह निर्णय सरकार एवं पार्टी की छवि पर गलत असर डालेगा। सीएम को भी पूरी वास्तुस्थिति से अवगत नहीं कराया गया। यहां तक की विकल्प एनजीओ है यह बात भी बड़े स्तर पर छिपाई गईं। उन्होंने कहा कि इस भवन में शहर के सरकारी स्कूल में चल रहे कॉलेज को शिफ्ट किया जाना चाहिए था। शिक्षा मंत्री को उदघाटन में नहीं आने का अनुरोध भी किया था। उधर पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने कहा कि विकल्प संस्था को लेकर कुछ बड़े अधिकारियों की निजी दिलचस्पी यह इशारा करती है कि इसमें कुछ दाल में काला है। हमारी सरकार से मांग है कि इस संस्था की अभी तक की प्रोग्रेस रिपोर्ट जारी की जाए और कितनी राशि खर्च हो चुकी है उसका ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए ताकि दूध का दूध पानी हो जाए।