चुनाव शहर की सरकार का : नगर परिषद रेवाड़ी के तीन प्रमुख दावेदार इस वजह से जीतेंगे और हारेंगे

भाजपा प्रत्याशी पूनम यादव की जीत भी अपनों से होगी और हार की वजह भी अपने बनेंगे


रणघोष अपडेट. वोटर की कलम से

नगर परिषद रेवाड़ी के चेयरमैन पद पर तीन  प्रमुख दावेदों के बीच जंग छिड़ी हुई है। एक लाख 7 हजार 317 वोटों वाली इस सीट पर किसी को आसानी से जीत नहीं मिलेगी। यह भी मौजूदा रूझानों से स्पष्ट हो गया है। अगले कुछ घंटों में कई तरह के खेल चलेंगे जो नैतिकता के मापदंड में नहीं आते। इस बार चुनाव कई मायनों में खास है। पहला किसी की कोई लहर नहीं है। दूसरा स्टार प्रचारक के तौर पर आने वालों का कोई असर इस चुनाव में नहीं पड़ेगा। तीसरा सिंबल से ज्यादा उम्मीदवार का कद हार-जीत का गणित तैयार करेगा। अब शुरूआत करते हैं भाजपा प्रत्याशी पूनम यादव से। पूनम को टिकट बनाए पैनल के रास्ते सीनियर नेताओं की सहमति से मिली है। उसकी टिकट पर सार्वजनिक हल्ला नहीं मचा यह अच्छी बात है। उनके पति बलजीत खुद नगर पार्षद बनते आ रहे हैं यह उसकी मजबूती है। बलजीत का अपना एक दायरा है। ऐसे में पूनम को चारों दिशाओं में पहुंचने के लिए भाजपा की संपूर्ण ताकत चाहिए जो अंदर खाने हिचकी ले रही है। हालांकि उसका इलाज करने के लिए सीएम से लेकर सभी दिग्गज नेता आकर जा चुके हैं लेकिन अभी तक वह पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। भाजपा की दिक्कत यह है कि ताकत बढ़ने से उसमें कार्यकर्ता कम नेता ज्यादा हो गए हैं। कुछ तो ऐसे है जो खुद को संगठन से बड़ा समझते हैं। इसलिए ये नेता बड़ी चालाकी से अपना गणित हाईकमान के सामने ऐसे पेश कर रहे हैं मानो उनके बिना प्रत्याशी एक कदम आगे नहीं बढ़ सकता। ये आमतौर पर सोशल मीडिया एवं जनरल मीडिया में सुर्खियां बटोरेने में सबसे आगे रहते हैं। इसी वजह से पार्टी के अन्य स्थानीय नेता एवं पदाधिकारियों ने इनकी हरकतों की वजह से दूरियां बना ली है। भाजपा के एक धड़े को यह आभास हो गया है कि अगर पूनम जीत गई तो इसका सारा श्रेय ये बड़बोले नेता ले जाएंगे, अगर रह गई तो हार का ठीकरा चालाकी से उनके सिर पर फोड़ दिया जाएगा। इसलिए वे इस चुनाव को रूटीन की तरह ले रहे हैं। पूनम का सबसे मजबूत पक्ष यह है कि उसकी पार्टी चार साल ओर सत्ता में हैं। बिना सरकार के सहयोग से विकास के एजेंडे को पूरा करना आसान नहीं है। चुनाव प्रचार में भाजपा इसी बात को भुनाने में लगी है। उसका कितना फायदा होगा यह परिणाम से साफ हो जाएगा। इतना जरूर है कि पूनम की जीत अपनो की वजह से होगी और हार की वजह भी अपने बनेंगे। इसके अलावा कोई ओर नहीं।

 -पांच घंटे बाद इस लेख की दूसरी किस्त में पढ़ेंगे आजाद प्रत्याशी उपमा यादव की मौजूदा पोजीशन…………


 

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